मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी अस्पताल में इस बच्ची क्वेक यू जुआन (Kwek Yu Xuan) का जन्म 9 जून 2020 को हुआ था. जन्म के समय इसका वजन 212 ग्राम था, जबकि उसकी लंबाई 24 सेंटीमीटर थी. (फोटो सोर्स- मिरर)
क्वेक यू जुआन (Kwek Yu Xuan) का जन्म सिर्फ 5 महीने मे ही हो गया था और इस कारण उसके कई बॉडी पार्ट्स ठीक से डेवलप नहीं हो पाए थे. उसके फेफड़े भी ठीक से विकसित नहीं हो पाए थे और वह बिना वेंटिलेटर के सांस तक नहीं ले पाती थी. इसके अलावा उसकी स्किन भी काफी नाजुक थी. (फोटो सोर्स- मिरर)
जन्म के समय बच्ची का वजन एक सेब के जितना था, जिसे देखकर डॉक्टर और नर्स भी हैरान रह गए. बच्ची को जब इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में लाया गया, तब डॉक्टर झांग सुहे को आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मैंने अपने 22 साल के करियर में ऐसा छोटा नवजात बच्चा कभी नहीं देखा, जिसका वजन इतना कम हो. (फोटो सोर्स- मिरर)
जन्म के बाद क्वेक यू जुआन (Kwek Yu Xuan) 13 महीने तक अस्पताल के गहन चिकित्सा यूनिट (ICU) में रही और हफ्तों तक वेंटिलेटर पर रखा गया. उसे 9 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. (फोटो सोर्स- मिरर)
समय से 4 महीने पहले पैदा हुई बच्ची को जिंदा रखना डॉक्टरों के लिए बहुत ही मुश्किल था. हालांकि अब बच्ची स्वस्थ्य है और 9 जुलाई को डिस्चार्ज होने के समय क्वेक यू जुआन (Kwek Yu Xuan) का वजन 6.3 किलोग्राम था. (फोटो सोर्स- मिरर)
क्वेक यू जुआन (Kwek Yu Xuan) की डिलिवरी और इलाज में शामिल रहे डॉक्टरों और नर्सों ने अपना अनुभव शेयर किया और बताया है कि उनके सामने किस तरह की चुनौतियां थीं. नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के नवजात विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एनजी ने कहा है कि यह हमें पहले से पता था कि बच्ची का वजन कम होगा, लेकिन वह उससे भी कहीं कम वजन की पैदा हुई. उन्होंने कहा, 'उसकी स्किन इतनी नाजुक थी कि उसकी जांच नहीं कर पाते थे और उसका शरीर इतना छोटा था कि उसके लायक ब्रीदिंग ट्यूब की तलाश मुश्किल हो गई थी. वह इतनी छोटी थी कि दवा का हिसाब भी दशमलव अंक में लगानी पड़ती थी.' इसके अलावा केयरटेकर के लिए डायपर को लेकर चुनौती थी, क्योंकि नवजात बच्चे का डायपर जुआन के लिए काफी बड़ा होता था और मेडिकल टीम को कैंची से काटकर डायपर का इस्तेमाल करना पड़ता था. (फोटो सोर्स- मिरर)
क्वेक यू जुआन (Kwek Yu Xuan) के इलाज के लिए उसके माता-पिता ने क्राउड फंडिंग के जरिए 1.9 लाख पाउंड यानी करीब 1 करोड़ 95 लाख रुपये जमा किए गए थे, जिसमें से करीब 1 लाख पाउंड यानी 1 करोड़ 3 लाख रुपये उसके इलाज में खर्च हो गए. उन्होंने बाकी के पैसे भविष्य में होने वाले इलाज के खर्चों के लिए रखे हैं. (फोटो सोर्स- मिरर)
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