पाकिस्तान आम चुनाव से पहले आतंकवादी हमलों में करीब 150 लोगों के मारे जाने पर रविवार (15 जुलाई) को शोक दिवस मना रहा है.
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान आम चुनाव से पहले आतंकवादी हमलों में करीब 150 लोगों के मारे जाने पर रविवार (15 जुलाई) को शोक दिवस मना रहा है और ऐसे में प्रमुख अखबारों ने सेना एवं सरकार के इस दावे पर प्रश्न खड़ा किया है कि उन्होंने देश में आतंकवाद को कुचल डाला है. अशांत बलूचिस्तान और पख्तूनख्वा प्रांतों में चुनावी रैलियों पर एक के बाद एक कर कर तीन हमले हुए जिनमें 150 नागरिकों के साथ दो बड़े नेता मारे गये. इससे यह चिंता फिर खड़ी हो गयी है कि हिंसा से 25 जुलाई के मतदान में बाधा पहुंच सकती है.
आतंकवादी हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपने सख्त संपादकीय में लिखा, ‘‘पाकिस्तान में आतंकवादी ताकतों को खदेड़ने के सरकार के दावे में खून के छींटे हैं.’’ उसने लिखा है , बताया गया है कि पुलिस , अर्धसैनिक बलों और सेना के निरंतर प्रयास से तहरीक ए तालिबान पाकस्तान जैसे संगठन के कदम पीछे हट गये लेकिन इतने नहीं हटे कि वे फिर से घातक प्रहार नहीं कर पाये.
उसने कहा कि चुनाव प्रचार पूरे जोरों पर है और ऐसे में जब इन संगठनों से मुकाबला करने की बात सामने आती है तो सरकार की ठसक पर सवाल खड़ा होता है. डॉन अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि आतंकवादी हमलों में आकस्मिक वृद्धि से जरुरी हो जाता है कि सरकार सुरक्षा की मांग करने वाले सभी उम्मीदवारों को अविलंब सुरक्षा देने समेत तत्काल जरुरी उपाय करे.
बिना किसी चेतावनी के हुए इन हमलों से खुफिया तंत्र में चूक का संकेत मिलता है. द न्यूज ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने खतरे में चल रहे लोगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर चुनाव की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई क्यों नहीं की.
इनपुट भाषा से भी