ईरान ने परमाणु समझौते में किसी बदलाव से किया इनकार
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ईरान ने परमाणु समझौते में किसी बदलाव से किया इनकार

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने कहा कि 2015 में कोई समझौता नहीं किया जा सकता. ईरानी विदेश मंत्रालय के बयान में 14 लोगों पर नये प्रतिबंधों की आलोचना की गई.

ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी. (फाइल फोटो)

तेहरान: ईरान ने विश्व के शक्तिशाली देशों के साथ अपने परमाणु समझौते में किसी तरह के बदलाव की बात शनिवार (13 जनवरी) को खारिज कर दी. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ईरान इस समझौते में किसी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा, चाहे यह अब हो या बाद में हो.ट्रंप ने परमाणु से जुड़े प्रतिबंधों में शुक्रवार (12 जनवरी) को फिर से राहत देते हुए यह मांग की है कि यूरोपीय साझेदार समझौते के घातक शर्तों को तय करें, अन्यथा अमेरिका इससे हट जाएगा. उन्होंने कहा कि नया समझौता को ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को रोकना चाहिए और ईरान के परमाणु संयंत्रों पर स्थायी प्रतिबंधों को शामिल करना चाहिए. वहीं, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने कहा कि 2015 में कोई समझौता नहीं किया जा सकता. ईरानी विदेश मंत्रालय के बयान में 14 लोगों पर नये प्रतिबंधों की आलोचना की गई. मानवाधिकार मुद्दों और ईरान के मिसाइल कार्यक्रमों को लेकर ये प्रतिबंध अमेरिका ने शुक्रवार (12 जनवरी) को लगाए.

  1. ईरान, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में हुआ था समझौता.
  2. डोनाल्ड ट्रंप ने अक्टूबर 2017 में इस समझौते को रद्द करने का आह्वान किया था.
  3. ट्रंप ने ईरान पर समझौते का कई बार उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.

प्रतिबंध माफ कर डोनाल्ड ट्रंप ने बरकरार रखा ईरान परमाणु समझौता

वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आर्थिक प्रतिबंधों को हट कर ईरान परमाणु समझौता बरकरार रखा, लेकिन यूरोपीय सहयोगियों तथा कांग्रेस को आगाह किया है कि अगर 2015 में हुए ऐतिहासिक समझौते की खामियों को उन्होंने दूर नहीं किया तो यह माफी आखिरी होगी. व्हाइट हाउस ने शुक्रवार (12 जनवरी) को बताया कि ट्रंप आखिरी बार ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को माफ करेंगे, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अगले 120 दिन के अंदर अमेरिका और यूरोप के बीच एक समझौता हो जाए ताकि परमाणु सौदा मजबूत हो सके. ट्रंप ने एक बयान में बताया, ‘तीव्र अनिच्छा के बावजूद मैंने अब तक अमेरिका के ईरान परमाणु समझौते से अलग नहीं किया है.’

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खास कर अपने यूरोपीय सहयोगियों से कहा है कि या तो ‘संयुक्त समग्र कार्य योजना’ (जेसीपीओए) को दुरुस्त किया जाए या वह अमेरिका को परमाणु समझौते से अलग कर लेंगे. अपने बयान में उन्होंने कहा ‘यह आखिरी बार है. (अमेरिका और यूरोपीय शक्तियों के बीच ) कोई ऐसा समझौता न होने की स्थिति में अमेरिका ईरान परमाणु समझौते में बने रहने के लिए एक बार फिर से प्रतिबंधों को माफ नहीं करेगा.’

उल्लेखनीय है कि ईरान, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों - ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के बीच जुलाई 2015 में जेसीपीओए समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत ईरान आर्थिक मदद और खुद पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की एवज में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रमों को रोकने पर सहमत हुआ था. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अक्टूबर 2017 में इस समझौते को रद्द करने का आह्वान करते हुए ईरान पर समझौते का कई बार उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जिसे ईरान ने सिरे से खारिज कर दिया था.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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