अफगानिस्तान में IS का बढ़ता प्रभाव, पश्चिमी देशों के लिए बड़ा खतरा
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अफगानिस्तान में IS का बढ़ता प्रभाव, पश्चिमी देशों के लिए बड़ा खतरा

सीरिया और इराक में अपना नियंत्रण खोने वाले आइएस के लड़ाको की नई भर्ती हो रही है जो पश्चिमी देशों पर अपना प्रबाव बढ़ा रहे हैं.

आतंकी संगठन ने पूरे संसाधन झोंके हैं. (फाइल फोटो)

जलालाबाद (अफगानिस्तान): इस्लामिक स्टेट सीरिया और इराक में अपना नियंत्रण खो चुका है लेकिन अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी पहाड़ी इलाके में यह समूह अपना प्रभाव बढ़ाते हुए नये लड़ाकों की भर्ती कर रहा है और अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों पर हमले की साजिश रच रहा है. अमेरिकी और अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने ऐसा दावा किया है.

अफगानिस्तान में इस आतंकी समूह को तालिबान से भी बड़ा खतरा माना जा रहा है. इस आतंकी संगठन ने सैन्य क्षमताओं में इजाफा किया है और अफगानिस्तान तथा विदेशों में नागरिकों को निशाना बनाने की अपनी रणनीति पर भी काफी काम किया है.

अफगानिस्तान स्थित एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने बताया कि राजधानी काबुल में हालिया हमले यूरोप और अमेरिका में किए जाने वाले बड़े हमले के पहले के अभ्यास की तरह हैं. 

पहचान गोपनीय रखने का अनुरोध करते हुए अधिकारी ने कहा ‘‘यह समूह अफगानिस्तान से हमारे वतन के लिए खतरा बनता जा रहा है. आईएस का फ़लसफ़ा है- अमेरिका और यूरोप में हमले करेंगे. यह उनका लक्ष्य है . बस समय की बात है.’’

जार्जटाउन यूनिवर्सिटी में सुरक्षा अध्ययन केंद्र के निदेशक ब्रूस हॉफमैन ने कहा कि वह इराक और सीरिया में पराजय के बाद अफगानिस्तान को आईएस के लिए नये संभावित ठिकाने के तौर पर देखते हैं. 

पूर्वी इलाके में बड़े पैमाने पर हथियारों के भंडार होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आईएसआईएस ने अफगानिस्तान में बहुत सारा धन और संसाधनों को झोंक दिया है .’’ 

शुरूआत में आईएसआईएस के पास बहुत लड़ाके नहीं थे, लेकिन आज इससे हजारों चरमपंथी जुड़े हैं . मध्य एशिया के साथ ही अरब देशों, चेचन्या, भारत और बांग्लादेश के साथ ही चीन के उइगुर भी इस संगठन से जुड़े हैं. 

यह संगठन लंबे समय से पूर्वी नानगरहर प्रांत में वजूद कायम रखे हुए है लेकिन उत्तरी अफगानिस्तान और बाद के समय में पड़ोस के कुन्नार प्रांत में भी इसने मजबूत उपस्थिति बना ली है.

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