Antarctica Post Office: पिनकोड MH-1718, अंटार्कटिका में खुला भारत का नया पोस्ट ऑफिस, क्यों है इतना खास?
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Antarctica Post Office: पिनकोड MH-1718, अंटार्कटिका में खुला भारत का नया पोस्ट ऑफिस, क्यों है इतना खास?

Antarctica Pincode MH-1718: इंटरनेट के जमाने में अंटार्कटिका में भारत ने नया पोस्ट ऑफिस खोला है. इसको मील का पत्थर क्यों कहा जा रहा है, आइए इसके बारे में जानते हैं.

Antarctica Post Office: पिनकोड MH-1718, अंटार्कटिका में खुला भारत का नया पोस्ट ऑफिस, क्यों है इतना खास?

Antarctica Indian Post Office: भारत के पोस्ट ऑफिस (Post Office) ने इतिहास रच दिया है और धरती के साउथ पोल (South Pole) के पास भी अपनी ब्रांच को खोल दिया है. हर तरफ बर्फ वाले अंटार्कटिका में भारत का पोस्ट ऑफिस खोला गया है. अंटार्कटिका में भारत रिसर्च मिशन पर है. सुनसान और वीरान अंटार्कटिका में भारत के 50 से 100 साइंटिस्ट तक काम करते हैं. भले ही आज फेसबुक-WhatsApp का जमाना है. लोग सेकंडों में अपने चाहने वालों से कनेक्ट हो जाते हैं. चैट कर लेते हैं. लेकिन अंटार्कटिका से जुड़े भारत के लोगों में अब भी खत का क्रेज है. लोग खत को मेमोरी बनाने और अंटार्कटिका का पोस्टल स्टैम्प पाने के लिए काफी उत्साहित रहते हैं.

अंटार्कटिका में भारत का तीसरा पोस्ट ऑफिस

जान लें कि अंटार्कटिका में भारत का तीसरा पोस्ट ऑफिस भारती स्टेशन पर खुला है. महाराष्ट्र सर्किल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल के. के. शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अंटार्कटिका में भारत के पोस्ट ऑफिस का उद्घाटन किया. के. के. शर्मा ने बताया कि भारत ने अंटार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री स्टेशन में अपना पहला पोस्ट ऑफिस खोला था. और दूसरा पोस्ट ऑफिस मैत्री स्टेशन में 1990 में खुला था. और अब जाकर तीसरा पोस्ट ऑफिस अंटार्कटिका में खोला गया है.

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पिनकोड MH- 1718

ये भी दिलचस्प है कि अंटार्कटिका में तीसरा पोस्ट ऑफिस खोलने के लिए 5 अप्रैल का दिन ही क्यों चुना गया है. दरअसल, 5 अप्रैल को नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR) का 24वां स्थापना दिवस था. पोस्ट ऑफिस खोलने का दिन भी इसलिए 5 अप्रैल का रखा गया. अंटार्कटिका में खुले नए पोस्ट ऑफिस को Experimental तौर पर पिनकोड MH- 1718 दिया गया है. जो नई ब्रांच खुलने के नॉर्म के मुताबिक है.

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फेसबुक-WhatsApp के जमाने में खत क्यों?

अंटार्कटिक ऑपरेशंस की ग्रुप डायरेक्टर शैलेन्द्र सैनी ने कहा कि यह सांकेतिक है लेकिन फिर भी यह प्रयास मील का पत्थर है. हमारे वैज्ञानिकों के पास सोशल मीडिया है लेकिन फिर कम रफ्तार वाले इस माध्यम के जरिए वह अपने परिवार से जुड़े रहते हैं. एक ऐसा समय जब लोग खत लिखना छोड़ चुके हैं, ऐसे में समय में लोगों को अंटार्कटिका के स्टाम्प वाले लेटर मिल रहे हैं. हम साल में एक बार सारे लेटर्स को इकट्ठा करेंगे और फिर उन्हें गोवा में हमारे हेडक्वार्टर भेजेंगे. यहां से खतों को साइंटिस्ट्स के परिवारों को भेजा जाएगा.

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