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बगदाद : इराक और सीरिया में साख खोने के महीनों बाद इस्लामिक स्टेट समूह के कमजोर होने के संकेत मिल रहे हैं और इनके प्रतिद्वंद्वियों का मानना है कि लड़ाई छोड़कर भागने वाले कट्टरपंथियों की संख्या बढ़ी है लेकिन जिहादी संगठन अधिक आतंकवादी और रासायनिक हमलों के जरिये वापसी करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका की अगुवाई में चलाये गये अभियान, रूस के हवाई हमलों और विभिन्न देशों की सेनाओं के जमीनी कार्रवाई के कारण इराक और सीरिया में इस समूह को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा और आकलन के अनुसार उसने इराक में अपने प्रभुत्व वाला करीब 40 फीसदी और सीरिया में 20 फीसदी से अधिक हिस्सा गंवा दिया।
एक सीरियाई विद्रोही गुट के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल फरेस अल-बायूश ने कहा, 'हम लोग जो देख रहे हैं उसके मुताबिक दाएश अब उतना दृढ़ नहीं है, जितना हुआ करता था।' बायूश का 1300 लड़ाकों का फरसान अल-हक गुट आईएस और सीरियाई सरकारी बलों के खिलाफ पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से लड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'अब उसके कुछ सदस्य आत्मसमर्पण कर रहे हैं, जबकि कुछ चोटिल हो रहे हैं। पहले वे आकर खुद को उड़ा देते थे।' यह कट्टरपंथी संगठन एक समय में अपने साहस, अनुभव, जान देने की तत्परता और क्रूरता के लिए जाना जाता था लेकिन उनके खिलाफ लड़ने वालों का मानना है कि अब वे हाशिए पर हैं।