मधेसियों की मांगों के लिए संविधान में बदलाव करेगा नेपाल
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मधेसियों की मांगों के लिए संविधान में बदलाव करेगा नेपाल

नेपाल की तीन प्रमुख पार्टियों ने शुक्रवार को नये संविधान में अगले तीन महीनों के भीतर संशोधन करने का निर्णय किया है ताकि भारतीय मूल के मधेसियों की मांगों का समाधान किया जा सके। वहीं मधेसियों से त्रिपक्षीय वार्ता बंद कर दी गई थी क्योंकि आंदोलनकारी नेता इसमें शामिल होने नहीं आये।

काठमांडू : नेपाल की तीन प्रमुख पार्टियों ने शुक्रवार को नये संविधान में अगले तीन महीनों के भीतर संशोधन करने का निर्णय किया है ताकि भारतीय मूल के मधेसियों की मांगों का समाधान किया जा सके। वहीं मधेसियों से त्रिपक्षीय वार्ता बंद कर दी गई थी क्योंकि आंदोलनकारी नेता इसमें शामिल होने नहीं आये।

सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल, यूसीपीएन-माओवादी और मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यह निर्णय बलुआटार में नेपाल के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में किया। बैठक का आयोजन देश में जारी राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए किया गया था।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष सुशील कोईराला और यूसीपीएन-माओवादी प्रमुख प्रचंड ने संसद में पंजीकृत संविधान संशोधन विधेयक के साथ आगे बढ़ने और संघीय इकाइयों के सीमांकन के संबंध में मुद्दों को तीन महीने के भीतर सुलझाने पर सहमति जताई।

मधेसी समूहों की दो प्रमुख मांग- आनुपातिक प्रतिनिधित्व और जनसंख्या के आधार पर संसद की सीट के आवंटन को पूर्ववर्ती नेपाली कांग्रेस नीत सरकार की ओर से प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक में शामिल किया गया है।

बैठक में पार्टियों ने भारत से लगने वाली सीमा पर स्थित प्रमुख व्यापार मार्गों की नाकेबंदी, दक्षिणी नेपाल में चल रहे आंदोलन और आंदोलनकारी मधेसी पार्टियों की चिंताओं को दूर करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। 

यह बैठक नेपाल के उप प्रधानमंत्री कमल थापा के भारत की तीन दिवसीय निजी यात्रा से स्वदेश लौटने के एक दिन बाद हुई। इस यात्रा के दौरान थापा ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की और उनसे नेपाल-भारत सीमा नाकेबंदी और नए संविधान के खिलाफ मधेसी पार्टियों के जारी आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।

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