अंतरिक्ष से नहीं हो सकेगा धरती पर 'हमला', नासा ने बनाई फुलप्रूफ योजना
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अंतरिक्ष से नहीं हो सकेगा धरती पर 'हमला', नासा ने बनाई फुलप्रूफ योजना

धरती को एस्‍टेरॉयड (क्षुद्र ग्रह) या कॉमेट (पुच्‍छल तारे) से बचाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने व्‍यापक योजना बनाई है.

2013 में 66 फुट का एक एस्‍टेरॉयड रूस में गिरा था. (प्रतीकात्‍मक फोटो)

नई दिल्‍ली: हमारी धरती को एस्‍टेरॉयड (क्षुद्र ग्रह) या कॉमेट (पुच्‍छल तारे) जैसे नियर अर्थ ऑब्‍जेक्‍ट (NEOs) से हमेशा खतरा रहा है. धरती को इनसे बचाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने व्‍यापक योजना बनाई है. ये NEOs 3 करोड़ मील दूर से धरती पर गिरते हैं और भारी तबाही मचाते हैं. कई-कई बार पूरा का पूरा क्षेत्र तबाह हो जाता है. इसलिए नासा विभिन्‍न देशों की मदद से इस तबाही को रोकने का उपाय कर रही है. इसके लिए नासा ऐसा सिस्‍टम लगाएगी जिससे धूमकेतु या पुच्‍छल तारे के धरती पर हमले का पता पहले ही चल जाएगा और समय रहते उस खतरे को टाला जा सकेगा.

अमेरिका बचाएगा पूरी दुनिया को एस्‍टेरॉयड के हमले से
नासा ने जो मॉडस ऑपरेंडी तैयार की है, उसे 20 पन्‍नों की रिपोर्ट में समझाया गया है. इस रिपोर्ट का नाम-'नेशनल नियर अर्थ ऑब्‍जेक्‍ट प्रीपेयरडनेस स्‍ट्रेटजी एंड एक्‍शन प्‍लान' है. रिपोर्ट के मुताबिक 10 साल में ऐसे इंतजाम पूरे हो जाएंगे जिससे धरती को इनके हमलों से बचाया जा सके. नासा के प्‍लेनिटेरी डिफेंस अफसर लिंडले जॉनसन ने कहा कि अमेरिका पहले से ही इन हमलों से निपटने की क्षमता रखता है. अब इसे पूरी दुनिया के लिए उपलब्‍ध कराया जाएगा. जॉनसन ने कहा कि ग्राउंड टेलीस्‍कोप एस्‍टेरॉयड को तुरंत पकड़ लेते हैं. सौर मंडल के आंतरिक हिस्‍से में जूम कर एस्‍टेरॉयड को आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन उन रॉक्‍स को पकड़ पाना मुश्किल होता है जो पहले ही टूट चुके होते हैं और अंत‍रिक्ष में इधर-उधर घूम रहे होते हैं. वह सौर मंडल से बाहर आकर ग्रहों को नुकसान पहुंचाते हैं.

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2013 में रूस में एस्‍टेरॉयड गिरने से हुई थी भारी तबाही
2013 में 66 फुट का एक एस्‍टेरॉयड अचानक दिखा और रूस में गिरकर उसमें विस्‍फोट हो गया था. इससे हजारों इमारतों को नुकसान पहुंचा था और बड़ी संख्‍या में लोग घायल हो गए थे. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक नासा के एक्‍शन प्‍लान में एनईओ की पहचान और वह धरती पर गिरने के बाद कितनी तबाही मचा सकता है, इसका अध्‍ययन करना है. नासा इस पर 70 के दशक से अध्‍ययन कर रहा है. 90 के दशक में उसने स्‍पेसगार्ड के नाम से एक प्रोजेक्‍ट भी शुरू किया था. उसके अब तक के अध्‍ययन की संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भी सराहना की है. 2016 में उसने बाकायदा प्‍लेनिटेरी डिफेंस कोऑर्डिनेशन ऑफिस विकसित किया था और नए बनने वाले 95 फीसदी एनईओ के बारे में जानकारी मुहैया कराई है.

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