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नई दिल्ली: काबुल पर तालिबान के कब्जे से तीन सप्ताह पहले अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के बीच फोन पर बातचीत हुई थी. तारीख थी- 23 जुलाई. तब अशरफ गनी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति थे और उन्होंने काबुल से जो बाइडेन को फोन किया था. फोन पर दोनों के बीच 14 मिनट तक बात हुई. इस बातचीत में तालिबान के हमले से लेकर पाकिस्तान के आतंकी सपोर्ट जैसे मुद्दे उठाए गए.
इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स का दावा है कि उसके पास उस फोन कॉल का ऑडियो है. इस बातचीत को सुनने के बाद आपको पता चलेगा कि अफगानिस्तान की सरकार और अमेरिका दोनों किस तरह काबुल में तालिबान राज के लिए जिम्मेदार हैं. आज हम आपको उस 14 मिनट की पूरी कहानी बताएंगे, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी, तालिबान और पाकिस्तान से जुड़ी है.
तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार थी और काबुल में अमेरिकी सेना जमी हुई थी, लेकिन अगस्त के आखिरी 15 दिनों में तालिबान के डर से राष्ट्रपति अशरफ गनी भी यहां से भाग गए और अमेरिकी फौज भी उड़ गई. गनी का भागना और अमेरिकी सेना का भागना. ये दोनों घटनाएं अचानक नहीं घटीं, बल्कि इनकी पूरी स्क्रिप्ट 23 जुलाई को ही लिखी गई थीं. 23 जुलाई को अशरफ गनी ने जो बाइडेन को फोन किया था. दोनों राष्ट्रपति ने एक दूसरे का हाल-चाल पूछा और उसके बाद मुद्दे की बात शुरू हुई.
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अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने जो बाइडेन (Joe Biden) से कहा, 'अफगानिस्तान में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. तालिबान को रोकने के लिए हमें आपकी मदद की जरूरत है.' इस पर जो बाइडेन ने कहा, 'अगर आपके पास अफगानिस्तान के हालात को संभालने के लिए कोई प्लान है तो बताइए. अगर आप हमें अपना प्लान बताएंगे तो हम आपको हवाई सपोर्ट देना जारी रखेंगे.'
जो बाइडेन (Joe Biden) और अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के बीच जब बातचीत चल रही थी तब तक तालिबान कंधार समेत अफगानिस्तान के कुल 407 जिले में से 2 सौ से ज्यादा जिलों पर कब्जा कर चुका था. सूत्रों के मुताबिक गनी ने बाइडेन से कहा, 'हमारे पास प्लान है और हमारी सेना तालिबान से लड़ रही है, लेकिन हमें आपकी मदद भी चाहिए.' इसपर, जो बाइडेन ने कहा, 'आपके पास 3 लाख सैनिक हैं, जिन्हें अमेरिका ने प्रशिक्षण दिया है और ये 3 लाख जवान, तालिबान के 70 हजार लड़ाकों का मुकाबला करने में सक्षम हैं.'
14 मिनट की बातचीत के दौरान बाइडेन, अशरफ गनी से खुश नहीं दिख रहे थे. उन्होंने गनी को ये सुझाव दिया कि तालिबान के खिलाफ लड़ाई की जिम्मेदारी जनरल बिस्मिल्लाह खान को दी जाए, जो उस वक्त अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री थे. लेकिन ग़नी को शायद ये मंजूर नहीं था. बाइडेन ने गनी को सलाह दी कि अफगानिस्तान की सरकार को धारणा बदलने की जरूरत है. दुनिया में ये संदेश जा रहा है कि सरकार, तालिबान के खिलाफ सही तरीके से नहीं लड़ रही है. ऐसे में आपको नए प्लान के साथ आना चाहिए. सभी राजनीतिक हस्तियों को साथ लाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए. इससे दुनिया की धारणा बदलेगी और एक मजबूत संदेश जाएगा.
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रॉयटर्स का दावा है कि अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने जो बाइडेन से मदद मांगी थी, लेकिन बाइडेन ने मदद के लिए तालिबान के खिलाफ लड़ाई का प्लान बताने की शर्त रखी थी. इस फोन कॉल को किस तरह देखा जाए? जो बाइडेन (Joe Biden) का मानना था कि अशरफ गनी की सरकार तालिबान के खिलाफ सही तरीके से नहीं लड़ रही. उन्होंने पहले भी और अपनी नई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अशरफ गनी को ही अफगानिस्तान के हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया.
जो बाइडेन (Joe Biden) का आरोप कुछ और है और अशरफ गनी की सफाई कुछ और. काबुल से भागने के तीन दिन बाद 18 अगस्त को गनी ने संयुक्त अरब अमीरात से एक वीडियो संदेश जारी किया. वीडियो में उन्होंने कहा कि पश्चिम में उनके सभी सहयोगियों ने देश छोड़ने की सलाह दी थी, इसलिए उन्होंने देश छोड़ा.
14 मिनट की उस बातचीत के दौरान अशरफ गनी ने जो बाइडेन को बताया कि पाकिस्तान तालिबान को हर तरह से समर्थन कर रहा है. कम से कम 10 से 15 हजार विदेशी आतंकवादी तालिबान की तरफ से लड़ रहे हैं और इनमें ज्यादातर पाकिस्तान से हैं. तालिबान की ओर से हमला लगातार तेज हो रहा है. अशरफ गनी ने बाइडेन को फोन पर ये जानकारी भी दी थी कि पाकिस्तान हजारों आतंकवादियों को तालिबान के समर्थन में लड़ने के लिए भेज रहा है, लेकिन इसके बावजूद बाइडेन ने ना तो पाकिस्तान पर एक्शन लिया, ना तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अमेरिका मैदान छोड़कर भाग खड़ा हुआ.
जो बाइडेन (Joe Biden) की मजबूरी क्या थी, उन्होंने पाकिस्तान पर क्यों नहीं एक्शन लिया? इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस बातचीत पर उसने व्हाइट हाउस और अशरफ गनी के ऑफिस से सफाई मांगी, लेकिन दोनों तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया.
तो कुल मिलाकर बात ये थी कि अशरफ गनी, जो बाइडेन से मदद मांग रहे थे और बाइडेन, गनी से प्लान मांग रहे थे. गनी काबुल बचाने का प्लान बनाने के बदले काबुल से निकलने का प्लान बनाने में जुट गए और बाइडेन गनी के प्लान का इंतजार करते रह गए. इस बीच तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमा लिया.
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