Karima Baloch Murder Case: निज्जर मामले में झूठे आरोप पर करीमा बलोच को लेकर क्यों बंद है ट्रूडो का मुंह? UN में घिरा कनाडा
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Karima Baloch Murder Case: निज्जर मामले में झूठे आरोप पर करीमा बलोच को लेकर क्यों बंद है ट्रूडो का मुंह? UN में घिरा कनाडा

Karima Baloch Death Case: खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो लगातार भारत सरकार पर आपत्तिजनक सवाल उठा रहे हैं लेकिन उन्हें उस करीमा बलोच (Karima Baloch) की मौत में कुछ भी गड़बड़ नहीं दिखता जिसकी जांच की मांग लगातार उठ रही है.

Karima Baloch Murder Case: निज्जर मामले में झूठे आरोप पर करीमा बलोच को लेकर क्यों बंद है ट्रूडो का मुंह? UN में घिरा कनाडा

Karima Baloch News: कनाडा (Canada) सरकार ने एक्टिविस्ट करीमा बलोच (Karima Baloch) की संदिग्ध मौत पर चुप्पी साध रखी है. करीमा के पति ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में उठाया है. आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा सरकार और पीएम ट्रूडो भारत पर आरोप लगा रहे हैं और मामले की जांच भी जारी है लेकिन बलोच एक्टिविस्ट करीमा बलोच की संदिग्ध मौत के मामले पर सरकार से लेकर प्रधानमंत्री तक सब खामोश हैं. हालांकि, मानवाधिकार आयोग ने कई बार ट्रूडो को चिट्ठी लिखकर करीमा बलोच की मौत पर सवाल पूछे लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया. ऐसे में अब इस मुद्दे को उनके पति हम्मल हैदर ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में उठाया.

करीमा बलोच ने कनाडा में ली थी शरण

जान लें कि करीमा बलोच अपने लोगों के लिए पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आवाज उठा रही थीं. धमकियां मिलने के बाद वो 2016 में भागकर कनाडा पहुंच गईं. 20 अगस्त, 2020 को जब बाहर घूमने निकली तो वापस नहीं लौटीं और 2 दिन बाद उनका शव ओन्टारियो झील के पास मिला. पुलिस ने इसे साधारण मौत बताकर केस बंद कर दिया. उनके पति तब से कनाडा सरकार से इंसाफ की मांग कर रहे हैं.

पाकिस्तान के जुल्म से परेशान थीं करीमा

बता दें कि स्विटजरलैंड के जिनेवा में बलोच कार्यकर्ताओं ने करीमा बलोच की मौत को लेकर प्रदर्शन किया. वो करीमा बलोच जिन्होंने बलोचिस्तान पर पाकिस्तानी जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई. जिन्हें 2016 में अपनी जान बचाने के लिए बलोचिस्तान से भागकर कनाडा में शरण लेनी पड़ी. लेकिन कनाडा की जमीन पर 2020 में करीमा बलोच को अपनी मांग की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी.

तीन साल से है इंसाफ का इंतजार

करीमा बलोच की मौत को लेकर कनाडा सरकार का रुख उसके दोहरे चरित्र को बेनकाब करने के लिए काफी है. खालिस्तानी आतंकी निज्जर की मौत को लेकर कनाडा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर लगातार सवाल खड़े कर रहा है. लेकिन बलोच कार्यकर्ता करीमा बलोच की मौत का सच खंगालने के लिए कनाडा तैयार ही नहीं है. करीमा बलोच का परिवार और बलोचिस्तान नेशनल मूवमेंट से जुड़े लोग करीमा की मौत के तीन साल बाद भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं.

ट्रूडो सरकार का दोहरा रवैया

किसी मौत को लेकर कनाडा की जस्टिन ट्रूडो का रवैया किस कदर दोहरा है. हम आपको इसका उदाहरण देते हैं. एक था खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर और दूसरी तरफ थीं बलोच कार्यकर्ता करीमा बलोच. निज्जर अवैध पहचान के आधार पर कनाडा भागा था जबकि करीमा बलोच अपनी जान बचाने के लिए कनाडा में शरण लिए हुई थीं. 10 लाख के इनामी निज्जर की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इससे 3 साल पहले दिसंबर 2020 में कनाडा में करीना बलोच की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हो गई. ट्रूडो सरकार निज्जर की मौत को लेकर भारत पर उंगली उठा रही है. लेकिन करीमा बलोच की मौत को गैर-आपराधिक बताकर पल्ला झाड़ लिया गया.

करीमा बलोच की मौत का मुद्दा बलोच कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं भारत के लिए अहम हो गया है. भारत के विदेश मंत्री कनाडा को दो टूक बता चुके हैं कि कनाडा की जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है. लगातार बदलते घटनाक्रम के बीच कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो अब अपने घर में भी घिर चुके हैं. दुनिया के लोग ही नहीं. उनके अपने ही उनसे पूछ रहे हैं कि अगर ट्रूडो सरकार के पास बताने के लिए कुछ है तो वो इसे बता क्यों नहीं देते. आखिर बिना किसी ठोस तथ्य के वो भारत पर सवाल किसके इशारे पर उठा रहे हैं.

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