नारायण मूर्ति ने कहा- हफ्ते में 70 घंटे काम करो, फिर इन देशों में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी क्यों रहती है?
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नारायण मूर्ति ने कहा- हफ्ते में 70 घंटे काम करो, फिर इन देशों में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी क्यों रहती है?

Work Hours: नारायण मूर्ति का यह बयान सोशल मीडिया पर खासा चर्चा में है. जहां कुछ लोग इस बयान का समर्थन कर रहे हैं. वहीं अच्छी खासी संख्या में यूजर्स इस बयान के खिलाफ नजर आ रहे हैं. 

नारायण मूर्ति ने कहा- हफ्ते में 70 घंटे काम करो, फिर इन देशों में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी क्यों रहती है?

World News In Hindi: इंफोसिस के को-फाउंडर एन. आर. नारायण मूर्ति द्वारा हाल ही में युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने सलाह दी गई थी. उन्होंने कहा था, ‘भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम उत्पादक देशों में एक है. जब तक हम अपनी कार्य उत्पादकता में सुधार नहीं करते…हम उन देशों के साथ कंपटीशन नहीं कर पाएंगे जिन्होंने बहुत अधिक विकास किया है.'  मूर्ति का यह बयान सोशल मीडिया पर खासा चर्चा में है. लेकिन मूर्ति का यह बयान कई सवाल खड़े करता है और अपने आप में बहुत अटपटा है.

एक घंटे में 70 घंटे वर्क आवर के लिए कितना काम करना होगा
अगर 6 दिन छुट्टी और एक दिन ऑफ का माना जाए तो 70 घंटे वर्क आवर के लिए हर दिन करीब साढ़े 11 घंटे काम करना होगा. वहीं ऐसे लोग जो दिन में सिर्फ पांच दिन काम करते हैं और जिनके ऑफिस में शनिवार और इतवार को छुट्टी होती है, उन्हें एक वीक में 70 घंटे वर्क आवर करने के लिए 5 दिन तक रोज 14 घंटे काम करना होगा.

अगर कोई व्यक्ति हप्ते के सातों दिन काम करे तो उसे रोज 10 दस घंटे काम करना होगा.   अब इसमें दफ्तर आने और जाने का टाइम भी जोड़ सकते हैं.

कर्मचारियों के अधिकार
सबसे जरूरी सवाल कर्मचारियों के अधिकार से जुड़ा है. 8 घंटे से अधिक समय ऑफिस में देने पर क्या कर्मचारी को अतिरिक्त वेतन और अधिक सुविधाएं दी जाएंगी? या फिर वह सैलरी में बिना इजाफे के सिर्फ फ्री में अपनी अधिक सेवाएं कंपनी को देगा? कर्मचारी के निजी जीवन और पारिवारिक जीवन का क्या होगा? क्या वह अपनी फैमिली और प्राइवेट लाइफ को कंपनी के लिए कुर्बाना कर देगा?

कई देशों हफ्ते में 4-डे वर्क वीक का बढ़ता चलन
मूर्ति ने हफ्ते में काम के 70 घंटे का समर्थन करते हुए विकसित देशों का दुहाई दी है. हालांकि यह तर्क भी आसानी से गले उतरने वाला नहीं है. आयरलैंड, स्पेन और यूके सहित दर्जनों देशों ने 4-डे वर्क वीक का ट्रायल किया है जिसके रिजल्ट भी बेहतर निकले हैं.

सीएनबीसी की एक खबर के मुताबिक यूके में जिन बिजनेस ने छह महीने के इस ट्रायल  में भाग लिया, उन्होंने कहा कि 4-दिवसीय वर्क वीक पर स्विच करने से उत्पादकता, मनोबल और टीम कल्चर में सुधार हुआ है. वहीं कर्मचारियों ने अधिक व्यक्तिगत समय बिताने से थकान कम हुई और जीवन संतुष्टि बढ़ी.

हालांकि किसी भी देश ने 4-डे वर्क वीक को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, कुछ देश इसका प्रयोग कर रहे हैं या ऐसी नीतियां अपना रहे हैं जो इस दिशा में मददगार साबित हों. हम चार देशों के के बारे में आपको बता रहे हैं जहां सबसे अधिक

दक्षिण अफ्रीका

28 कंपनियों के 500 से अधिक कर्मचारी दक्षिण अफ्रीका के हालाँकि किसी भी देश ने 4-दिवसीय कार्य-सप्ताह को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, कुछ देश इसका प्रयोग कर रहे हैं या ऐसी नीतियां हैं जो श्रमिकों को कम समय के लिए अनुरोध करने की अनुमति देती हैं. चार देश हैं ऐसे जहां 4-डे वर्कवीक को व्यापक रूप से अपनाया गया है, या इसका परीक्षण किया जा रहा है. इनमें साउथ अफ्रीका, बेल्जियम, आइसलैंड और जापान शामिल हैं.

जापान
2021 में, जापानी सरकार की वार्षिक आर्थिक नीति दिशानिर्देशों में एक सिफारिश यह भी शामिल थी कि कंपनियां को कर्मचारियों को 4-डे वर्कवीक और, फिर इसे बढ़ते हुए 3- डे वर्कवीक का ऑप्शन दिया जाए.

बेल्जियम
2022 की शुरुआत में, बेल्जियम सरकार ने एक रिफॉर्म पैकेज की घोषणा की जो श्रमिकों को अपना वेतन खोए बिना पांच के बजाय चार दिन काम करने का अधिकार देता है. यह कानून आधिकारिक तौर पर नवंबर 2022 में लागू हुआ.

हालांकि, नियोक्ताओं को अभी भी किसी कर्मचारी के वर्क-वीक को छोटा करने की रिक्वेस्ट को अस्वीकार करने का अधिकार है, बशर्ते कि वे अपना इनकार लिखित रूप में प्रस्तुत करें और अपने निर्णय के लिए ठोस कारण बताएं.

आइसलैंड
आइसलैंड में बड़े पैमाने पर 4डे-वर्कवीक को अपनाया गया है. हालांकि प्राइवेट बिजनेस सेक्टर में 4डे-वर्कवीक अपनाने की गति कुछ धीमी है.

दक्षिण अफ्रीका
28 कंपनियों के 500 से अधिक कर्मचारी दक्षिण अफ्रीका के 4-डे वर्क वीक ट्रायल में हिस्सा लिया था. यह एक्सपेरिमेंट 4 डे वीक साउथ अफ्रीका द्वारा चलाया जा रहा है, जो 4 डे वीक ग्लोबल की एक ब्रांच है. यह वही समूह ग्रुप है जिसने यूके में यह ट्रायल आयोजित किया था.

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