American Investment: चीन में अमेरिकी निवेश को No, इस खास सेक्टर में उभार से डर गया बिडेन प्रशासन
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American Investment: चीन में अमेरिकी निवेश को No, इस खास सेक्टर में उभार से डर गया बिडेन प्रशासन

American Investment in China: सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में चीनी उभार से अमेरिका के माथे पर बल पड़ गया. जो बिडेन प्रशासन ने कुछ खास रणनीतिक क्षेत्रों में चीन में निवेश पर रोक लगा दिया है. बिडेन सरकार के मुताबिक इस तरह के निवेश से अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो जाएगा.

 American Investment: चीन में अमेरिकी निवेश को No, इस खास सेक्टर में उभार से डर गया बिडेन प्रशासन

Joe Biden on Investment: चीन और अमेरिका के बीच तनातनी का अपना इतिहास है. चीन को लगता है कि जानबूझकर अमेरिका उसके विकास में रोड़े अटकाता है तो अमेरिकी रणनीतिकारों के मुताबिक चीन का नजरिया औपनिवेशिक है और उसका मकसद कर्ज बांटकर आधिपत्य जमाने की है. इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने उस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जिसके बाद कुछ खास निवेश चीन में नहीं हो सकेगा. खासतौर से संवेदनशील प्रोद्योगिकी क्षेत्र(Semiconductor) में निवेश के लिए सरकार से पहले मंजूरी लेनी होगी. इस तरह के फैसले के बाद चीन के साथ तनाव के स्तर में और इजाफा हो सकता है. इस फैसले को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों में और तल्खी लाएगा. 

अमेरिकी सुरक्षा के मद्देनजर फैसला

कांग्रेस को लिखे एक पत्र में बिडेन ने कहा कि वह सेना, खुफिया, निगरानी या साइबर-सक्षम के लिए महत्वपूर्ण संवेदनशील प्रौद्योगिकियों और उत्पादों में चीन जैसे देशों द्वारा प्रगति के खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर रहे हैं.  रॉयटर्स के अनुसार आदेश में कहा गया है कि इन क्षेत्रों में चीन की प्रगति संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक असामान्य और असाधारण खतरा है और कुछ अमेरिकी निवेश इस खतरे को और अधिक बढ़ा सकते हैं.  इस आदेश  के जरिए चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग पर शिकंजा कसने की कोशिश की गई है.चिप्स और उनके निर्माण के लिए उपकरणों को डिजाइन करने के लिए विदेशी निर्मित उपकरणों पर चीन बहुत अधिक निर्भर है.

सेमी कंडक्टर में चीन के उभार से घबराया अमेरिका

बीजिंग अपने उभरते घरेलू उद्योग को विकसित करने के लिए काम कर रहा है और ठोस निर्माण संयंत्रों के निर्माण के लिए बहुत अधिक निवेश कर रहा है जिन्हें फैब्स कहा जाता है. इन क्षेत्रों में अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स का दबदबा है. बिडेन प्रशासन का तर्क है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य सबसे गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों को संबोधित करना था. इसका अर्थ यह नहीं कि हन दोनों देशों के बीच दूसरे व्यापारिक संबंधों में खलल डालना चाहते हैं.  बिडेन सरकार के इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई है. जहां एक तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी ने फैसले की सराहना की है वहीं रिपब्लिकन ने कहा है कि प्रतिबंधों में अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जाना चाहिए था.

अमेरिका में मिलीजुली प्रतिक्रिया

सीनेट डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने कहा कि बहुत लंबे समय से अमेरिकी धन ने चीनी सेना के उत्थान में मदद की है. संयुक्त राज्य अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीतिक पहला कदम उठा रहा है कि अमेरिकी निवेश चीनी सैन्य उन्नति के लिए धन न दे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को प्रतिबंधों को कानून में स्थापित करना चाहिए और उन्हें परिष्कृत करना चाहिए। रिपब्लिकन ने कहा कि बिडेन का आदेश बहुत आगे तक नहीं गया. हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने चीन में नए आउटबाउंड निवेश को प्रतिबंधित करने के कदम की सराहना की लेकिन यह भी कहा कि मौजूदा प्रौद्योगिकी निवेश के साथ-साथ जैव प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को शामिल करने में विफलता चिंताजनक है. प्रशासन के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि प्रतिबंध केवल भविष्य के निवेशों को प्रभावित करेंगे, मौजूदा निवेशों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. 

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