मून ने दक्षिण कोरियाई दूतों के उत्तर कोरिया की यात्रा को कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम बताया, जो अमेरिकी सरकार के दृढ़ समर्थन के बिना संभव नहीं हो पाता.
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सोल: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन का कहना है कि उत्तर कोरिया द्वारा हाल के दिनों में दक्षिण कोरिया और वॉशिंगटन के प्रति नरम रुख अपनाए जाने के बावजूद परमाणु संकट खत्म करने के रास्ते में अभी और 'महत्वपूर्ण पड़ाव' आने हैं. उत्तर कोरिया यात्रा के परिणामों से अमेरिका को अवगत कराने के लिए दक्षिण कोरिया के दो अधिकारियों की रवानगी से पहले राष्ट्रपति ने उक्त बात कही. दक्षिण कोरिया के अधिकारी ने कहा कि उत्तर कोरिया ने संबंधों को सामान्य करने एवं कोरियाई प्रायद्वीप के निरस्त्रीकरण के लिए अमेरिका से बातचीत की पेशकश की है.
उत्तर कोरिया की पिछली हरकतों पर उठे सवाल
दक्षिण कोरिया ने कहा कि उत्तर कोरिया भविष्य में इस तरह की वार्ताओं के दौरान अपने परमाणु एवं मिसाइल परीक्षणों को टालने पर भी सहमत हुआ है. बहरहाल कुछ विशेषज्ञों ने उत्तर कोरिया की पिछली हरकतों का हवाला देते हुए इस कथित पेशकश पर उसकी गंभीरता को लेकर सवाल उठाये हैं. दक्षिण कोरिया के अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने कहा कि अगर देश के खिलाफ सैन्य खतरा समाप्त हो जाता है और उसकी सुरक्षा की गारंटी दी जाती है, तो उसके पास परमाणु हथियार कार्यक्रम जारी रखने की कोई वजह नहीं होगी.
अमेरिका के दृढ़ समर्थन के बिना संभव नहीं
मून ने कहा, 'हम एक गंभीर समय से उबरे हैं, लेकिन कोरियाई प्रायद्वीप के निरस्त्रीकरण एवं स्थायी शांति से पहले हमारे समक्ष ऐसे कई गंभीर क्षण आने वाले हैं जिनसे हमें अब भी गुजरना बाकी है.' मून ने दक्षिण कोरियाई दूतों के उत्तर कोरिया की यात्रा को कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम बताया, जो अमेरिकी सरकार के दृढ़ समर्थन के बिना संभव नहीं हो पाता.
उत्तर कोरिया के साथ बातचीत पर जापानी पीएम ने किया आगाह, बोला- उठाए जाएं ठोस कदम
वहीं दूसरी ओर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गुरुवार (8 मार्च) को आगाह किया कि परमाणु निरस्त्रीकरण के संबंध में अमेरिका के साथ बातचीत की उत्तर कोरिया की पेशकश सिर्फ कुछ समय पाने का नाटक हो सकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्योंगयांग को‘‘ ठोस कदम’’ उठाने चाहिए. उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच कूटनीतिक बातचीत के बाद इस संबंध में अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में आबे ने कहा कि सिर्फ बातें करने के लिए वार्ता करना ‘‘अर्थहीन’’ है. आबे ने सांसदों से कहा, ‘‘मैंने बार- बार कहा है कि हमें उत्तर कोरिया पर अधिकतम दबाव बनाने के लिए परिस्थितियां तैयार करनी होंगी, ताकि उत्तर कोरिया हमसे वार्ता करना चाहे.’’
(इनपुट एजेंसी से भी)