Trending Photos
नई दिल्ली: पीरियड्स (Periods) के दौरान ज्यादातर महिलाएं सैनिटरी पैड (Sanitary Pad) पर निर्भर रहती हैं, लेकिन एक महिला को इन मुश्किल दिनों में नया 'प्रयोग' करना भारी पड़ गया. महिला को 33 घंटे दर्द से तड़पना पड़ा, उसकी तमाम कोशिशें नाकामयाब हो गईं तो उसे एक लेडी डॉक्टर का सहारा लेना पड़ा तब जाकर राहत मिली.
टिकटोक यूजर @colleenmor ने सोशल मीडिया पर मेन्स्ट्रुअल कप (Menstrual Cup) को लेकर अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है. उसने बताया कि मुश्किल दिनों में सेनेटरी पैड (Sanitary Pad) की जगह उसने मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल किया, लेकिन इसके बाद उसे बेहद दर्द से गुजरना पड़ा. मेन्स्ट्रुअल कप प्राइवेट पार्ट में फंस गया, इसके बाद ब्लीडिंग और बढ़ गई. इसे निकालने में 33 घंटे लगे. The Sun ने न्यूयॉर्क की 22 वर्षीय कोलीन के हवाले से लिखा, पहले कोलीन ने खुद ही मेन्स्ट्रुअल कप के दर्द से छुटकारा पाने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाईं, डॉक्टर के पास जाना पड़ा तब जाकर राहत मिली.
मेन्स्ट्रुअल कप भी सैनिटरी पैड और टैम्पून्स (Tampon) की तरह यूज किए जाते हैं. ये पार्ट में फिट हो जाते हैं और दोबारा इस्तेमाल हो सकते हैं. मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल जरूर बढ़ रहा है फिर भी इसे लेकर जागरुकता अभी कम है. मेन्स्ट्रुअल कप को लेकर ज्यादातर महिलाओं का यही कहना होता है कि इसे इस्तेमाल करने में दर्द होता है और निकालने में मुश्किल आती है. साथ ही लीकेज और त्वचा से रगड़ने की दिक्कत भी होती है.
यह भी पढ़ें; हाई हील्स का है सेक्स लाइफ से कनेक्शन! लव लाइफ को फिट करने में मिलती है हेल्प
मेन्स्ट्रुअल कप मुलायम और लचीले मैटीरियल जैसे रबड़ या सिलिकॉन से बने होते हैं. पार्ट में जाने के बाद मेन्स्ट्रुअल कप इस तरह फैल जाता है कि उससे ब्लड बाहर नहीं आता. इनमें टैम्पून्स या सेनेटरी पैड्स के मुकाबले ज्यादा ब्लड इकट्ठा होता है लेकिन इसे नियमित तौर पर खाली करने और साफ करने की जरूरत होती है. ये दो प्रकार के होते हैं- एक घंटी के आकार का वैजाइनल कप जो पार्ट में नीचे की तरफ फिट किया जाता है और दूसरा सरविकल कप जो थोड़ा ऊपर इस्तेमाल होता है.
LIVE TV