DNA with Sudhir Chaudhary: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी के यूरोप दौरे के क्या मायने? कैसे महाशक्ति बन रहा भारत
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DNA with Sudhir Chaudhary: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी के यूरोप दौरे के क्या मायने? कैसे महाशक्ति बन रहा भारत

PM Narendra Modi Germany Visit: पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के लिए तीन देशों के दौरे के पहले चरण में जर्मनी (Germany) पहुंचे हुए हैं. वे वहां पर अपने साथ बड़ा डेलीगेशन भी लेकर गए हैं. आखिरकार रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच उनके इस यूरोप दौरे के मायने क्या हैं.

DNA with Sudhir Chaudhary: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी के यूरोप दौरे के क्या मायने? कैसे महाशक्ति बन रहा भारत

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DNA on PM Narendra Modi Germany Visit: पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के लिए जर्मनी (Germany) पहुंचे हुए हैं. सोमवार को जर्मनी पहुंचने के बाद वहां रहने वाले भारतीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जबरदस्त स्वागत किया. इस दौरान एक भारतीय बच्चे ने पीएम मोदी को देशभक्ति की कविता सुनाई और एक दूसरी बच्ची ने अपने हाथों से बनाई पीएम मोदी की एक तस्वीर दिखाई. इस तस्वीर पर मोदी ने अपना ऑटोग्राफ भी दिया. 

जर्मनी में बड़ा डेलीगेशन लेकर गए हैं पीएम मोदी

पीएम मोदी (Narendra Modi) जर्मनी (Germany) की इस यात्रा में एक बड़ा डेलीगेशन लेकर गए हैं. आखिर इतना बड़ा डेलीगेशन साथ ले जाने का कूटनीतिक महत्व क्या है. दरअसल अभी तक भारत ने अमेरिका, रशिया, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के साथ अपने निजी संबंध बना कर रखे थे. इन देशों के नेताओं के साथ पीएम मोदी की एक पर्सनल केमिस्ट्री है, लेकिन बाकी यूरोपीय देशों के साथ भारत के इस तरह के संबंध नहीं रहे. 

यूरोपीय यूनियन में जर्मनी (Germany) को सबसे रूढ़िवादी देश माना जाता है और हाल ही में वहां पर नए नेता की चांसलर के तौर पर नियुक्ति भी हुई है. प्रधानमंत्री मोदी 65 घंटे में 3 देशों को कवर करेंगे, ये हैं जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस. ऐसे में ये यात्रा भारत की यूरोपीय यूनियन के साथ एक पर्सनल केमिस्ट्री बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. बड़ी बात ये है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया के कई देशों ने सोचा था कि रशिया से दोस्ती की वजह से भारत अलग-थलग पड़ जाएगा, लेकिन हुआ इसका उलटा.

विदेशों में पीएम मोदी की लोकप्रियता के 3 आधार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की विदेश में बढ़ती लोकप्रियता और मान्यता पर इस विश्लेषण के तीन मुख्य आधार हैं. पहला आधार है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की  Game Changer Diplomacy. इसे आप प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति क्रांति भी कह सकते हैं. दूसरा आधार है विदेशों में बसे भारतीयों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता. तीसरा आधार है अंतरराष्ट्रीय मंचों पर Brand India का बढ़ता प्रभुत्व. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 65 घंटे में जिन तीन देशों का दौरा कर रहे हैं. ये तीन देश हैं जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस. पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार को सबसे पहले जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचे. देश से करीब 5 हजार 700 किलोमीटर दूर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) जर्मनी की जमीन पर जब उतरे तो वहां सबसे आगे स्वागत के लिए जर्मनी की आर्मी के अफसर मौजूद थे.

भारतवंशियों ने किया प्रधानमंत्री का सम्मान

इस यात्रा पर ब्रिटेन से लेकर मॉस्को और वॉशिंगटन तक सभी की नजर है. इसके पीछे मुख्य वजह है यूक्रेन और रशिया के बीच युद्ध. बर्लिन एयरपोर्ट से प्रधानमंत्री मोदी का काफिला सीधे होटल एडलॉन केम्पिंस्की पहुंचा. होटल में प्रवेश के साथ ही पूरा होटेल मोदी-मोदी और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा. वहां वंदे मातरम का जयघोष हो रहा था. 

