रूस ने विजय दिवस पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया, पश्चिम ने किया बहिष्कार
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रूस ने विजय दिवस पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया, पश्चिम ने किया बहिष्कार

रूस ने नाजी जर्मनी पर अपनी जीत की 70वीं वषर्गांठ पर शनिवार को यहां भव्य सैन्य परेड में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत कई वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में अपने नये युद्धास्त्रों का प्रदर्शन किया लेकिन पश्चिमी शक्तियों ने यूक्रेन को लेकर चल रहे गतिरोध की वजह से उसका बहिष्कार किया।

रूस ने विजय दिवस पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया, पश्चिम ने किया बहिष्कार

मास्को : रूस ने नाजी जर्मनी पर अपनी जीत की 70वीं वषर्गांठ पर शनिवार को यहां भव्य सैन्य परेड में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत कई वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में अपने नये युद्धास्त्रों का प्रदर्शन किया लेकिन पश्चिमी शक्तियों ने यूक्रेन को लेकर चल रहे गतिरोध की वजह से उसका बहिष्कार किया।

यहां ऐतिहासिक रेड स्क्वायर पर करीब 10 हजार सैनिकों ने परेड में हिस्सा लिया जिनमें भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की टुकड़ी भी थी। परेड डेढ़ घंटे से भी अधिक देर तक चली। रेड स्क्वायर पर परेड में अगली पीढ़ी के अर्माटा टी-14 टैंक और उन्नत सैन्य विमान और अत्याधुनिक हथियार प्रदर्शित किए गए। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने मुखर्जी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और कई अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ इस परेड का निरीक्षण किया।

अमेरिका पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए पुतिन ने अपने भाषण में कहा, ‘पिछले दशकों में हमने एकध्रुवीय विश्व बनाने की कोशिशें देखी हैं।’

रूस वैश्विक मामलों पर वर्चस्व कायम करने के अमेरिका के कथित लक्ष्य को लेकर उसकी आलोचना करने के लिए ‘एकध्रुवीय ’ शब्दावली का अक्सर इस्तेमाल करता रहा है। पुतिन ने कहा, ‘हम देख सकते हैं कि शक्ति खंड आधारित चिंतन कैसे मजबूत हो रहा है। ये चीजें स्थायी अंतरराष्ट्रीय विकास को कमतर कर रही हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हमारी साझी जिम्मेदारी सभी देशों के लिए समान सुरक्षा प्रणाली प्रदान करना होनी चाहिए जो आधुनिक खतरों के लिए पर्याप्त है और जो क्षेत्रीय, वैश्विक और खंडमुक्त आधार पर आधारित हो।’ हालांकि पुतिन ने द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी को हराने में ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘हम जीत में ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका के योगदान को लेकर उनके प्रति आभारी हैं।’

अमेरिका जैसी पश्चिम शक्तियों, द्वितीय विश्व युद्ध में रूस के सहयोगी रहे ब्रिटेन और फ्रांस ने यूक्रेन के मामले में क्रेमलिन के हस्तक्षेप को लेकर इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया। हालांकि जर्मन चांसलर एंजिला मर्केल उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को मास्को की यात्रा कर सकती हैं जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में श्रद्धांजलि दी और वह ऐसा कर रेड आर्मी के बलिदान को मान्यता प्रदान कर सकती हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध में करीब 2.7 करोड़ रूसी सैनिक एवं नागरिक मारे गए थे। रेड आर्मी की जीत रूस के लिए बहुत बड़ा राष्ट्रीय गर्व रही है। नौ मई, जो विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, सभी क्षेत्रों के रूसियों को एकजुट करता है चाहे उनका राजनीतिक रूझान जो भी हो। इस अवसर पर रेड स्क्वायर पर बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं जिनमें युद्ध में शामिल हो चुके लोग, शहीद हुए सैनिकों विधवाएं और परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैं।

इस कार्यक्रम में जो अन्य राष्ट्रपति शरीक हुए उनमें मिस्र के अब्दुल फतह अल सीसी, क्यूबा के राउल कास्त्रो, वेनेजुएला के निकोलस मदुरो, जिम्बाव्बे के राबर्ट मुगाबे और दक्षिण अफ्रीका के जैकब जुमा शामिल हैं। यह 70वां वषर्गांठ समारोह दस साल पहले के उस समारोह से बिल्कुल भिन्न था जब पुतिन ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के नेताओं की मेजबानी की थी।

आज की परेड यूक्रेन संकट के जारी रहने के बीच हुई। पश्चिम देशों ने रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किए जाने और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों का कथित रूप से समर्थन किए जाने केा लेकर मास्को पर प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा ब्रिटेन एवं फ्रांस के नेताओं ने भी आज के समारोह की अनदेखी की।

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