मारे गए आतंकी ने कराया था 'बीमा', अब इस काम के लिए होगा पैसों का इस्‍तेमाल
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मारे गए आतंकी ने कराया था 'बीमा', अब इस काम के लिए होगा पैसों का इस्‍तेमाल

आतंकवादी का नाम मुल्ला अख्तर मंसूर (Mullah Akhtar Mansour) है और वह 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा जा चुका है. उसने पाकिस्तान में एक निजी कंपनी से 'जीवन बीमा' पॉलिसी खरीदी हुई थी. ऐसा लगता है कि मंसूर ने 21 मई, 2016 को अपनी मौत से पहले IGI जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड को 3 लाख पाकिस्तानी रुपये का भुगतान किया था.

मुल्ला अख्तर मंसूर (एएफपी)

नई दिल्‍ली: दुनिया वाकई विचित्र है और यहां कुछ भी असंभव नहीं है. अगर किसी ने हमसे पिछले साल कहा होता कि साल 2020 में पूरी दुनिया ठहर जाएगी तो हमें यकीन नहीं होता. लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) ने ऐसा कर दिखाया. इतना कुछ देखने के बाद आपके लिए इस पर भरोसा करना मुश्किल नहीं होगा कि एक तालिबान (Taliban) आतंकवादी (Terrorist) ने 'जीवन बीमा पॉलिसी' (life Insurance Policy) ले रखी थी. 

  1. पाकिस्‍तान की अदालत में सामने आया विचित्र मामला 
  2. तालिबानी आतंकवादी ने खरीद रखी थी बीमा पॉलिसी 
  3. निजी कंपनी ने सरकारी खजाने में जमा कराया पैसा 

इस आतंकवादी का नाम मुल्ला अख्तर मंसूर (Mullah Akhtar Mansour) था और वह 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा जा चुका है. उसने पाकिस्तान में एक निजी कंपनी से 'जीवन बीमा' पॉलिसी खरीदी हुई थी.

ऐसे सामने आया मामला 
मंसूर और उसके फरार साथियों के खिलाफ आतंकी फंडिंग मामले की सुनवाई के दौरान यह दिलचस्प बात सामने आई है. कराची में एक आतंकवाद विरोधी अदालत में बीमा कंपनी ने पुष्टि की कि तालिबान आतंकवादी ने बीमा पॉलिसी खरीदी थी. संघीय जांच एजेंसी (FIA) द्वारा दायर किए गए मामले की सुनवाई में पिछले साल यह रहस्योद्घाटन किया गया था.

मुल्ला अख्तर मंसूर ने नकली पहचान पर यह पॉलिसी खरीदी थी. ऐसा लगता है कि मंसूर ने 21 मई, 2016 को अपनी मौत से पहले IGI जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड को 3 लाख पाकिस्तानी रुपये का भुगतान किया था. 

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कंपनी ने सरकार को लौटाया पैसा 
अब बीमा कंपनी ने सरकारी खजाने में जमा करने के लिए अदालत में 3 लाख रुपये का चेक पेश किया है. हालांकि, एफआईए जांचकर्ताओं ने कंपनी से कहा है कि वह प्रीमियम के साथ मूल राशि का भुगतान करे ताकि पूरी राशि राजकोष में जमा हो सके.

आतंकवाद निरोधक अदालत के जज ने 2 निजी बैंकों, एलाइड बैंक लिमिटेड और बैंक अल-फलाह से उन खातों के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है, जिनमें अफगान तालिबान नेता और उसके सहयोगियों ने पैसे जमा किए थे. कोर्ट ने पैसे के लेन-देन का भी पूरा ब्‍यौरा मांगा है. 

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