इमरान खान की आई शामत! जमायत उलेमा-ए-इस्लाम ने किया सरकार के खिलाफ 'जंग' का ऐलान
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इमरान खान की आई शामत! जमायत उलेमा-ए-इस्लाम ने किया सरकार के खिलाफ 'जंग' का ऐलान

कट्टरपंथी संगठन अब मदरसों में पढ़ रहे बच्चों का इमरान सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने जा रहा है.

इमरान खान का कहना है कि जेयूआई-एफ प्रमुख 'धार्मिक कार्ड' का फायदा नहीं उठा पाएंगे. (फाइल)

पेशावर: जमायत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख फजलुर रहमान ने अपने 'आजादी' मार्च को सरकार के खिलाफ 'जंग' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह तबतक समाप्त नहीं होगा जबतक इस सरकार का पतन नहीं हो जाता. उन्होंने पेशावर में एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कहा, "पूरा देश हमारा युद्धक्षेत्र(वॉरजोन) होगा."

इस दौरान जेयूआई-एफ नेता ने सरकार के खिलाफ 27 अक्टूबर को एक मार्च निकालने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मार्च का समापन राजधानी में होगा और पार्टी की यहां धरना-प्रदर्शन करने की योजना है. उन्होंने कहा, "हमारी रणनीति एकसमान नहीं रहेगी. हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए इसमें बदलाव करते रहेंगे. पूरे देश से लोगों का जनसैलाब इस मार्च में भाग लेने आ रहा है और फर्जी शासक इसमें एक तिनके की तरह डूब जाएंगे. "

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इसके लिए अन्य विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है, उन्होंने कहा, "मैं उन्हें मार्च में देखने की उम्मीद करता हूं. सभी पार्टियां इस बात को लेकर सहमत हैं कि बीते वर्ष हुआ चुनाव फर्जी था और दोबारा चुनाव कराए जाने चाहिए, उन्हें निश्चित ही हमारे मार्च में शामिल होना चाहिए."

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी(पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) दोनों प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने हालांकि मार्च में शामिल होने को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया है. पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी ने शुक्रवार को कहा था कि वह रहमान को सहयोग देने के मुद्दे पर पार्टी बैठक में फैसला लेंगे. वहीं पीएमएल-एन ने रहमान से मार्च कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था.

रहमान ने प्रेस वार्ता में कहा कि वह गिरफ्तारी से डरे हुए नहीं है, ऐसा कोई भी कदम प्रदर्शनकारियों के आक्रोश को सरकार के खिलाफ और बढ़ा देगा.

रहमान से जब पूछा गया कि सरकार का दावा है कि आप मदरसों में पढ़ रहे बच्चों का सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा, "सरकार छात्रों को उनके लोकतांत्रित अधिकारों से वंचित करने का प्रयास कर रही है. मदरसों में पढ़ने वाले बहुत कम छात्र ही मार्च में भाग लेंगे, क्योंकि समाज के हर वर्ग से बड़ी संख्या में लोग मार्च में भाग लेने वाले हैं."

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