मैक्सिको: देश जिसकी वजह से डोनाल्ड ट्रंप लगा रहे हैं अमेरिका में इमरजेंसी
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मैक्सिको: देश जिसकी वजह से डोनाल्ड ट्रंप लगा रहे हैं अमेरिका में इमरजेंसी

मैक्सिको में अमीरों और गरीबों के बीच का फासला हमेशा से ही बहुत बड़ा रहा है जो यहां की सभी समस्याओं की जड़ रहा है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने चाहते हैं.  (फोटो: Reuters)

नई दिल्ली: दुनिया भर में मैक्सिको के नाम से मशहूर देश का पूरा नाम संयुक्त राज्य मैक्सिको है. यह ब्राजील और अरजेंटीना के बाद सबसे बड़ा लैटिन अमेरिकी देश है. इस विकासशील देश पिछले सौ सालों में कई बार शानदार आर्थिक प्रगति की, लेकिन इसके बाद भी यहां अमीरी और गरीबी की लंबी-चौड़ी खाई दुनिया भर में काफी चर्चित है. इसके अलावा उद्योग, प्राकृतिक तेल सहिज बड़े संसाधन, बहुत बड़ा सेवा क्षेत्र यहां कि खासियत हैं. इस देश को लोग आजकल अमेरिका के साथ आव्रजन समस्या के लिए ज्यादा जानते हैं. मध्य अमेरिका और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच यह देश इन दिनों खासी चर्चा में है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दिनों इस जिद पर अड़े हैं कि वे अमेरिका मैक्सिको की सीमा पर दीवार बना कर रहेंगे. 

मैक्सिको की उत्तरी सीमा अमेरिका से लगी है जिसमें अमेरिकी टेक्सास राज्य प्रमुख है. यह गणतंत्रीय देश पश्चिम में प्रशांत महासागर, पूर्व में कैरेबियन सागर और मैक्सिको की खाड़ी के बीच स्थिति है. इसके दक्षिण-पश्चिम में मध्य अमेरिका के देश बेलीज और ग्वेटामाला स्थित हैं. इसकी समुद्री सीमाएं क्यूबा और होंड्रॉस के साथ लगी हैं. 

स्पेन का खासा प्रभाव है इस देश में
यहां के लोगों को मैक्सिकन कहा जाता है. यहां के ज्यादातर लोग स्पेनिश भाषा बोलते हैं. जो इस दुनिया में सबसे ज्यादा इसके अलावा यहां अमेरिकी मूल की भाषाएं जैसे नाहुआत्ल, माया, जापोटेक भी बोली जातीं हैं. मैक्सिको सिटी इस देश की राजधानी है जो देश का सबसे बड़ा शहर है. यहां की जनसंख्या 12 करोड़ 35 लाख है जो इसे ब्राजील के बाद सबसे बड़ी जनसंख्या वाला लैटिन अमेरिकी देश बनाती है. पूरे देश का क्षेत्रफल 19 लाख 60 हजार किलोमीटर है. (758,449 वर्ग मील) है. यहां का प्रमुख धर्म ईसाई है. यहां की मुद्रा को पेसो कहा जाता है. यहां सबसे ज्यादा 62% लोग मैक्सिकन मेजटिजो नाम के मूल समुदाय के हैं. इसके 21 % अमेरिइडियन्स (अमेरिकी मूल के लोग) हैं उसके बाद 9% लोग यूरोपीय मूल के हैं. 

यहां 70% लोग शहरी इलाकों में रहते हैं. आधे से ज्यादा लोग देश के केंद्र में रहते हैं. राजधानी मैक्सिको सिटी सबसे बड़ी आबादी वाला महानगर है, वैसे तो इस देश में कई समय पर तेजी से आर्थिक विकास हुआ है, लेकिन इसके बावजूद यहां के मध्य और निम्न वर्ग के जीवन स्तर में सुधार होने के बजाय गिरावट ही आई है. अमेरिका और कनाडा से मजबूत संबंधों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में कमजोर ही रही है. 

संक्षिप्त इतिहास
मैक्सिको लंबे समय तक माया सभ्यता का हिस्सा रहा. यह देश लंबे समय तक करीब तीन हजार साल तक इस मीजोअमेरिकन सभ्यता के प्रभाव में रहा. इसकी खास बात यहां हुए लिखने की कला का विकास रही जिसकी वजह से यहां आधुनिक समाज आने से सैकड़ों साल पहले तक का लिखित इतिहास उपलब्ध है.  इसके बाद 16वीं सदी में स्पेन के औपनिवेशिक हमले के बाद से यह देश आधुनिक समाज से जुड़ा और इसमें बड़े राजनैतिक और सामाजिक बदलाव आए. इससे पहले का काल प्रीस्पेनिक काल या प्रीकोलंबियन काल कहा जाता है.

