सरकार ने उपयोगकर्ताओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताते हुए इन उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रही है जबकि कुछ संगठनों का दावा है कि ये उपकरण धूम्रपान बंद करने में मदद करते हैं
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नई दिल्ली: ई-सिगरेट समेत इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) के तीन हजार से अधिक उपयोगकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे देश में इन उपकरणों को वैध बनाने का अनुरोध किया और कहा कि ये पारंपरिक सिगरेट के लिए अधिक सुरक्षित विकल्प हैं. यह कदम ईएनडीएस के नुकसान में कमी के पहलुओं को लेकर जोरदार बहस के बीच आया है. सरकार ने उपयोगकर्ताओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताते हुए इन उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रही है जबकि कुछ संगठनों का दावा है कि ये उपकरण धूम्रपान बंद करने में मदद करते हैं और पारंपरिक सिगरेट के लिए कम नुकसानदायक विकल्प हैं.
हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इन तर्कों को स्थापित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है. अपनी याचिका में उन्होंने दावा किया है कि पारंपरिक सिगरेट पीना बंद करने के बाद उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है. हैदराबाद के एक पेशेवर व्यक्ति जगन्नाथ सारंगापानी ने कहा, ‘‘मैं 51 साल का हूं और मैं ई-सिगरेट की मदद से एक दिन में 40 से अधिक सिगरेट पीने की आदत को सफलतापूर्वक छोड़ चुका हूं.
मैंने सहनशक्ति हासिल कर ली है. मेरे ह्रदय की स्थिति बेहतर है. मेरे जैसे हजारों लोग हैं, जिनके जीवन में सकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ा है.’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-सिगरेट के ‘‘नये उभरते खतरे’’ से निपटने के लिए उचित कदम उठाने में केन्द्र के विलंब पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले वर्ष अगस्त में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ईएनडीएस के निर्माण, बिक्री और आयात को रोकने के लिए एक परामर्श जारी किया था.
इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में परामर्श को चुनौती दी गई जिसमें आदेश दिया गया कि यह परामर्श राज्यों और सरकारी निकायों पर गैर-बाध्यकारी है. हालांकि भारत में 13 राज्य-पंजाब, कर्नाटक, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, झारखंड और मिजोरम में पहले से ही ई-सिगरेट और ई-हुक्का के इस्तेमाल और बिक्री पर प्रतिबंध है.