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इस्लामाबाद/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से अलगाववादी मुहिम का नेतृत्व करने वाले सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) की मौत हो गई. वो 92 साल के थे. गिलानी की मौत के बाद हालातों पर भी सुरक्षाबलों की नजर है और इसे देखते हुए कश्मीर घाटी में कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं. इसमें इंटरनेट सेवा बंद होना भी शामिल है. ऐसा किसी भी तरह की अफवाह को फैलने से रोकने के लिए किया गया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) की मौत पर फिर जहर उगला है. सैयद अली शाह गिलानी ने निधन पर इमरान खान ने भारत पर निशाना साधा और गिलानी को 'पाकिस्तानी' बताते हुए देश के झंडे को आधा झुकाने का ऐलान किया. यही नहीं इमरान ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक का भी ऐलान किया है.
इमरान खान (Imran Khan) ने ट्वीट कर कहा, 'कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं. गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे. भारत ने उन्हें कैद करके रखा और प्रताड़ित किया. हम पाकिस्तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्दों को याद करते हैं. हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है. पाकिस्तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएंगे.'
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गिलानी के निधन पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट कर कहा, 'कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन के मशाल वाहक सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर पाकिस्तान ने शोक व्यक्त करता है. गिलानी ने भारतीय कब्जे की नजरबंदी के तहत आखिर तक कश्मीरियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उन्हें शांति मिले और उनकी आजादी का सपना साकार हो.'
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) जम्मू-कश्मीर के सोपोर से तीन बार विधायक रहे थे. वह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन वह उससे अलग हो गए और उन्होंने 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था. गिलानी 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बन गए थे.
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