Rafale: 28 साल तक किसी ने नहीं खरीदा, फिर अचानक हुआ कुछ ऐसा; आज दुनियाभर में है डिमांड
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Rafale: 28 साल तक किसी ने नहीं खरीदा, फिर अचानक हुआ कुछ ऐसा; आज दुनियाभर में है डिमांड

Rafale Fighter Jet: आज दुनियाभर के कई देश राफेल का इस्तेमाल कर रहे हैं और कई देश इसे खरीदना चाहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब दसॉल्ट ने जब राफेल को बनाया था, उसके बाद 28 साल तक किसी विदेशी देश ने इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.

Rafale: 28 साल तक किसी ने नहीं खरीदा, फिर अचानक हुआ कुछ ऐसा; आज दुनियाभर में है डिमांड

Rafale Fighter Jet History: फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) से भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Jets) की डिलीवरी पूरी हो चुकी है. राफेल लड़ाकू काफी ताकतवर है और ये कई तरह के मिशन को अंजाम देने में समर्थ है. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) में राफेल के शामिल होने के बाद इसकी ताकत कई गुना बढ़ गई है. आज दुनियाभर के कई देश राफेल का इस्तेमाल कर रहे हैं और कई देश इसे खरीदना चाहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब दसॉल्ट ने जब राफेल को बनाया था, उसके बाद 28 साल तक किसी विदेशी देश ने इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. हालांकि, 2014 के बाद अचानक ही इसको खरीदने की होड़ मच गई.

राफेल ने 1986 में भरी थी पहली उड़ान

राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) ने साल 1986 में पहली उड़ान भरी थी और उस समय दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) को दुनियाभर के देशों से इस लड़ाकू विमान के बड़े ऑर्डर की उम्मीद थी, क्योंकि दसॉल्ट के पास मिराज 2000 (Mirage 2000) फाइटर जेट बनाने का अनुभव था. लेकिन, कंपनी की उम्मीदों के उलट हुआ और राफेल में किसी भी देश ने दिलचस्प नहीं दिखाई. उस समय दुनियाभर के देस रूस और अमेरिका से फाइटर जेट खरीदना चाह रहे थे.

2011 के बाद राफेल ने खींचा सबका ध्यान

राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) ने साल 2011 के लीबिया युद्ध के बाद सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. उस दौरान राफेल का इस्तेमाल लीबिया, अफगानिस्तान, इराक, माली और सीरिया के युद्ध में किया गया है, जहां राफेल ने अपने प्रदर्शन से खुद को साबित किया और फिर दुनियाभर के देशों के बीच इसे खरीदने की होड़ मच गई.

2014 में मिस्र बना राफेल का पहला ग्राहक

लीबिया के युद्ध में राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) का कमाल देखने के बाद मिस्र पहला ग्राहक बना था और नवंबर 2014 में 24 से 36 राफेल खरीदने के लिए फ्रांस के साथ बातचीत शुरू की थी. हालांकि, अगस्त 2015 में मिस्र और फ्रांस के बीच राफेल डील पर औपचारिक मुहर लगी. इस दौरान मिस्र ने 24 राफेल खरीदने का ऑर्डर दिया था, जिसमें 16 टू-सीटर और 8 सिंगर सीटर मॉडल शामिल थे. इसके बाद जुलाई 2015 में मिस्र को राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी शुरू की गई.

मिस्र के बाद कतर बना राफेल का खरीददार

मिस्र के राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) खरीदने के बाद कतर इसका खरीददार बना और 2015 में इसको लेकर बातचीत शुरू हुई थी. उस दौरान दसॉल्ट ने दावा किया था कि कतर के साथ 72 राफेल डील पर हस्ताक्षर करने के करी हैं, लेकिन अप्रैल 2015 में शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद से मुलाकात की और बताया कि कतर 12 और विमान खरीदने के साथ 24 राफेल का ऑर्डर देगा. इसके बाद 7 दिसंबर 2017 को कतर ने आधिकारिक तौर पर 36 राफेल लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया और पहला राफेल फरवरी 2019 में डिलीवर किया गया था. इस डील की कुल कीमत 7.02 बिलियन डॉलर थी.

काफी विवादों में रहा भारत का राफेल डील

भारत ने साल 2012 में 126 राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) खरीदने की योजना बनाई थी और प्रस्ताव दिया गया था कि साल 2015 तक इंडियन एयरफोर्स को फ्लाई-अवे स्थिति में 18 राफेल की आपूर्ति की जाएगी. इसके साथ ही अन्य 108 राफेल का निर्माण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट के तहत भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में होगा. उस समय इस डील की कीमत 20 बिलियन डॉलर आंकी गई थी, लेकिन फ्रांस ने स्थानीय उत्पादन पर असहमति जताई और दसॉल्ट ने 108 एचएएल निर्मित राफेल के लिए जिम्मेदारी से इनकार कर दिया.

इसके बाद साल 2014 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस डील पर फिर से बाद शुरू हुई और 36 राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jets) की खरीद का समझौता किया गया. इस डील में राफेल लड़ाकू विमान में भारत के हिसाब से कई अपग्रेडेशन करने को लेकर दसॉल्ट ने ऑफर दिया था. बता दें कि भारत को पिछले साल जुलाई तक सभी 36 राफेल की डिलीवरी पूरी हो चुकी है.

ये देश भी कर रहे हैं राफेल खरीदने की तैयारी

सबसे पहले मिस्र ने राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jets) का ऑर्डर दिया और इसके इसे खरीदने की होड़ लग गई, क्योंकि दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने भी ऑर्डर को काफी तेजी से पूरा किया.  मिस्र के बाद कतर, भारत और ग्रीस ने भी राफेल लड़ाकू विमान का ऑर्डर दिया. अब इंडोनेशिया, क्रोएशिया और संयुक्त अरब अमीरात भी राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रहे हैं.

राफेल लड़ाकू विमान की ताकत

राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) कैनार्ड डेल्टा विंग, ट्विन इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. राफेल की खासियत है कि इसे हथियारों की एक विस्तृत सीरीज से लैस किया जा सकता है. राफेल एक कॉम्बेट प्रूवन एयरक्राफ्ट है और अपने समय के बाकी लड़ाकू विमान से अलग है. राफेल फाइटर जेट दुश्मन के क्षेत्र में अंदर घुसकर हमला करने में सक्षम है. इसके अलावा एयर सुपीरियॉरिटी, एरियल रिकॉनसेंस, ग्राउंड सपोर्ट, एंटी शिप स्ट्राइक और परमाणु हमला करने जैसे एडवांस फीचर भी इसमें मौजूद हैं.

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