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औपनिवेशिक काल
1521 में स्पेनिश साम्राज्य ने एजटेक साम्राज्य को हरा कर मैकिस्को को अपने साम्राज्य में मिला लिया और इसे न्यू स्पेन कहा जाने लगा. तीन शताब्दियों तक स्पेन के वर्चस्व का प्रभाव इस देश में साफ दिखाई देता है. आज यहां स्पेनिश भाषा, ईसाई धर्म और आधुनिकता का प्रभाव खास तौर पर नजर आता है.  1821 में स्पेन से आजाद होने के बाद दो साल तक राजवंश (प्रथम मैक्सिकन साम्राज्य) और 1846 में मैक्सिको-अमेरिका युद्ध के पहले तक  सांता एन्ना का शासन रहा. युद्ध में अमेरिका से हारने के बाद मैक्सिको को एक बड़ा भूभाग (टेक्सास) अमेरिका को देना पड़ा. हार के बावजूद सांता एन्ना की सत्ता वापसी हुई लेकिन 1854 में उनके हटने के बाद उदारवादी सुधार शुरू हुए और 1857 का मैक्सिकन संविधान लागू हुआ. जिसमें सुधारवादी कानून प्रमुख थे. हालाकि इस दौरान रूढ़िवादियों की हार हुई लेकिन वे कमजोर नहीं हुए और दोनों के बीच संघर्ष जारी रहा. 

फ्रेंच आक्रमण और दूसरे मैक्सिकन साम्राज्य के बाद का स्वर्णिम युग
1861 में फ्रांस ने मैक्सिको पर हमला किया और रूढ़िवादी समर्थित मैक्जिमिलन-प्रथम को राजगद्दी पर में बिठा दिया जिससे द्वीतीय मैक्सिकन साम्राज्य की शुरुआत हुई. छह साल बाद मैक्जिमिलन को फांसी दिए जाने के बाद धीरे धीरे मैक्सिको में अस्थिरता का दौर खत्म होने लगा और 1876 में पोरफिरियो डियाज के शासन संभालने के बाद स्थायित्व और आर्थिक विकास का समय आया. इस दौरान देश ने हिंसा का अंत, आर्थिक आधुनिकरण, और बड़े पैमाने पर विदेश निवेश देखा.  

मैक्सिको क्रांति और उसके बाद का दौर
पोरफिरियो डियाज के काल में आधुनिक उन्नति तो हुई लेकिन 1911 में डियाज को विद्रोह का सामना करना पड़ा और उन्हें सत्ता से बाहर कर देश से बाहर कर दिया गया. देश में एक बार फिर अस्थिरता का दौर आ गया जो मैक्सिन क्रांति के तौर पर जाना जाता है. इसके बाद के शासकों को विरोध ज्यादा झेलना पड़ा. 2017 में एक बार फिर संविधान में कई सुधारवादी कानून लाए गए. 1920 में नई व्यवस्था लागू होने के बाद हिंसा का दौर थमा. इसके बाद धीरे-धीरे देश की एकमात्र राजनैतिक पार्टी पार्टिदो रिवोल्यूशनारियो इंस्टिट्यूशनल (पीआरआई) का देश की राजनीति पर कब्जा हो गया. 1930 के दशक में तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण हो गया.

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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ मैक्सिको मिरेकल
मैक्सिको में बहुत बड़ा बदलाव द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आया. मैक्सिको इस युद्ध में अमेरिका का साथी बना और इससे देश का बहुत ही ज्यादा फायदा हुआ. मैक्सिको को युद्ध सामग्री बनाने के लिए कच्चा माल मिला. इस उद्योग से उसे बहुत फायदा हुआ और युद्ध के खत्म होने के बाद देश में राजनैतिक स्थिरता, आर्थिक उन्नति का दौर शुरू हुआ जिसे मैक्सिकन मिरेकल कहा जाता है. देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ी और शहरीकरण भी बढ़ा जबकी काफी लोग पड़ोसी देश अमेरिका चले गए. 

आधुनिक मैक्सिको 
1988 में मैक्सिको में नव उदारवादी सुधार लागू हुए जिसमें संविधान में संशोधन हुआ जिसमें विदेशी व्यवसाय उपक्रमों को नियंत्रित करने के कानूनों में कटौती की गई. रोमन कैथोलिक चर्च पर कई बंधन हटा लिए गए. मैक्सिकों की अर्थव्यवस्था एक बार फिर अमेरिका से जुड़ गई. इसके बाद 1994 में उत्तरी अमेरिका फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (NAFTA) से दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाएं कम हो गईं. साल 2000 में पीआरआई के शासन का 70 साल बाद अंत हो गया. इसके बाद विसेंट फॉक्स ने 
नेशनल एक्शन पार्टी (PAN) को हराकर सत्ता हासिल की उनके बाद विरोधी दल के पैन ने फिलिपे काल्ड्रोन सत्ता में आने के बाद ड्रग माफिया के खिलाफ जंग छेड़ दी.  पीआरआई के एनरीक पेना नीटो ने सत्ता संभाली.  साल 2018 में हुए चुनावों के बाद आंद्रेस मैनुएल लोपेज ओब्राडोर अब मैक्सिकों के राष्ट्रपति हैं. 

