रूस: कभी भारत का पक्का दोस्त था यह देश, अब चीन-पाकिस्तान से बढ़ रही हैं नजदीकियां
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रूस: कभी भारत का पक्का दोस्त था यह देश, अब चीन-पाकिस्तान से बढ़ रही हैं नजदीकियां

रूस एक समय में सोवियत संघ का सबसे बड़ा हिस्सा था, लेकिन अब भी दुनिया में अपना रसूख हासिल करने में लगा है. 

रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं जो पिछले साल चौथी बार देश के राष्ट्रपति बने. (फोटो:IANS)

नई दिल्ली: रूसी गणराज्य जिसे आज दुनिया भर में रूस के रूप में जाना जाता है, जो कभी सोवियत संघ का सबसे बड़ा और सबसे अहम हिस्सा था. 1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद रूस आज उसी शक्तिशाली रूतबे को हासिल करने के लिए संघर्षरत है जो शीतयुद्ध के दौरान कभी सोवियत संघ का था. रूस शुरू से ही एक लोकतांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था बनने की कोशिश में है. आज भी रूस साम्यवादी युग के कड़े सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक नियंत्रण से बाहर नहीं आ सका है. रूस के यूक्रेन में दखल और अपने ही देश में चेचनिया में संघर्ष ने उसे शर्मिंदा भी किया है. 

आज का रूस: अमेरिका से कम लेकिन अब भी है शक्तिशाली
साम्यवाद के सबसे बड़ा और सफल प्रतीक रहा सोवियत संघ अपने 70 साल भी पूरे नहीं कर सका. विघटन के बाद भी रूस अपने सोवियत संघ की खामियों से उबरने में कामयाब नहीं रहा. बेशक शीत युद्ध समाप्त हो चुका है, लेकिन हथियार बेचने की ललक खत्म नहीं हुई है. आज हाल यह है कि रूस अपनी सोवियत संघ वाली साख और धाक हासिल करने की कोशिश नहीं छोड़ पा रहा है, वहीं अमेरिका खुद को एकमात्र महाशक्ति बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता. इस संघर्ष में वेनेजुएला, सीरिया, तुर्की जैसे देशों में अमेरिका और रूस की जद्दोजहद के संकेत साफ दिखाई देते हैं. 

कभी भारत का दोस्त था रूस
शीत युद्ध के समय भारत की रूस से गहरी दोस्ती थी. यह सिलसिला पूरे शीत युद्ध तक चला. लेकिन 21वीं सदी में समीकरण तेजी से बदले. पिछले कुछ सालों में रूस और अमेरिका के बीच तनतनी कुछ अलग तरह की हो गई. अमेरिका ने चीन को रोकने के लिए भारत को महत्व देना शुरू किया तो वहीं रूस और चीन अमेरिका की बढ़ती ताकत रोकने के लिए साथ हो गए. वहीं चीन पाकिस्तान की दोस्ती ने पाकिस्तान को रूस के नजदीक कर दिया, लेकिन भारत और रूस की दूरियां हो गईं. हालांकि इतना तय है कि रूस भारत का दुश्मन नहीं हो गया है. भारत और रूस के संबंध तो अब भी अच्छे हैं, लेकिन इन संबंधों में वह गर्मजोशी नहीं रही जो पहले हुआ करती थी. 

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14 देशों से सीमा साझा करता है रूस
रूस का दुनिया का सबसे बड़ा देश है. इसका भूभाग यूरोप और एशिया दोनों में आता है. आर्कटिक महासागर के दक्षिण में स्थित रूस 14 देशों से अपनी जमीनी सीमा साझा करता है. इनमें से उत्तर पश्चिम में नॉर्वे और फिनलैंड, पश्चिम में इस्टोनिया, लात्विया, लिथुएनिया, बेलारूस और यूक्रेन स्थित हैं जो रूस के यूरोपीय पड़ोसी है. इसके अलावा रूस की भूमि से दूर एक छोटा सा हिस्सा कालिनिनग्राद बाल्टिक सागर के किनारे पोलैंड और लिथुएनिया के पास है. दक्षिण पश्चिम में काला सागर और कैस्पियन सागर स्थित है. एशिया में दक्षिण पश्चिम से शुरू होकर जार्जिया, अजरबैजान मौजूद है. दक्षिण में कजाखस्तान, चीन और मंगोलिया हैं तो पूर्व में उत्तर कोरिया का कुछ हिस्सा भी रूस को छूता है. रूस जापान, स्वी़डन, तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका से अपनी सीमा साझा करता है.

कठोर शीत जलवायु करती है रूस की रक्षा
यहां की कठिन जलवायु ने इस देश को ऐसी सुरक्षा प्रदान की है जिसके कारण दुश्मन यहां आने में झिझकता रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की सोवियत संघ से हार का प्रमुख कारण भी यही रहा था कि हिटलर ने ठंड के मौसम में सोवियत संघ पर हमला करने का फैसला किया. इस ठंड को जर्मन सैनिक बर्दाश्त नहीं कर सके और पूरे विश्व युद्ध का नक्शा पलट गया.  

