एमआरआई की मौजूदा तकनीकों में एकमात्र कंट्रास्ट एजेंट का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे मरीज की नसों में तस्वीरें लेने के लिए भेजा जाता है.
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वाशिंगटन: वैज्ञानिकों ने एमआरआई :मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग: को बहुरंगी बनाने का तरीका विकसित कर लिया है जिससे बीमारियों की पहचान में मदद मिल सकती है. एमआरआई की मौजूदा तकनीकों में एकमात्र कंट्रास्ट एजेंट का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे मरीज की नसों में तस्वीरें लेने के लिए भेजा जाता है. नई तरकीब में एकसाथ दो एजेंटों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे डॉक्टर एक ही एमआरआई में किसी मरीज के आंतरिक अंगों के कई गुणों का पता लगा सकते हैं.
अलग-अलग कंट्रास्ट एजेंटों का एक साथ पता लगाने की सुविधा
अमेरिका के केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में अशोशिएट प्रोफेसर क्रिस फ्लास्क ने कहा, ‘‘हमने जिस तरीके को तैयार किया है, वह पहली बार एमआरआई के दो अलग-अलग कंट्रास्ट एजेंटों का एक साथ पता लगाने की सुविधा देता है.’’ उदाहरण के लिए, दो कंट्रास्ट एजेंट में से एक बीमार ऊतक को लक्षित कर सकता है और दूसरा यह दिखा सकता है कि कोई अन्य ऊतक कितना स्वस्थ है.