नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम जेल से होंगे रिहा, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने किया सजा का निलंबन
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नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम जेल से होंगे रिहा, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने किया सजा का निलंबन

नवाज शरीफ को लंदन में एवनफील्ड हाउस में चार आलीशान फ्लैटों की खरीद के मामले में दो महीने पहले जेल भेज दिया गया था. 

नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम जेल से होंगे रिहा, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने किया सजा का निलंबन

इस्लामाबादः एवनफील्ड हाउस मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज और दामाद कैप्टन (रि.) मोहम्मद सफदर को दी गई जेल की सजा को इस्लामाबाद के हाईकोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है. पाकिस्तान के समाचार चैनल जीओ न्यूज के हवाले से ये खबर आई है. एवनफील्ड हाउस केस में नवाज शरीफ को 10 साल की सजा, मरियम को 7 साल और दामाद को 1 साल की सजा सुनाई गई थी. तीनों को जुलाई में एक जवाबदेही अदालत ने भ्रष्टाचार का दोषी पाया था और वे रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद थे. नवाज शरीफ को लंदन में एवनफील्ड हाउस में चार आलीशान फ्लैटों की खरीद के मामले में दो महीने पहले जेल भेज दिया गया था. 

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बता दें कि 17 सितंबर को ही पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी और दामाद को पांच दिन की पैरोल खत्म होने के बाद वापस जेल भेजा गया था. उन्हें नवाज शरीफ की पत्नी बेगम कुलसुम के इंतकाल के बाद पैरोल मिली थी. कुलसुम का पिछले हफ्ते मंगलवार को लंदन में इंतकाल हो गया था. वह लंबे अरसे से गले के कैंसर से पीड़ित थीं. नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम और दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) एम सफदर को पिछले बुधवार को कुलसुम की तदफीन में शरीक होने के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था.

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क्या है एवनफील्ड केस 
अप्रैल 2016 में पता चला कि नवाज़ शरीफ और उनके परिवार के नाम पर विदेशों में बहुत सी कंपनियां हैं. इन कंपनियों द्वारा पैसे का लेनदेन किया गया और विदेशों में संपत्तियां भी खरीदी गईं. ऐसी ही एक संपत्ति थी, लंदन के एवनफील्ड हाउस में मौजूद आलीशान अपार्टमेंट. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इन नई जानकारियों की जांच के लिए एक संयुक्त जांच टीम बनाई. जांच के दौरान मरियम नवाज़ ने अदालत में आलीशान अपार्टमेंट की खरीद फरोख्त से जुड़े हुए कागज़ात दिए, जिनमें ये दावा किया गया था कि ये कागज़ात फरवरी 2006 में तैयार किए गए. 

और यहीं मरियम शरीफ़ से गलती हो गई, क्योंकि उन्होंने अदालत में जो कागज़ दिए, वो कालीबरी फोंट में टाइम किए गए थे. जबकि कालीबरी फोंट जनवरी 2007 तक कमर्शियल इस्तेमाल के लिए रिलीज ही नहीं हुआ था. 2006 के कागज़ात में 2007 में रिलीज़ हुआ फोंट इस्तेमाल हो ही नहीं सकता. ये पूरा मामला जालसाज़ी की श्रेणी में आता है. क्योंकि जालसाज़ी करके बाद में ऐसे कागज़ात तैयार किए गए, जिससे ये लगता था कि आलीशान अपार्टमेंट बाद में खरीदे गए, जबकि असल में ये अपार्टमेंट 1993 में खरीदे गए थे. 

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