फेसबुक की फिर बढ़ी मुसीबतें, ISIS के समर्थकों को जोड़ने का आरोप
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फेसबुक की फिर बढ़ी मुसीबतें, ISIS के समर्थकों को जोड़ने का आरोप

ब्रिटिश कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका से 8.7 करोड़ उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी अनुचित तरीके से साझा करने की खबर के बाद मार्क जुकरबर्ग की अगुवाई वाली यह कंपनी विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है. 

मार्क जुकरबर्ग की अगुवाई वाली यह कंपनी विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है..(फाइल फोटो)

लंदन: दिग्गज सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पर ‘सजेस्टेड फ्रेंड्स टूल्स’ के जरिये इस्लामिक स्टेट के हजारों समर्थकों को एकसाथ जोड़ने का आरोप लगा है. मीडिया की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. ब्रिटिश कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका से 8.7 करोड़ उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी अनुचित तरीके से साझा करने की खबर के बाद मार्क जुकरबर्ग की अगुवाई वाली यह कंपनी विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है. अनुसंधानकर्ताओं ने 96 देशों में मौजूद आईएसआईएस के 1,000 समर्थकों की ऑनलाइन गतिविधियों का अध्ययन किया और पाया कि नियमित तौर पर कट्टरपंथी इस्लामवादियों की एक-दूसरे से पहचान करायी गयी.

अमेरिकी गैर-सरकारी संगठन ( एनजीओ ) काउंटर एक्सट्रीमिजम प्रोजेक्ट ( सीईपी ) इस महीने के आखिर में इस अध्ययन का प्रकाशन करेगा. अध्ययन में इस बात का खुलासा किया जा सकता है कि आईएसआईएस नेटवर्क को किस हद तक सोशल मीडिया के एल्गोरिदम से मदद मिली.

आलोचकों का कहना है कि आपसी रुझानों के आधार पर उपयोगकर्ताओं को मिलाने वाले ‘ सजेस्टेड फ्रेंड्स टूल्स ’ के जरिये आतंकियों को समूह बनाने और नेटवर्क विकसित करने में मदद मिली. सीईपी के अनुसंधानकर्ताओं ने जब कुछ कट्टरपंथियों की प्रोफाइल देखी तो उन्हें दोस्त बनाने के लिए फेसबुक की तरफ से कई कट्टरपंथियों के प्रोफाइल की सिफारिश की गयी.अध्ययन में दावा किया गया है कि एक गैर - मुसलमान ने आईएसआईएस के एक समर्थक के मित्रता के निवेदन को स्वीकार किया, जिसके बाद वह छह माह के भीतर कट्टरपंथी बन गया. 

कैम्ब्रिज एनालिटिका ने कामकाज बंद करने का ऐलान किया
फेसबुक के डेटा शेयरिंग स्कैंडल में नाम आने के बाद ब्रिटेन स्थित पॉलिटिकल कंसल्टेंसी कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका कारोबार बंद कर रही है. कंपनी पर अपने राजनीतिक क्लाइंट्स की ओर से अनुचित तरीके से निजी जानकारियां हासिल करने का आरोप है. फेसबुक के मुताबिक, एक क्विज एप के जरिए 8.7 करोड़ लोगों के डेटा हासिल किए गए और बाद में इन्हें राजनीतिक कंसल्टेंसी को सौंप दिया गया. बीबीसी के मुताबिक, फेसबुक का कहना है इस मामले में उनकी जांच जारी रहेगी. फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा, "इससे असल में क्या हुआ था, यह समझने के लिए हमारी प्रतिबद्धता और दृढ़ता में कोई बदलाव नहीं होगा और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की घटना दोबारा नहीं हो." उन्होंने कहा, "हम जांच के लिए संबद्ध प्रशासन के साथ सहयोग देना जारी रखेंगे."

कैम्ब्रिज एनालिटिका के प्रवक्ता क्लेंरेस मिशेल ने अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में बीबीसी का उल्लेख करते हुए कहा, "पिछले कई महीनों में कैम्ब्रिज एनालिटिका पर कई तरह के आरोप लगे हैं और कंपनी अपने रिकॉर्ड को दुरुस्त करने के प्रयासों के बावजूद उन गतिविधियों को लेकर बदनामी झेल रही है, जो न सिर्फ वैध हैं बल्कि राजनीतिक और व्यावसायिक दोनों क्षेत्रों में ऑनलाइन विज्ञापन के घटक के रूप में स्वीकार्य भी है."

