भारत ने अफगानिस्तान में 'सीजफायर' का किया समर्थन, कहा-शांति प्रक्रिया में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी हो सम्मान
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भारत ने अफगानिस्तान में 'सीजफायर' का किया समर्थन, कहा-शांति प्रक्रिया में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी हो सम्मान

भारत सरकार ने अफगानिस्तान-तालीबान वार्ता (Intra Afghan talk) के तहत 'सीजफायर' यानि दोनों तरफ से चल रही लड़ाई को तुरंत रोकने की पहल का स्वागत किया है और उसे समर्थन दिया है.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुए शामिल

दोहा/नई दिल्ली: भारत सरकार ने अफगानिस्तान-तालीबान वार्ता (Intra Afghan Talk) के तहत 'सीजफायर' यानी दोनों तरफ से चल रही लड़ाई को तुरंत रोकने की पहल का स्वागत किया है और उसे समर्थन दिया है. अंतर अफगान वार्ता की शुरुआत दोहा में हुई है, जिसमें अफगानिस्तान और तालीबान (Taliban) के प्रतिनिधि शांतिवार्ता में हिस्सा ले रहे हैं. इस बातचीत के तहत अफगानिस्तान (Afghanistan) में स्थाई तौर पर शांति स्थापित करने की कोशिशें चल रही हैं, जिसके लिए अमेरिका मध्यस्थता कर रहा है.

  1. कतर की राजधानी दोहा में अफगान शांतिवार्ता की शुरुआत
  2. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रखी बात
  3. अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी रखा जाए ध्यान

सभी पक्षों के हितों का रखा जाए ध्यान, अफगानी पहचान को मिले वरीयता
तालीबान-अफगानिस्तान वार्ता की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (India's External Affairs minister Dr S Jaishankar) ने भी अपनी बात रखी. वो वर्चुअल माद्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम से जुड़े. उन्होंने कहा कि शांतिवार्ता 'अफगानों की अगुवाई में, अफगानों की रहनुमाई में और अफगानों का सरपरस्ती में' ही होनी चाहिए. जिसमें राष्ट्रीय स्वायत्तता और अफगानिस्तान की अखंडता का सम्मान करते हुए मानवाधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा हो. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन सबके बीच 'अल्पसंख्यकों, महिलाओं और वैचारिक विरोधियों' का भी सम्मान हो और देश में हिंसा रोकने का स्थाई समाधान हो.

आतंकवाद के लिए न हो अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल
भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा कि अब अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देना है और न ही भारत विरोधी किसी काम में. इस साल आई संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की धरती पर 6000 -6500 पाकिस्तानी आतंकवादी (Pakistani terrorists) मौजूद हैं.

अफगानिस्तान का महत्वपूर्ण सहयोगी है भारत
भारत अफगानिस्तान में विकास कार्यों का महत्वपूर्ण सहयोगी है. भारत अफगानिस्तान में कई बड़े प्रोजेक्ट चला रहा है. जिसमें हेरात में बने भारत-अफगानिस्तान मैत्री डैम के साथ ही राजधानी काबुल (Kabul) में अफगानिस्तान की संसद भवन का निर्माण भी शामिल है.

30 देशों के प्रतिनिधि रहे मौजूद
कार्यक्रम में भारत सरकार के पाकिस्तान (Pakistan), अफगानिस्तान (Afghanistan) और ईरान (पीआईए) मामलों के संयुक्त सचिव जेपी सिंह भी मौजूद रहे. इस बातचीत में 30 देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहे. अफगानिस्तान ने इसमें ईरान, पाकिस्तान और कई सेंट्रल एशियन देशों को भी आमंत्रित किया. इस सेरेमनी के साथ ही अफगानिस्तान - तालीबान (Afghanistan-Taliban) के बीच वार्ता की शुरुआत हो गई. हालांकि तालीबान-अफगानिस्तान में आधिकारिक वार्ता की शुरुआत सोमवार से होगी.

अमेरिका-तालीबान समझौते के समय भी मौजूद था भारत
इस साल 29 फरवरी को अमेरिका-तालीबान (USA-Taliban) के बीच दोहा में समझौता हुआ था, जिसमें कतर में भारत के प्रतिनिधि पी. कुमारन मौजूद रहे थे.

दोहा में है अफगानिस्तान का प्रतिनिधिमण्डल
अफगानिस्तान का प्रतिनिधिमण्डल शुक्रवार को दोहा पहुंच गया. तालीबान-अफगानिस्तान के बीच वार्ता की अगुवाई अफगान सरकार की तरफ से डॉ अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह (Abdullaah Abdullah) कर रहे हैं. उन्हें वार्ता के लिए नियुक्ति उच्चस्तरीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. इसमें अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अत्मार, अफगान राष्ट्रपति की ओर से शांति मामलों के विशेष प्रतिनिधि अब्दुल सलाम रहीमी भी शामिल हैं. अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने अपनी स्पीच में मानवता के लिए सीजफायर की अपील की.

तालीबान की तरफ से बातचीत की अगुवाई करेंगे अब्दुल गनी बरादर
तालीबान-अफगानिस्तान वार्ता में तालीबान की तरफ से अब्दुल गनी बरादर (Abdul Ghani Baradar) बातचीत की अगुवाई करेंगे. इस बातचीत में हिस्सा लेने के लिए माइक पॉम्पियो(Michael R. Pompeo) कतर में मौजूद हैं।

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