आईवीएफ के जरिए जिन कपल्स को बच्चे की चाहत होती है, उसके लिए कई मापदंड अपनाए जाते हैं. जिसमें डोनर के स्पर्म की जांच भी शामिल है. ऐसे में 'नेचुरल' तरीके से जो लोग शॉर्टकट अपनाने की सोच रहे हैं, उनके साथ काफी बुरा भी हो सकता है.
लंदन/नई दिल्ली: कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है. इस दौरान आश्चर्यजनक तौर पर बहुत सारी चीजें बदली भी हैं. सप्लाई और डिमांड में भारी अंतर आया है. इससे दुनिया का कोई भी कोना अछूता नहीं है. इस 'सप्लाई और डिमांड' का असर पूरी दुनिया में ऐसे कपल्स पर भी पड़ा है, जो बच्चा तो चाहते हैं लेकिन किसी वजह से वो 'नेचुरल' तरीके से बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे.
संतान की चाहत रखने वाले ऐसे कपल्स आईवीएफ क्लीनिक्स का रुख करते हैं. जहां कई बार पति के ही स्पर्म का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अधिकतर केसों में पति के स्पर्म की जगह किसी डोनर का स्पर्म इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन कोरोना लॉकडाउन की वजह से स्पर्म डोनर तक की कमीं दर्ज की गई.
डेलीमेल की खबर के मुताबिक 6 बच्चों के पिता ब्रैडली वॉइट ने बताया कि उन्हें मार्च 2020 से अबतक कम से कम 40 लोगों ने स्पर्म देने का अनुरोध किया. ये पिछले कुछ समय की तुलना में बहुत ज्यादा है. इसके बावजूद उन्होंने 10 कपल्स को अपना स्पर्म डोनेट किया. लेकिन इसी मामले में कुछ ऐसे लोग भी सक्रिय हो गए हैं, जो कपल्स की मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.
ब्रैडली वॉइट ने कहा कि मैंने कई ऐसे लोगों के बारे में सुना, जिन्होंने स्पर्म सैंपल देने के लिए भी सैकड़ों पाउंड की मांग की. दरअसल, स्पर्म डोनर से स्पर्म लेने के बाद सीधे तौर पर उसका इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसके लिए आईवीएफ क्लीनिक उस स्पर्म की जांच को करते ही हैं, साथ ही डोनर के पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में भी पता किया जाता है. इसका मकसद ये होता है कि उस डोनर के स्पर्म से पैदा हुए बच्चे में किसी तरह की कोई बीमारी न हो. इस प्रोसेस में काफी खर्च आता है. ऐसे में कुछ लोगों ने दूसरे रास्ते भी खोज निकाले.
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट पर ऐसे कई ग्रुप बने हैं, जिनमें स्पर्म डोनर और उनकी चाह रखने वाले लोग शामिल हैं. ऐसी ही लोगों में से कुछ ऐसे भी लोग सामने आए, तो 'नेचुरल' तरीके से स्पर्म देने की चाहत रखते हैं. यानि कि वो स्पर्म डोनेट करने के बहाने 'शारीरिक चाहत' पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं और ये प्रस्ताव रख रहे हैं कि वो 'नेचुरल' तरीके से बच्चा जन्म देने में मदद करेंगे. हालांकि ऐसा पूरी तरह से गलत है.
आईवीएफ के जरिए जिन कपल्स को बच्चे की चाहत होती है, उसके लिए कई मापदंड अपनाए जाते हैं. जिसमें डोनर के स्पर्म की जांच भी शामिल है. ऐसे में 'नेचुरल' तरीके से जो लोग शॉर्टकट अपनाने की सोच रहे हैं, उनके साथ काफी बुरा भी हो सकता है. क्योंकि इस तरीके से हो सहता है कि वो किसी संक्रमण का शिकार हो जाएं या आने वाले बच्चे में कोई बीमारी उसे डोनर से मिल जाए. ऐसे में डॉक्टरों ने इस 'नेचुरल' तरीके को 'इनसिक्योर' करार दिया है और कहा है कि लोग शॉर्टकट के चक्कर में पड़कर अपना सबकुछ न बर्बाद करें.
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