पाकिस्तानी सेना प्रमुख का दावा- देश आतंकवाद को हराने के पथ पर है
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पाकिस्तानी सेना प्रमुख का दावा- देश आतंकवाद को हराने के पथ पर है

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने दावा किया कि देश आतंकवाद को हराने के लिए ‘‘सकारात्मक पथ’’ पर है.

पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा करता है: जावेद बाजवा.(फाइल फोटो)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने दावा किया कि देश आतंकवाद को हराने के लिए ‘‘सकारात्मक पथ’’ पर है. उन्होंने देश को अंधेरे की ओर धकेलने का प्रयास कर रही ‘‘सभी द्वेषपूर्ण ताकतों’’ को हराने का आह्वान किया. पाकिस्तान पर आतंकवादियों की पनाहगाहों को खत्म करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर उन्होंने कहा कि आतंकवाद वैश्चिक समस्या है और इससे सामूहिक तौर पर निपटने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा करता है और उन्होंने शांति कायम करने के लिए व्यवस्था एवं शांति की सभी ताकतों को पूरा समर्थन दिया.  

पाकिस्तानी सेना भारत के साथ संबंधों को बनाना चाहती है बेहतर, जानिए क्या है वजह
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का मानना है कि शांति और समृद्धि की राह भारत के साथ सैन्य सहयोग के रास्ते होकर जाती है. पाकिस्तान के एक विशेषज्ञ ने एक ब्रिटिश थिंक टैंक कमेंट्री में यह कहा है. पड़ोसी देश में नीतिगत फैसलों पर गहरा प्रभाव रखने वाली पाक थल सेना ने देश की आजादी के बाद कई बरसों तक सत्ता को अपने नियंत्रण में रखा है. ब्रिटेन के रॉयल यूनाइट्स सर्विस इंस्टीट्यूट में विजिटिंग फेलो कमाल आलम ने कहा कि हाल ही में पाकिस्तान के आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ जनरल बाजवा ने भारतीय सैन्य अताशे संजय विश्ववासराव और उनकी टीम को इस्लामाबाद में पाकिस्तान सैन्य दिवस परेड के लिए आमंत्रित किया था.

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पिछले हफ्ते जारी अपनी रिपोर्ट में आलम ने कहा है कि बाद में जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान सेना भारत के साथ शांति और वार्ता चाहती है. दोनों देश सितंबर में रूस में संयुक्त सैन्य अभ्यास में भी भाग लेंगे, जिसमें चीन भी हिस्सा लेगा. खबर में कहा गया है ‘‘यह पहलें नियंत्रण रेखा पर लगभग हर सप्ताह दोनों ओर से हुई गोलीबारी की पृष्ठभूमि में की गई हैं.

हालांकि नवंबर 2016 में बाजवा के सीओएएस बनने के बाद से रूख में भी बदलाव आया है.’’ पिछले साल ब्रिटेन की यात्रा के दौरान जनरल बाजवा ने आरयूएसआई में अपने संबोधन में कहा था ‘‘पाकिस्तान की सेना असुरक्षित नहीं है, उसे अपने भविष्य पर भरोसा है और वह पाकिस्तान की प्रमुख अवसंरचना परियोजना ‘चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ ( सीपीईसी ) में भारत की भागीदारी का स्वागत करते हैं.’’ खबरों में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान ने पहले भी संबंध बेहतर करने के प्रयास किए हैं.

1980 के दशक में जनरल जिया उल हक और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐसे प्रयास किए. वर्ष 2002 में आगरा शिखर सम्मेलन में, सीमा पर करीब एक साल तक चली तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रिश्ते सुधारने की कोशिश की थी. खबर में कहा गया है ‘‘पाकिस्तानी जनरलों की पहल का भारत में कुछ ने स्वागत किया है’’ 

इनपुट भाषा से भी 

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