Kalash Community of Pakistan: कलाश (Kalash) जनजाति के लोग मौत पर शोक नहीं मनाते हैं. किसी के मर जाने पर ये लोग नाचते-गाते हैं और शराब पीते हैं. कलाश जनजाति के लोग मानते हैं कि ऊपरवाले की मर्जी थी तो वो धरती पर आया और उनकी ही मर्जी से वो वापस गया. इसमें रोने की कोई बात नहीं है.
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इस्लामाबाद: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी ने साल 2020 में दुनियाभर के लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग सिखा दी, लेकिन पाकिस्तान की एक जनजाति कई दशकों से ये कर रही है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर फैली हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला पर रहने वाले कलाश (Kalash) जनजाति के लोग अपनी अनोखी परंपराओं और तौर-तरीकों के लिए जाने जाते हैं.
गौरतलब है कि कलाश (Kalash) जनजाति के लोग ये मानते हैं कि हिंदू कुश (Hindu Kush) पर्वत पर रहने के कारण ही उनकी संस्कृति और परंपराएं बची हुई हैं क्योंकि हम बाकी समाज से दूर रहते हैं. पाकिस्तान (Pakistan) में कलाश (Kalash) जनजाति के लोगों की संख्या लगभग 4,000 है और ये एक ग्रुप में रहते हैं. इनका बड़ा त्योहार त्योहार चेमॉस (Chawmos) है.
जान लें कि कलाश (Kalash) जनजाति की कई परंपराएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं. ये अनेकदेववाद को मानते हैं, इसका मतलब एक से ज्यादा देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. कलाश जनजाति में बलि देने की परंपरा भी है. हिंदू कुश पर्वत पर रहने के कारण ये बाकी दुनिया से लगभग कटे रहते हैं. हालांकि कई बार खबरें सामने आईं कि पाकिस्तान (Paksitan) में इन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाकर मुसलमान बनाने की कोशिश भी की गई.
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कलाश (Kalash) जनजाति के लोग पहली बार साल 2018 में हुई पाकिस्तान (Pakistan) की जनगणना में अलग जनजाति के तौर पर शामिल हुए. पाकिस्तान की 2018 की जनगणना के मुताबिक, वहां कलाश जनजाति के कुल 3,800 लोग रहते हैं. ये लोग अफगानिस्तान और पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी से अपनी सुरक्षा के लिए पारंपरिक हथियारों के साथ अत्याधुनिक बंदूकें भी अपने पास रखते हैं.
कलाश (Kalash) जनजाति मातृसत्तात्मक है. यहां घर की मुखिया महिलाएं होती हैं. भेड़-बकरियों को चराने के लिए पहाड़ों पर महिलाएं जाती हैं. कलाश जनजाति के लोग घर पर रंग-बिरंगे पर्स और रंगीन मालाएं बनातें हैं, जिन्हें पुरुष बेचते हैं. कलाश (Kalash) जनजाति की महिलाएं अपने श्रृंगार का खास खयाल रखती है. महिलाएं गले में रंगीन मालाएं पहनती हैं और सिर पर एक अनोखी टोपी पहनती हैं.
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चेमॉस (Chawmos) त्योहार के पर कलाश (Kalash) जनजाति की लड़कियों को अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की आजादी है. वो जिससे चाहें शादी कर सकती हैं. ये लोग संबंधों को लेकर इतने खुले हैं कि अगर किसी महिला को कोई दूसरा पुरुष पसंद आ जाता है तो वो उसके साथ बिना किसी सामाजिक विरोध के रह सकती है. हैरान करने वाली बात है कि महिलाओं को ये आजादी उस पाकिस्तान में है जहां महिलाओं की आजादी की बात पर फतवे आ जाते हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से खबर है कि कलाश (Kalash) जनजाति की एक महिला ने कहा कि त्योहार के दौरान वो लड़के को पसंद करके उसके साथ उसी के घर में हफ्ता-महीना या जितने दिन चाहें गुजारकर अपने घर वापस आ सकती हैं. इसके बाद लड़की की इच्छा जानकर उस लड़के से शादी करवाई जाती है.
कलाश (Kalash) जनजाति के लोग मौत पर शोक नहीं मनाते हैं. ये लोग तो इस मौके को त्योहार की तरह बड़े-हर्षोल्लास से मनाते हैं. किसी के मर जाने पर ये लोग नाचते-गाते हैं और शराब पीते हैं. कलाश जनजाति के लोग मानते हैं कि ऊपरवाले की मर्जी थी तो वो धरती पर आया और उनकी ही मर्जी से वो वापस गया. इसमें रोने की कोई बात नहीं है.
इसके अलावा किसी भी त्योहार पर कलाश जनजाति की महिलाएं और पुरुष साथ बैठकर शराब पीते हैं. हर त्योहार पर संगीत और गाने-बजाने की परंपरा है. ये लोग ड्रम और बांसुरी बजाकर नाचते हैं.
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