प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) को ये सम्मान दिया जर्मनी (Germany) में रहने वाले भारतीयों ने, जो बहुत दूर दूर से सिर्फ अपने प्रधानमंत्री को देखने और सुनने के लिए पहुंचे थे. बर्लिन के होटल में हर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को छूना चाह रहा था, उनसे बात करना चाह रहा था. सभी प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेल्फी के लिए लालायित नज़र आ रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी ने किसी को भी निराश नहीं किया.  उन्होंने सभी का हाथ जोड़कर अभिवादन किया और खूब सारे लोगों के साथ सेल्फी भी खिंचाई. उनसे बात की, उनका हाल चाल जाना. भारतवंशियों की उस भीड़ में कुछ बच्चे भी थे और जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी की नजर बच्चों पर पड़ी, कुछ देर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चे बन गए और उन्हीं बच्चों में खो गए. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की बच्चों से मुलाकात की हर तरफ चर्चा हो रही है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पीएम मोदी के सामने देशभक्ति गीत गाने वाले बच्चे का वीडियो ट्वीट किया. उस पर बड़ी संख्या में लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. उसी समय बर्लिन में होटेल से बाहर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतीक्षा में वहां रहने वाले और भी भारतीय मौजूद थे. पीएम की प्रतीक्षा में लोग वहां सुबह से ही पारंपरिक भारतीय नृत्य करते दिख रहे थे. वहां  ढोल-नगाढ़ों की थाप प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनकी आत्मीयता दिखा रही थी.

सुबह से पीएम मोदी का इंतजार कर रहे थे लोग

इन सबके बीच बर्लिन में होटेल के बाहर प्रतीक्षा कर रहे भारतीयों के सामने जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे, वो क्षण ऐतिहासिक था. किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए उस देश के लोगों का ऐसा प्यार, ऐसी ललक, वो भी विदेश में, ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वास्तविक लोकप्रियता को दिखाता है.

भारत के लोग दुनिया भर में रहते हैं और जहां भी रहते हैं वहां एक मिनी भारत या छोटा भारत बसा लेते हैं. बर्लिन से आई तस्वीरें बताती हैं कि अगर देश की नेतृत्व क्षमता मजबूत और पारदर्शी हो तो दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले उसके अपने लोग देश और अपने नेता से कैसा स्नेह रखते हैं. 

करीब 65 घंटे लंबे प्रधानमंत्री मोदी के यूरोप दौरे के दौरान उनके 25 कार्यक्रम प्रस्तावित हैं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की कुल 8 देशों के प्रमुखों से बातचीत होनी है. इसमें सारी दुनिया की निगाहें रशिया-यूक्रेन युद्ध को लेकर जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस के साथ भारत की बातचीत पर टिकी हैं.

भारत वंशियों से मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी के German Chancellor Olaf Scholz (चांसलर ओलाफ़ शॉल्ज ) से मुलाकात की. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी को Guard of Honour दिया गया.

दोनों देशों में हुई कई मुद्दों पर बातचीत

प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) के सम्मान के बाद बर्लिन में भारत और जर्मनी के बीच IGC यानी Inter-Governmental Consultations की बैठक हुई. इसमें प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल शामिल हुए. वहीं जर्मनी की तरफ से Chancellor Olaf Scholz के अलावा जर्मनी की विदेश मंत्री बेयरबॉक समेत समकक्ष मंत्री शामिल हुए.

दोनों देशों के बीच बैठक में किन अहम मुद्दों पर बातचीत हुई, उसे प्वॉइंट्स में आपको समझाते हैं. इससे भारत को क्या लाभ होगा वो भी जानिए. पहली बात, हरित ऊर्जा को लेकर समझौता हुआ है. इस तरह से तैयार की गई ऊर्जा पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है. दूसरी बात- जलवायु परिवर्तन पर दोनों देश साथ में काम करेंगे.

युद्ध में किसी की नहीं होती जीत: पीएम मोदी

बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बात सारी दुनिया से कही वो सभी को सुननी चाहिए और समझना चाहिए कि वैश्विक स्तर पर आज प्रधानमंत्री मोदी की दुनिया में क्या अहमियत है. दुनिया उन्हें सिर्फ सुनती नहीं है बल्कि उनकी बातों का अनुसरण भी करती है. दोनों देशों के बीच बैठक के बाद पीएम मोदी ने बर्लिन से सारी दुनिया को संदेश दिया. उन्होंने रशिया और यूक्रेन के बीच युद्ध विराम की अपील की. इसके अलावा कहा कि युद्ध में किसी की जीत नहीं होगी और इसका सीधा नुकसान पूरे विश्व को हो रहा है. पीएम मोदी ने युद्ध से होने वाले नुकसान पर सारी दुनिया को सचेत किया. पीएम मोदी ने कहा कि सारी दुनिया अब एक दूसरे से जुड़ गई है और अब युद्ध कहीं भी हो कोई भी करे, प्रभाव सारी दुनिया पर पड़ता है.

आज़ादी के बाद अब वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति ऐसी है, जिसके साथ हर देश मित्रता करना चाहता है. उसके साथ विकास के मोर्चे पर आगे बढ़ना चाहता है. इसके पीछे भारत का बड़ा बाजार भी है और भारत की बढ़ती वैश्विक साख भी, जर्मनी भी इस बात को बेहतर तरीके से जानता है और समझता है. जिस तरह का वैश्विक तानाबाना है, उसमें भारत न तो जर्मनी को नजरअंदाज कर सकता है और ना ही जर्मनी भारत की अनदेखी कर सकता है. जर्मनी की अर्थव्यवस्था 267 दशमलव 5 लाख करोड़ रुपये की है और वो विश्व की चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था है.

भारत में दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है जर्मनी?

इसी तरह जर्मनी (Germany) की करीब 1 हजार 700 कंपनियां भारत में हैं. इनमें AUDI, BMW ADIDAS, MERCEDES BENZ, VOLKSWAGEN, जैसे बड़े ब्रांड शामिल हैं. जूते की बात हो या फिर कार, ये सभी ब्रांड भारत में काफ़ी लोकप्रिय हैं और इन्हें बेहद सम्मान से देखा जाता है. इसी तरह DHL, BOSCH GROUP जैसी बड़ी कंपनियां हैं. तमाम छोटे छोटे मशीन में काम आने वाले जर्मन सामान आज भारत के बाज़ार में भरे हुए हैं और उनकी बड़ी विश्वसनीयता है यानी आज दोनों ही देशों को एक दूसरे की ज़रूरत है.

जर्मनी यूरोप का सबसे conservative यानी रूढ़िवादी देश माना जाता है और वो अब भारत में विश्वास दिखा रहा है. इसके मायने समझे जा सकते हैं. वो अब वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है और इसी उद्देश्य का एक बड़ा हिस्सा भारत से मित्रता को माना जा सकता है. इससे पूर्व जर्मनी में एंजेला मर्केल चांसलर थीं, उन्हें CHINA का हिमायती माना जाता था. शायद इसीलिए उन्होंने भारत में कभी वो रुचि नहीं दिखाई जैसी दुनिया के अन्य देश दिखाते रहे हैं लेकिन अब जर्मनी के Chancellor  बदल चुके हैं. नए German Chancellor Olaf Scholz (चांसलर ओलाफ़ शॉल्ज ) को प्रगतिवादी माना जाता है और उन्होंने भारत में रुचि दिखाई है. जिस तरह के समझौते दोनों देशों के बीच हुए हैं, वो ये दिखाता है कि आने वाले दिनों में जर्मनी भी भारत का नया और बड़ा व्यापारिक साझेदार हो सकता है.

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जर्मनी का सबसे बड़ा नेता कहलाता है चांसलर

क्या आपने कभी सोचा है कि जर्मनी (Germany) के सबसे बड़े नेता को चांसलर क्यों कहा जाता है. दरअसल इसकी वजह इतिहास में छिपी है. रोमन साम्राज्य में कानूनी मामलों से जुड़े अधिकारी को चांसलर कहा जाता था. मध्यकाल में जर्मनी में साम्राज्य के प्रशासन के प्रमुख को चांसलर कहा जाता था. फिलहाल जर्मनी में चांसलर का पद प्रधानमंत्री के समकक्ष है. हालांकि दुनिया के अलग अलग देशों में चांसलर शब्द अलग अलग पदों के लिए इस्तेमाल होता है. ब्रिटेन में वित्त मंत्री को चांसलर कहा जाता है. लैटिन अमेरिका के कई देशों में विदेश मंत्री को चांसलर कहा जाता है.

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