Moscow Terror Attack: कौन सी गोलियां खाकर किलिंग मशीन बन गए ISIS के आतंकी? हमास भी करता है यूज
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Moscow Terror Attack: कौन सी गोलियां खाकर किलिंग मशीन बन गए ISIS के आतंकी? हमास भी करता है यूज

Moscow Attack Latest News: मॉस्‍को के एक कंसर्ट हॉल में लाशों का ढेर लगाने से पहले इस्लामिक स्टेट के संदिग्धों ने 'कैप्‍टागन' की गोलियां ली थीं. हमास के आतंकी भी इन गोलियों का इस्तेमाल करते हैं.

Moscow Terror Attack: कौन सी गोलियां खाकर किलिंग मशीन बन गए ISIS के आतंकी? हमास भी करता है यूज

Moscow Terror Attack News in Hindi: पिछले हफ्ते, मॉस्‍को में नरसंहार को अंजाम देने से पहले इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने ड्रग्स लिए थे. यह ड्रग्‍स ISIS लड़ाकों के बीच 'केमिकल करेज' नाम से जाना जाता है. इसकी गोलियां खाकर उनके मन से मौत का डर निकल जाता है. आतंकी एक तरह की किलिंग मशीन बन जाते हैं. उनका सिर्फ एक ही टारगेट होता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों का खून बहाना. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के हाथ लगे चार ISIS संदिग्धों के खून में इस ड्रग्स के अंश मिले हैं. रूसी कानून एजेंसियों के हवाले से 'द सन' ने छापा है कि संदिग्धों के ब्‍लड टेस्‍ट में 'कैप्‍टागन' मिलने की पुष्टि हुई है. कैप्‍टागन एक ब्रैंड का नाम है. असल में इस ड्रग का नाम फेनेथिलीन है. यह बेहद नशीली दवा है जिसका इस्तेमाल हमास के लड़ाके भी करते हैं. कथित रूप से 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले से पहले भी हमास के लड़ाकों ने 'कैप्‍टागन' की गोलियां खाई थीं.

बंदूकधारियों ने पिछले शुक्रवार को क्रॉकस सिटी हॉल में अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं. उस हमले में कम से कम 147 लोग मारे गए थे और 200 से ज्‍यादा घायल हुए थे. हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. 

'कैप्‍टागन' कैसी दवा है?

'कैप्‍टागन' एक साइकोस्टिमुलेंट ड्रग्स के ब्रैंड का नाम है. इस ग्रुप की दवाओं को फेनेथिलीन के नाम से जाना जाता है. ये एम्‍फैटेमिन और थियोफिलाइन को मिलाकर बनाई जाती हैं. 1961 में यह ड्रग्स प्रमुखता से बाजार में उपलब्ध हुआ. अगले करीब 25 साल तक फेनेथिलीन का यूज हल्‍के एम्‍फैटेमिन के विकल्प की तरह होता रहा. तब इसका इस्तेमाल बच्चों में ADHD (अटेंशन की कमी/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) के लिए होता था. नार्कोलेप्सी और डिप्रेशन के मरीजों को भी यह दवा दी जाती थी. एम्‍फैटेमिन के उलट, फेनेथिलीन से मरीज का ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता. इस दवा से कार्डियोवस्कुलर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का भी इलाज होता था. फेनेथिलीन बेहद नशीली दवा है और उसी खतरे को भांपते हुए 1986 में अधिकांश देशों ने इसे बैन कर दिया.

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सीरिया से खाड़ी देशों में होती है सप्लाई

'कैप्‍टागन' यानी फेनेथिलीन लंबे समय तक दिमाग को जगाए रखने और अलर्ट रहने में मदद करती है. इसे लेने वालों को लगता है कि वे बड़े खुश हैं और उनमें बड़ी एनर्जी आ गई है. सीरिया में ISIS लड़ाकों के बीच 'कैप्‍टागन' को 'केमिकल करेज' कहा जाता है. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह ड्रग्स लेने वाले एक तरह के 'यूफोरिया' से गुजरते हैं. उन्‍हें न नींद आती है, न भूख लगती है लेकिन बड़ा एनर्जेटिक फील होता है. 'कैप्‍टागन' को बड़े पैमाने पर सीरिया में बनाया जाता है और फिर मिडल ईस्‍ट में भेजा जाता है. जॉर्डन, लेबनान, तुर्की और सीरिया जैसे देशों में 'कैप्‍टागन' खूब बिकती है. वहां इसका रेट 4 डॉलर से 15 डॉलर के बीच है.

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