WTO News: राइस पॉलिटिक्‍स में भारत को घसीटना भारी पड़ेगा, थाइलैंड भूल गया अपनी औकात
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WTO News: राइस पॉलिटिक्‍स में भारत को घसीटना भारी पड़ेगा, थाइलैंड भूल गया अपनी औकात

WTO Talks: भारत ने थाई सरकार के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने USTR कैथरीन ताई और यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष वाल्डिस डोम्ब्रोव्स्की के सामने यह मामला उठाया. 

WTO News: राइस पॉलिटिक्‍स में भारत को घसीटना भारी पड़ेगा, थाइलैंड भूल गया अपनी औकात

India Thailand: डब्ल्यूटीओ (WTO) में थाईलैंड (Thailand) के राजदूत (Ambassador) पिमचानोक वॉनकोर्पोन पिटफील्ड की एक टिप्पणी ने एक राजनयिक तूफान पैदा कर दिया है. भारत सरकार ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है. भारतीय वार्ताकारों ने उन वार्ताओं में भाग लेने से इनकार कर दिया है जहां दक्षिण पूर्व एशियाई देश का एक प्रतिनिधि मौजूद है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड के राजदूत ने भारत पर आरोप लगाया कि वह एक्सपोर्ट मार्केट पर कब्जा करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खरीदे गए 'सब्सिडी वाले' चावल का इस्तेमाल कर रहा है.

थाइलैंड का अमीर देशों ने किया समर्थन
रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को एक परामर्श बैठक के दौरान थाई राजदूत की टिप्पणी का अमीर देशों के कुछ प्रतिनिधियों ने स्वागत किया, जिससे भारतीय प्रतिनिधिमंडल नाराज हो गया.

माना जाता है कि थाईलैंड को अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया और अन्य अमीर देश मुखौटे की तरह इस्तेमाल करते हैं. इन देशों ने एक दशक से अधिक समय से पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग के स्थायी समाधान को ब्लॉक कर दिया है.

भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया
अधिकारियों ने कहा कि थाई सरकार के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया गया. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने USTR कैथरीन ताई और यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष वाल्डिस डोम्ब्रोव्स्की के सामने यह मामला उठाया. मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह भाषा और व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अधिकारियों ने बताया कि थाई राजदूत के सभी तथ्य गलत थे. भारत सरकार खाद्य सुरक्षा दायित्वों को पूरा करने के लिए केवल 40% उपज खरीदती है. बाकी का एक हिस्सा, जो सरकारी एजेंसियों द्वारा नहीं खरीदा जाता है, भारत से मार्केट प्राइस पर एक्सपोर्ट किया जाता है.

भारत की गलत तस्वीर पेश कर रहे विकसित देश
हाल के वर्षों में, भारतीय चावल की हिस्सेदारी ग्लोबल मार्केट में बढ़ी है और हाल के निर्यात प्रतिबंधों ने पश्चिमी देशों को नाराज कर दिया है.

विकसित देश ऐसी तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत इंटरनेशनल मार्केट में सब्सिडी वाला खाद्यान्न बेचकर ग्लोबल ट्रेड को खराब कर रहा है, जो कि सच नहीं है.

अधिकारियों ने बताया कि नियमों को इस तरह से तैयार किया गया कि व्यापार की शर्तें अमीर देशों के पक्ष में रहें. सब्सिडी की गणना के लिए संदर्भ मूल्य 1986-88 के स्तर पर तय किया गया था. इसका मतलब यह हुआ कि 3.20 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक ऑफर की गई किसी भी कीमत को सब्सिडी के रूप में माना जाएगा.

इस ‘गलत फॉर्मूले के अनुसार, भारत चावल के मामले में उत्पादन के मूल्य के 10% की निर्धारित सीमा का उल्लंघन करता है. हालांकि वैश्विक नियमों के उल्लंघन के लिए उसे डब्ल्यूटीओ में नहीं घसीटा जा सकता. इसकी वजह यह है कि सदस्य देश नए फॉर्मूले तक किसी भी विवाद से बचने के लिए सहमत हुए थे. लेकिन यह एक दशक से भी अधिक समय पहले की बात है और अमीर देशों ने उस मुद्दे पर बात नहीं करते जिसे भारत गरीब और विकासशील देशों के लिए सबसे गंभीर मुद्दा मानता है.

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