Explainer: PM मोदी की रूस यात्रा, पुतिन की बड़ी जीत, वेस्ट के लिए झटका
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Explainer: PM मोदी की रूस यात्रा, पुतिन की बड़ी जीत, वेस्ट के लिए झटका

India-Russia Relations: 2022 में यूक्रेन पर क्रेमलिन के हमले के बाद से यह पीएम नरेंद्र मोदी की पहली रूस की यात्रा होगी. 

Explainer: PM मोदी की रूस यात्रा, पुतिन की बड़ी जीत, वेस्ट के लिए झटका

Modi-Putin: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह रूस की यात्रा के लिए जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है. 2022 में यूक्रेन पर क्रेमलिन के हमले के बाद से यह पीएम मोदी की पहली यात्रा होगी. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है कि जब बीजिंग और मॉस्को के रिश्ते खासे मजबूत होते दिख रहे हैं.

पीएम मोदी का यह दौरा पुतिन को पश्चिमी देशों द्वारा उन्हें अलग-थलग करने की कोशिशों का मुकाबला करने में मदद करेगा. यह पुतिन के अपने नए कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा के दो महीने बाद हो रहा है. उस यात्रा से बीजिंग पर मॉस्को की बढ़ती निर्भरता जाहिर हुई थी, जिस पर भारत ने सतर्कता से नज़र रखी है.

रूस-चीन रिश्तों के गहरा होने से भारत चिंतित
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित शोध समूह मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो स्वास्ति राव ने कहा, 'रूस और चीन के बीच रणनीतिक गठबंधन का गहरा होना नई दिल्ली के लिए असहज है क्योंकि यह आपके सबसे अच्छे दोस्त के दुश्मन के साथ जाने जैसा है. चूंकि भारत को ये चिंताएं हैं, इसलिए प्रधानमंत्री का वहां जाना और उच्चतम स्तर पर पुतिन से बात करना एक समझदारी भरा कदम है.'

प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा
तीसरी बार सत्ता में आने के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी. पिछली चुनावी जीत के बाद उन्होंने भूटान, मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में जाना पसंद किया था. मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह इस बात को दर्शता है कि नई दिल्ली मॉस्को के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है.

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता भारत रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार बन गया है. भारत रूस की सैन्य हार्डवेयर सप्लाई पर भी निर्भर है. वहीं, 2020 में भूमि-सीमा संघर्ष के बाद से चीन और भारत के बीच संबंध निम्न स्तर पर हैं.

दोनों नेताओं के बीच इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक मामले से परिचित भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है, हालांकि कोई महत्वपूर्ण समझौता होने की संभावना नहीं है, क्योंकि चर्चा निजी है.

अधिकारियों ने बताया कि एजेंडे में दोनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए रसद आपूर्ति समझौता, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त विकास पर फिर से चर्चा शुरू करना और परमाणु ऊर्जा पर सहयोग शामिल है.

वाशिंगटन में नाटो बैठक
पीएम मोदी जब 8-9 जुलाई रूस की यात्रा पर होगें तो वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन का आयोजना किया जा रहा होगा. यह शिखर सम्मेलन 9-11 जुलाई तक होगा.

रिपोर्ट के मुताबिक मामले से परिचित लोगों ने बताया कि पीएम मोदी की रूस यात्रा लंबे समय से लंबित थी और इस समय का नाटो की बैठक से कोई संबंध नहीं है. मॉस्को के बाद प्रधानमंत्री के दो दिवसीय दौरे पर वियना जाने की उम्मीद है.

भारत का साथ चाहता है अमेरिका
एशिया में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है. वह रूस के साथ नई दिल्ली के संबंधों को लेकर भी नरम रहा है. इन संबंधों के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने पिछले सप्ताह कहा कि वाशिंगटन ने नई दिल्ली के साथ भारत-रूस संबंधों के बारे में चिंता जताई है, लेकिन उसे भारत पर भरोसा है और वह दक्षिण एशियाई देश के साथ रिश्तों का विस्तार करना चाहता है.

यूक्रेन युद्ध को लेकर नई दिल्ली की असहजता के कारण पीएम मोदी पिछले दो वर्षों से पुतिन के साथ वार्षिक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलनों में शामिल नहीं हुए हैं. फिर भी, भारत ने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा करने से परहेज किया है. इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के मतदान में भी भारत ने भाग नहीं लिया है. नई दिल्ली ने संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति की वकालत की है.

सस्ता तेल
रूस द्वारा भारत को तेल की बिक्री रिश्तों को मजबूत बनाए रखने में मदद कर रही है, भले ही वे सोवियत काल के दौरान जितने घनिष्ठ न हों.

रूस पश्चिमी ऊर्जा प्रतिबंधों के बीच अपने तेल पर अधिक छूट दे रहा है, इसलिए भारत ने 2021 की तुलना में रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद में 20 गुना से अधिक की वृद्धि की है, जो प्रतिदिन 2 मिलियन बैरल से अधिक है.

रेटिंग एजेंसी ICRA द्वारा अप्रैल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 23 महीनों में भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात करके 13 बिलियन डॉलर की बचत की है.

पुतिन के लिए कूटनीतिक जीत
भारतीय प्रधान मंत्री के साथ मास्को में बैठक पुतिन के लिए एक कूटनीतिक जीत है, जिनके देश को यूक्रेन पर हमले के कारण अभूतपूर्व प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है. वह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा युद्ध अपराधों के लिए भी वॉन्टेड है, जिसने उसकी विदेश यात्राओं को सीमित किया है.

जून में पुतिन ने उत्तर कोरिया का दौरा किया, जहां उन्होंने किम जोंग उन के साथ एक सैन्य रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने अमेरिका और उसके सहयोगियों को चिंतित कर दिया.

पिछले साल, पुतिन भारत द्वारा आयोजित 20 नेताओं की जी-20 बैठक या दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक रूस में भारत के एक पूर्व राजदूत ने कहा कि मॉस्को के साथ नई दिल्ली के संबंध स्थिर और मजबूत हैं, हालांकि हाल ही में आर्थिक और रक्षा संबंधों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि रिश्ते हमेशा शीर्ष से संचालित होते हैं और नेतृत्व के बीच शिखर सम्मेलनों का अपना महत्व है.

मॉस्को स्थित भारत मामलों के विशेषज्ञ एलेक्सेई जाखारोव ने कहा, 'भारत जैसे देश के नेता की यात्रा दर्शाती है कि रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग नहीं होना पड़ रहा है और क्रेमलिन के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.'

(File photo: Courtesy PIB)

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