अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में तेहरान के साथ बहुराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अलग होने का विवादित फैसला लिया था.
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वाशिंगटन: अमेरिका ने ईरान के तेल और आर्थिक क्षेत्र को निशाना बनाते हुए दंडात्मक प्रतिबंध फिर से लागू किए हैं. विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इसे ईरान के खिलाफ अब तक का सबसे कड़ा प्रतिबंध बताया है. ये प्रतिबंध सोमवार (5 नवंबर) को लागू हुए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में तेहरान के साथ बहुराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अलग होने का विवादित फैसला लिया था. ये प्रतिबंध उसी के परिणाम हैं. इन प्रतिबंधों के कारण ईरान के साथ कारोबार करने वाली तीसरे देशों की कंपनियां सीधे तौर पर प्रभावित होंगी.
इससे विश्व के तेल बाजार प्रभावित होंगे. हालांकि, अमेरिका ने आठ देशों को ईरान से तेल आयात जारी रखने की अस्थायी छूट दे रखी है. पोम्पिओ ने ‘सीबीएस’ चैनल के 'फेस दी नेशन' से कहा कि अमेरिका की ओर से प्रतिबंध आज रात मध्य रात्रि से फिर से लागू होंगे.
इससे वहां तेल जगत और फाइनेंसियल क्षेत्रों में भारी असर पड़ने वाला है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि ईरान के खिलाफ यह अब तक का सबसे कड़ा प्रतिबंध है. इस प्रतिबंध से ईरान के साथ व्यापार करने वाले तीसरे देशों की कंपनियों को भारी नुकसान होगा. ये प्रतिबंध विश्व तेल बाजारों को भी ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि अमेरिका ने ईरानी तेल आयात जारी रखने के लिए आठ अधिकार क्षेत्रों में अस्थायी छूट प्रदान की है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयतोला अली खमेनी ने शनिवार को इस प्रतिबंध की निंदा की और कहा कि ट्रंप ने अमेरिकी प्रतिष्ठा को अपमानित किया है. उन्होंने कहा कि दोनों देश के बीच लंबे समय से चलने वाले इस झगड़े में उनकी हार होगी. पोंपियो ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि ईरान में प्रतिबंध सोमवार रात से लागू हो जायेगा, अगर वो चाहता है कि यह प्रतिबंध लंबे समय तक ना चले तो इसके लिए ईरान को अपने काम करने के तरीकों को बदलना होगा. ऊर्जा पहलुओं के विश्लेषक रिककार्डो फैबियानी ने कहा, 'सभी लोगों की नजरें ईरानी निर्यात पर होंगी, कुछ देश चीटिंग करने की भी सोचेंगे.'