डेंगू से निपटने का मिला रामबाण तरीका, इस बैक्टीरिया के इस्तेमाल से बचाई जा सकती है जान
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डेंगू से निपटने का मिला रामबाण तरीका, इस बैक्टीरिया के इस्तेमाल से बचाई जा सकती है जान

Dengue Mosquito :  डेंगू के बुखार की वजह से दुनियाभर में लोगों की मौतें हो रही हैं, ऐसे में इंडोनेशिया की सरकार पांच शहरों में डेंगू के प्रसार को काबू में करने के लिए बैक्टीरिया की एक प्रजाति वोल्बाचिया के साथ मच्छरों से जुड़ा एक कार्यक्रम चला रही है. 

 

Dengue Mosquito

Mosquito : जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में आए बदलाव के कारण मच्छर जानलेवा बीमारियां फैला रहे हैं. एक बैक्टीरिया आधारित समाधान इससे निपटने में अहम साबित हो सकता है. डेंगू के बुखार की वजह से दुनियाभर में लोगों की मौतें हो रही हैं साथ ही जलवायु परिवर्तन इस स्थिति को और बदतर बना रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2023 में 80 से ज्यादा देशों में डेंगू के 50 लाख से ज्यादा मामले और 5,000 से ज्यादा मौतें दर्ज की हैं. 

जो कि रिकॉर्ड रखने से लेकर अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. करीब 80 प्रतिशत यानी 41 लाख मामले अमेरिका और ब्राजील में 16 लाख से ज्यादा मामले आए है. तो वहीं ब्राजील में इस साल महज तीन महीनों में ही यह आंकड़ा पार हो गया है. 

 

सामने आए चौंका देने वाले आंकड़ें

इन चौंका देने वाले आंकड़ों का मतलब है, कि मच्छर की बीमारियों के खिलाफ लड़ाई तेज हो रही है, लेकिन इस लड़ाई में हमारे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कुछ हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंडोनेशिया में सरकार पांच शहरों में डेंगू के प्रसार को काबू करने के लिए बैक्टीरिया की एक प्रजाति वोल्बाचिया के साथ मच्छरों से जुड़ा एक कार्यक्रम चला रही है. 

 

बीमारी के खिलाफ लड़ाई 

मच्छर जनित बीमारी के खिलाफ लड़ाई में नया मोर्चा देनपसार है जो छुट्टियां मनाने के लिए मशहूर द्वीप बाली का प्रवेश द्वार है. सीमारंग, बांडुंग, पश्चिमी जकार्ता, बोंटांग और कुपांग में भी परीक्षण किए जा रहे हैं. वोल्बाचिया तकनीक डेंगू को नियंत्रित करने के लिए एक आशाजनक जैविक विकल्प के रूप में सामने आती है.

 

वोल्बाचिया को लार्वा में इंजेक्ट किया

यह एक इंट्रासेल्युलर जीवाणु है जो आमतौर पर दुनिया भर में 60 प्रतिश से ज्यादा कीट प्रजातियों में पाया जाता है, जिसका अर्थ है कि यह किसी अन्य जीव की कोशिकाओं के अंदर रहता है. मोनाश विश्वविद्यालय की रिसर्च ने एक सूक्ष्म सुई का इस्तमाल करके वोल्बाचिया को लार्वा में इंजेक्ट किया. 

2011 के एक स्टडी में जंगली मच्छरों की तुलना में वोल्बाचिया संक्रमित मच्छरों में डेंगू वायरल की मात्रा में बड़ी कमी देखी गई, उदाहरण के लिए अल-नीनो जैसी मौसमी परिस्थितियों के साथ जलवायु गर्म होती रहेगी तो डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों का जोखिम बढ़ेगा जिसके मद्देनजर इसकी आवश्यकता पड़ेगी.

 

अल-नीनो क्या है ?

अल-नीनो ऐसी मौसम परिस्थिति है जिसमें मध्य पेसिफिक में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ता है जिससे ज्यादा बारिश होती है. स्टडी  में पाया गया है, कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा तो बीमारियां भी बढ़ेंगी. मच्छरों पर नियंत्रण डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए अब भी सबसे ज्यादा अपनायी जाने वाली रणनीतियों में से एक है, लेकिन रासायनिक तरीकों से मच्छरों के असर को कुंद किया जा सकता है. ऐसे में वोल्बातिया जैसी अन्य पद्धतियों के परीक्षण महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. 

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