दावा: इजरायल नहीं चाहता था परमाणु हथियार हासिल करे PAK, मददगारों पर किए थे हमले
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दावा: इजरायल नहीं चाहता था परमाणु हथियार हासिल करे PAK, मददगारों पर किए थे हमले

एक स्विस अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इजरायल नहीं चाहता था कि पाकिस्तान परमाणु शक्ति हासिल करे, इसलिए उसने पाकिस्तान की मदद करने वाली विदेशी कंपनियों पर हमला किया था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका ने भी उन कंपनियों को रोकने की कोशिश की थी.

फाइल फोटो: Thenewstribe

यरूशलम: इजरायल (Israel) नहीं चाहता था कि पाकिस्तान (Pakistan) परमाणु शक्ति हासिल करे, इसलिए उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) ने पाकिस्तान की मददगार कंपनियों को निशाना बनाया था. ये दावा एक स्विस अखबार ने अपनी रिपोर्ट में किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मोसाद पर उन जर्मन और स्विस कंपनियों को धमकी देने व हमला करने का संदेह है, जिन्होंने 1980 के दशक में परमाणु हथियार कार्यक्रम में पाकिस्तान की सहायता की थी. दरअसल, यहूदी देश को डर था कि पाकिस्तान के परमाणु संपन्न होने से उसके लिए अस्तित्व का खतरा पैदा हो सकता है.  

  1. प्रमुख स्विस अखबार की रिपोर्ट में किया गया दावा
  2. इजरायल की एजेंसी मोसाद ने किया था हमला
  3. पाकिस्तान ने 1998 में किए थे परमाणु परीक्षण
  4.   

तीन कंपनियों पर हुए थे हमले

‘यरूशलम पोस्ट’ ने एक प्रमुख स्विस अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि अमेरिका (America) ने ऐसी कंपनियों की गतिविधियों को रोकने की असफल कोशिश की थी. उसके बाद उनमें से तीन कंपनियों पर तीन हमले हुए, जिससे उन संदेहों को बल मिला कि मोसाद (Mossad) ने हमलों को अंजाम दिया और धमकी जारी की. स्विस दैनिक न्यू जर्चर जीतुंग (एनजेडजेड) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के परमाणु बम से लैस इस्लामिक राज्य बनने के आसार से इजरायल को आशंका थी कि वो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है.

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पाक-ईरान ने मिलकर किया था काम

पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को बलूचिस्तान प्रांत में एक साथ पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए थे. वह पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का पहला सार्वजनिक परीक्षण था. उसके बाद उसी साल 30 मई को दूसरा परमाणु परीक्षण किया गया था. एनजेडजेड ने कहा कि पाकिस्तान और ईरान ने 1980 के दशक में परमाणु हथियार विकसित करने के लिए मिलकर काम किया, जिसमें जर्मन और स्विस कंपनियों ने उनके परमाणु कार्यक्रम में सहायता की. 

हमले में हाथ का कोई सबूत नहीं

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बर्न और वॉशिंगटन के अभिलेखागारों के दस्तावेजों से पूरी सच्चाई बयां होती है. स्विस इतिहासकार एड्रियन हैनी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि मोसाद स्विस और जर्मन कंपनियों पर हुए बम हमलों में शामिल थी. हालांकि, यह साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि इजरायली खुफिया एजेंसी ने उन हमलों को अंजाम दिया था.

इनपुट: भाषा

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