जापान में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों की संख्या अब 9.917 मिलियन पर आ गई है. ये आंकड़े 2019 के मुकाबले 3.4 प्रतिशत कम हैं और 18.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है.
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जन्मदर में ऐतिहासिक गिरावट और लगातार कम होती बच्चों की संख्या ने जापान के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पहली बार जापान में 2022 में बच्चों वाले परिवारों की संख्या 1 करोड़ से कम हो गई है. जनसंख्या में गिरावट की चेतावनी की घंटियां लंबे समय से बज रही हैं. लेकिन ताजा आंकड़ों ने जापान के भविष्य को लेकर चिंता में डाल दिया है.
स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों की संख्या अब 9.917 मिलियन पर आ गई है. ये आंकड़े 2019 के मुकाबले 3.4 प्रतिशत कम हैं और 18.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है. इनमें से लगभग आधे (49.3 प्रतिशत) घरों में केवल एक बच्चा है, 38 प्रतिशत के पास दो हैं जबकि तीन या अधिक वाले परिवारों की संख्या 12.7 प्रतिशत है.
जापान का अस्तित्व खतरे में!
मार्च में, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के करीबी सहयोगी ने कहा कि यदि जन्म दर में गिरावट की मौजूदा प्रवृत्ति जारी रही तो जापान का अस्तित्व समाप्त हो सकता है. मासाको मोरी ने चेतावनी दी, "अगर हम इसी तरह चलते रहे, तो देश गायब हो जाएगा. जिन लोगों को गायब होने की प्रक्रिया से गुजरना होगा, उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. यह एक भयानक बीमारी है जो उन बच्चों को प्रभावित करेगी."
उन्होंने कहा, "यह धीरे-धीरे नहीं गिर रहा है, यह सीधे नीचे की ओर जा रहा है. नकारात्मक प्रभाव का मतलब है कि अब पैदा होने वाले बच्चों को एक ऐसे समाज में फेंक दिया जाएगा जो विकृत होगा, सिकुड़ा हुआ होगा और काम करने की क्षमता खो देगा."
उनका बयान तब आया जब जारी किए गए आंकड़ों से पता चला कि 1899 में रिकॉर्ड-कीपिंग शुरू होने के बाद पहली बार 2022 में जापान में पैदा होने वाले शिशुओं की संख्या 800,000 से कम दर्ज की गई. वहीं, इस वर्ष 1.58 मिलियन लोगों की मौत हुई. यानी देश में पैदा हुए लोगों की तुलना में दोगुने लोगों की मृत्यु हुई.
यह एक दशक लंबे चलन की निरंतरता थी जहां जापानी आबादी में गिरावट आई थी लेकिन यह पहला उदाहरण था जब कुल जन्म अंक 800,000 से नीचे गिर गया था. 2020 में, एशियाई देश में 840,832 जन्म और 2021 में 811,604 बच्चे पैदा हुए थे.
जन्म दर में गिरावट दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है. मरने वाले लोगों की तुलना में अगर बच्चों का जन्म नहीं होता तो कार्यबल में भी कमी होगी. नतीजतन, वृद्ध लोगों को इसमें शामिल होने और अर्थव्यवस्था को ऊपर की ओर ले जाने का प्रयास करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो बेहद कठिन राह है.
जापान पहले से ही 49 वर्ष की औसत आयु के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बूढ़ा देश है. इसकी लगभग 28 प्रतिशत आबादी 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की है. युवा आबादी में कमी होने से, जापान के विकास के राह में रुकावट आ सकती है. जापानी पीएम किशिदा ने कहा है कि स्थिति गंभीर है और इसे अब ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता.