किसी भी वायरस में लगातार म्यूटेशन होता रहता है. ज्यादातर वेरिएंट खुद ही म्यूटेट होने के बाद मर जाते हैं, लेकिन कभी-कभी वायरस म्यूटेट होने के बाद पहले से कई गुना ज्यादा मजबूत और खतरनाक होकर सामने आते हैं. कोरोना वायरस आया है तब से 4 हजार बार म्यूटेट कर चुका है.
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लंदन: क्रिसमस (Christmas Day) से ठीक पहले ब्रिटेन (Britain) में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट मिलने से हड़कंप मचा हुआ है. आलम ये है कि कई इलाकों में ऐतिहातन सख्त लॉकडाउन लगाया जा चुका है. ऐसे में ये सवाल भी उठने लगें है कि कहीं वायरस की बदली हुई स्ट्रेन पर कोरोना की वैक्सीन कम इफेक्टिव तो नहीं?
इस मुद्दे पर विश्व भर के वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं. हालांकि अभी तक वायरस (Coronavirus) की नई सीक्वेंसिंग नहीं हुई है और एक्सपर्ट इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने कोरोना के इस नए स्ट्रेन को VUI-202012/01 नाम दिया है. वहीं प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने आशंका जताई है कि वायरस का नया स्ट्रेन 70 प्रतिशत ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इसलिए उन्होंने लॉकडाउन के चलते लोगों को क्रिसमस मनाने की भी छूट नहीं दी है.
वायरस में म्युटेशन
किसी भी वायरस में लगातार म्यूटेशन होता रहता है. ज्यादातर वेरिएंट खुद ही म्यूटेट होने के बाद मर जाते हैं, लेकिन कभी-कभी वायरस म्यूटेट होने के बाद पहले से कई गुना ज्यादा मजबूत और खतरनाक होकर सामने आते हैं. ये प्रक्रिया इतनी जल्दी होती है कि वैज्ञानिकों को भी समझने और रिसर्च करने में समय लगता है और तब तक वायरस एक बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले चुका होता है. जैसा कि ब्रिटेन समेत कई देशों में दिख रहा है.
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4 हजार बार हुआ वायरस में म्यूटेशन
ब्रिटेन के दिखे कोरोना के इस नए वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए दिल्ली एम्स में कोरोना सेंटर के हेड डॉ राजेश मल्होत्रा ने बताया कि जब से कोरोना वायरस आया है तब से 4 हजार बार म्यूटेट कर चुका है. हालांकि ये देखना होगा कि ब्रिटेन में बढ़ते हुए कोरोना के केसों का असल कारण क्या सच में वायरस की नई स्ट्रेन है या फिर कुछ और इस पर अभी और रिसर्च की जरूरत है.
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कम असरदार हो जाएगी वैक्सीन!
अब वैज्ञानिक इस बात का पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कोरोना वायरस के नये वेरिएंट के Genome में बदलाव हुआ है या नहीं. वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर बदलाव होता है तो वैक्सीन के कम असरदार होने का खतरा बढ़ जाएगा. हालांकि अभी तक कोरोना वायरस के जितने भी नए रूप मिले, उनकी जीनोम संरचना में कोई बदलाव नहीं दिखा है.