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क्या है मैक्सिको और अमेरिका के बीच अवैध आव्रजन विवाद
दरअसल मैक्सिको और अमेरिका के बीच समस्या आज की नहीं है, बल्कि करीब एक शताब्दी पुराना है.  सालों से मैक्सिको से लोग अवैध तरीके से रोजगार की तलाश में अमेरिका आते रहे हैं और अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं. बताया जाता है कि 1970 के दशक के बाद से भी इस अवैध आव्रजन में लगातार वृद्धि होती रही. ऐसा नहीं है कि दोनों देशों की सीमा से केवल मैक्सिको के ही लोग अवैध तरीके से सीमा पार करते रहे. इस में लगभग उतनी ही संख्या में मैक्सिकन नागरिक थे जितनी संख्या में दुनिया के बाकी देश के लोग, लेकिन इसमें मैक्सिको के नागिरिकों की संख्या ज्यादा रही. यह सिलसिला 2008 तक बढ़ता ही रहा. एक शोधपरक अनुमान के मुताबिक 1990 के बाद से करीब तीन गुना ज्यादा मैक्सिकन नागरिकों ने साल 2007 में घुसपैठ की जो कि करीब 60 लाख से ज्यादा संख्या में थी. इसके अलावा एक अमेरिकी शोध के मुताबिक आज अमेरिका की 14 प्रतिशत आबादी उन निवासियों की है जो अवैध तरीके से देश में घुसे थे. 

दीवार बनाने की जिद बनी मुसीबत
अवैध आव्रजन का मुद्दा अमेरिका की राजनीति में लंबे समय से उठता रहा है. जबकि इसका समाधान कभी भी नहीं निकल सका. कानूनों में कई बार बदलाव भी वांछनीय परिणाम नहीं दिला सका. वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में इस मुद्दे को आतंकवादी घुसपैठियों से जोड़ा था और अवैध आव्रजन को रोकने के लिए विशेष कदम उठाने के लिए संकल्प लिया था. राष्ट्रपति बनने के तीन साल बाद ट्रंप ने इस साल अवैध घुसपैठ रोकने के लिए संसद से मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए 5.7 अरब डॉलर की राशि आवंटित करने का प्रस्ताव दिया जिसे कांग्रेस ने खारिज कर दिया. यहीं से बात बढ़ गई और ट्रंप ने इसके लिए आपातकाल लगा दिया. 

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तिजुआना में अमेरिका और मैक्सिको के बीच सैन सिडरो सीमा क्रॉसिंग (फोटो: Reuters)

असल समस्याएं
इसके अलावा दोनों देशों की सीमा के बीच ड्रग तस्करी भी एक मुद्दा रहा है. यहां ड्रग माफिया की जड़े काफी गहरी हैं. यहां नशीले पदार्थों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. वहीं अमेरिका में ड्रग्स की मांग हमेशा से ही बहुत ही ज्यादा रही है. जिसने ड्रग तस्करी को बढ़ावा दिया है. दूसरी तरफ मैक्सिको में गरीबों और मध्य वर्ग की समस्याएं शायद ही कभी सुलझी हैं इसी वजह से देश में पहले शहरीकरण और उसके बाद देश से पलायान लगातार जारी ही रहा है. गरीब लोग कड़े अमेरिकी कानून का कारण वैध तरीके से अमेरिका जाने में सक्षम नहीं रहे. हालाकि मजेदार बात यह है कि 2008 से अवैध घुसपैठ में लगातार गिरावट आई है और ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब काफी लोग (अवैध तरीके से) मैक्सिको वापस भी जा रहे हैं. लेकिन मैक्सिको से इतनी बड़ी मात्रा में पलायन वहां के आर्थिक सामाजिक अंतर की पुरानी कहानी का परिणाम है. तमाम आर्थिक उतार चढ़ाव के बाद भी मैक्सिको में गरीबों और मध्य वर्ग की समस्याएं कभी कम नहीं हुईं. हालात हमेशा ही कुछ ऐसे ही रहे हैं. 

हमेशा नुकसानदायक नहीं रहा है अमेरिका के लिए अवैध आव्रजन
 अमेरिका में काम बहुत ज्यादा रहा था और वहां लोगों को मजदूरों की जरूरत हमेशा ही रही. यही वजह है कि इतनी तादात में इतने सालों तक अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. कई ओपिनियन पोल में 70 प्रतिशत से ज्यादा अमेरिकी यह मानते हैं कि उन्हें अवैध आव्रजन से कोई परेशानी नहीं है.  कहा यह भी जाता है कैलिफोर्निया के जंगलों में गर्मियों के मौसम में लगी आग को बुझाने में अवैध आव्रजक कई बार मददगार साबित हुए हैं. 

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