कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के कर्मचारियों पर कई तरह प्रकार के प्रतिबंध लगा देने का ट्रंप का फैसला न सिर्फ अदालत पर हमला है बल्कि संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय प्रक्रिया पर भी चोट है.
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वॉशिंगटन: इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (International Criminal Court of Justice) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की कड़ी शब्दों में आलोचना की है. कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के कर्मचारियों पर कई तरह प्रकार के प्रतिबंध लगा देने का ट्रंप का फैसला न सिर्फ अदालत पर हमला है बल्कि संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय प्रक्रिया पर भी चोट है. साथ ही यह हिंसा और दमन के शिकार लोगों के हितों के लिए भी नुकसानदेह साबित होगा. ट्रंप ने जिन कर्मियों के खिलाफ कुछ बंदिशें लगाई हैं, वे लोग कोर्ट का ऐसा स्टाफ हैं जो अफगानिस्तान में युद्ध अपराधों को लेकर जांच पड़ताल कर रहे हैं.
कोर्ट ने एक बयान जारी करके कहा है कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पर पहले भी इस तरह के हमले होते रहे हैं और इस कड़ी में यह एकदम नया हमला है. कोर्ट ने अपने बयान में यह भी कहा कि ये सभी हमले न्याय के खिलाफ हैं और कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ जाते हैं.
आईसीसी प्रेजिडेंट ओ गोन क्वान ने तो यहां तक कहा कि वह कोर्ट के खिलाफ लिए गए फैसलों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. गुरुवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के कर्मियों के खिलाफ कई प्रतिबंध लगा दिए हैं. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के ये मेंबर अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान में की गई गतिवधियों को लेकर पड़ताल कर रहे थे. ये गतिविधियां अफगानिस्तान में इन सैन्य टुकड़ियों के कथित तौर पर 'वार क्राइम्स' से संबंधित थीं. दरअसल अमेरिका चाहता है कि इन जांचों को रोक दिया जाए.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पीयो ने यहां तक कहा दिया कि हमारे लोग एक कंगारू कोर्ट की धमकियों को न बर्दाश्त कर सकते हैं और न ही करेंगे. यूरोपियन कोर्ट की फॉरेन पॉलिसी की चीफ जोसफ बोरेल ने इस पूरे मामले पर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को लेकर कहा कि यह काफी चिंता की बात है और कोर्ट का सबको सम्मान करना चाहिए और सभी देशों द्वारा कोर्ट को सपोर्ट मिलना चाहिए.
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डच के फॉरेन मिनिस्टर स्टेफ ब्लॉक ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा लिए गए फैसले और कदम से काफी बेचैन महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नीदरलैंड कोर्ट को पूरी तरह से समर्थन देता है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि ट्रंप का यह कदम वैश्विक कानून का हनन ही दिखाता है. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट 2002 में स्थापित किया गया था. इसका मकसद युद्द के दौरान इंसानियत के खिलाफ किए गए अपराधों और नरसंहारों की पहचान करना था. करीब 123 से अधिक देश इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के दायरे में आते हैं.