बयान के मुताबिक, "कैम्ब्रिज एनालिटिका के इस विश्वास के साथ कि उनके कर्मचारियों ने नैतिकता और वैधता के साथ काम किया है, इस तरह की नकारात्मक मीडिया कवरेज से कंपनी के ग्राहक और सप्लायर्स हमसे दूर चले गए. परिणामस्वरूप, हम अधिक समय तक कारोबार जारी नहीं रख सकते." बयान में यह भी कहा गया कि कैम्ब्रिज एनालिटिका की पेरेंट कंपनी एससीएल इलेक्शंस दिवालिया हो गई है और उसकी दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ब्रिटेन की राजनीतिक सलाहकार कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका करीब 8.7 करोड़ फेसबुक प्रयोगकर्ताओं के डेटा का इस्तेमाल बिना उनकी जानकारी के करने के लिए विवादों के घेरे में आई थी.

ट्विटर ने भी कैंब्रिज एनालिटिका के शोधकर्ताओं को डेटा बेचा
संडे टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, कैंब्रिज एनालिटिका के लिए टूल्स बनाने वाले एलेक्सेंडर कोगन ने 2015 में माइक्रोब्लागिंग वेबसाइट से डेटा खरीदे थे. कोगन ने ग्लोबल साइंस रिसर्च (जीएसआर) की स्थापना की थी. इस इकाई को ट्विटर के आंकड़े प्राप्त हो जाते थे. कोगन का कहना है कि उन्होंने इस सूचना का इस्तेमाल सिर्फ ‘ब्रैंड रिपोर्ट’ तैयार करने और ‘सर्वे एक्सटेंडर टूल्स’ के लिए किया और ट्विटर की नीतियों का कतई उल्लंघन नहीं किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोगन ने दिसंबर, 2014 से अप्रैल, 2015 के दौरान ट्विटर से ट्वीट, प्रयोगकर्ता के नाम, फोटो, प्रोफाइल तस्वीर और गंतव्य संबंधी डाटा खरीदे. 

5.6 लाख से ज्यादा भारतीय उपभोक्ताओं के डाटा में सेंध : फेसबुक
एक निजी मार्केटिंग कंपनी द्वारा 5.6 लाख से ज्यादा भारतीय फेसबुक उपभोक्ताओं के निजी डाटा से समझौता किया गया. इस निजी मार्केटिंग कंपनी ने बाद में निजी जानकारियों को कैंब्रिज एनालिटिका को बेच दी. कैंब्रिज एनालिटिका ब्रिटेन स्थित एक कंपनी है जो वैश्विक गोपनीयता उल्लंघन में फंसी है.

सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने बीते 5 अप्रैल को भारत सरकार को एकाउंट के बारे में सूचित किया. सोशल मीडिया कंपनी यह सूचना उपभोक्ता डाटा में सेंधमारी को लेकर दी गई नोटिस व फेसबुक से सुरक्षा सुनिश्चित करने व निजी डाटा का दुरुपयोग रोकने को लेकर उठाए जा रहे कदमों की जानकारी को लेकर दी थी.

562,455 उपभोक्ताओं के डाटा में सेंधमारी
फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत में 335 फेसबुक उपभोक्ताओं द्वारा एक क्विज एप 'दिसइजयोरडिजिटललाइफ' नवंबर 2013 से दिसंबर 2015 के बीच इंस्टॉल करने के बाद 562,455 उपभोक्ताओं के डाटा में सेंधमारी हुई. निजी मार्केटिंग कंपनी ने लोगों की जानकारियां एक क्विज एप से जुटाईं थीं.

यह प्रतिक्रिया फेसबुक के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी माइक श्रोएफर के एक ब्लॉग पोस्ट में यह कहे जाने के बाद आई है कि डाटा में सेंधमारी से लोगों का कंपनी पर से विश्वास टूटा है. श्रोएफर ने लिखा, "हमारा मानना है कि फेसबुक का अमेरिका के कुल 8.7 करोड़ से ज्यादा लोगों का डाटा कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ अनुचित तरीके से साझा किया गया."

भारत में 335 लोगों ने एप को किया इंस्टॉल
इस एप को कैंब्रिज विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के शोधकर्ता एलेक्सेंडर कोगन व उनकी कंपनी ग्लोबल साइंस रिसर्च ने विकसित किया था. इस एप ने न सिर्फ 335 उपभोक्ताओं बल्कि उनके दोस्तों के साथ दोस्तों के दोस्तों का डाटा भी निकाल लिया था. भारत में 335 लोगों ने इस एप को इंस्टॉल किया था, जो कि दुनिया भर में इंस्टाल किए गए का 0.1 फीसदी था. लेकिन यह सूचना एप को इंस्टाल करने वाले लोगों तक सीमित थी, जिहोंने इसे 2013 से दिसंबर 2015 इंस्टाल किया था.

इनपुट भाषा से भी 

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