ऐसा है रूस का भूगोल
रूसी गणराज्य पश्चिम में यूरोपीय वोल्गा नदी के मैदान, यूराल पर्वत (जो कि एशिया और यूरोप की सीमा बनाता है), दक्षिण पश्चिम में काकेशस पर्वत श्रेणी यूरोपीय हिस्से के प्रमुख भूभाग बनाते है. ये इलाके एशियाई हिस्से के मुकाबले मैदानी उपजाऊ और कम ठंडे हैं, जहां अधिकांश जनसंख्या निवास करती है. वहीं कुछ उपजाऊ भूमि, विशाल दलदल, स्टेपी मैदान और विशाल शंकुधारी वन इस देश के मध्य और दक्षिणी हिस्से में फैले हैं. उत्तर और मध्य रूस का अधिकांश इलाका साइबेरिया कहलाता है जहां टुण्ड्रा जलवायु उत्तर में आर्कटिक सागर की ओर बढ़ती जाती है. साइबेरिया के दक्षिण मध्य से पूर्व तक पर्वत श्रेणियां हैं जहां कुछ सक्रीय ज्वालामुखी मौजूद हैं. बैकाल झील दुनिया की सबसे गहरी झील है जो इन्हीं पर्वतों के उत्तर की ओर स्थित है. वोल्गा, लेना, ओब और येनिसे रूस की प्रमुख नदियां हैं.

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केवल क्षेत्रफल में ही विशाल नहीं है रूस
17,125,200 वर्ग किलोमीटर (6,612,100 वर्ग मील) में फैले रूस की जनसंख्या 14 करोड़ 27 लाख है. जनसंख्या के लिहाज से यह दुनिया का 9वां देश है. ईसाई (लगभग 56%) और इस्लाम ( लगभग 8%) को मानने वाले लोग यहां सबसे ज्यादा हैं. बाकी सभी लोग विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग हैं जिनमें छोटा सा हिस्सा उन लोगों का भी है जो किसी भी धर्म को मानने वाले नहीं हैं. रूस में रूसी भाषा ही बोली जाती है. रूस का साहित्य, विज्ञान (विशेषकर अंतरिक्ष विज्ञान), गणित, सिनेमा आदि में समृद्ध योगदान है. मॉस्को, सेंट पीटरबर्ग, नोवोसिबिर्स्क, येकातेरिनबर्ग, रोस्तोव, व्लादिवोस्तोक, इरकुत्स, वोल्गोग्राद, ओमस्क प्रमुख शहर हैं.  

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मास्को शहर रूस की राजधानी होने के साथ ही अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है. (फोटो : PTI)

क्यों है आज भी रूस इतना शक्तिशाली
प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं जिसकी वजह से वह दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक बन सका. यहां के तेल और प्राकृतिक गैस और कोयले के अकूत (दुनिया में सर्वाधिक) भंडार इस देश को ऊर्जा सम्पन्न करते हैं. इसके अलावा कृषि के क्षेत्र में अनाज, सब्जियां, फल आदि में रूस आत्मनिर्भर होने के साथ कई चीजों का निर्यातक भी है. पेट्रोलियम, कोयला, लकड़ी, धातुएं, सैन्य उपकरण रूस के प्रमुख उत्पाद हैं. यह दुनिया के बड़े संगठनों का सदस्य है जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जी20 समूह, यूरोप और एशिया के कई आर्थिक संगठनों का भी सदस्य है. रूबल यहां की मुद्रा है. 

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क्यों एक ही है सोवियत संघ और रूस का एक इतिहास
रूस का इतिहास सोवयत संघ का ही इतिहास है क्योंकि 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो रूस से अलग हो कर कुल 15 देश तो बने लेकिन सबसे बड़ा हिस्सा रूस ही रहा. यहां तक कि रूस के बनने के बाद भी वह दुनिया का सबसे बड़ा देश बना रहा जो पहले सोवियत संघ था. इसी लिए रूस और सोवियत संघ का इतिहास एक ही माना जाता है. 

पहले यूरोप तक ही सीमित था रूस
रूस में 8वीं ईसापूर्व में काला सागार और कैस्पियन सागर के उत्तर के इलाका में, जिसे सिंथिया कहा जाता है, यवन और तुर्क व्यापारी यहां आए. इसके बाद रोमनों ने फिर खजर तुर्कों ने यहां राज किया. रूसी मूल के लोगों का इतिहास पूर्वी स्लावों के समय से शुरू होता है जिनके बारे में कहा जाता है कि वे उत्तर और पश्चिम से आए थे. तीसरी से आठवीं सदी तक स्लाव साम्राज्य अपने चरम पर था, जब तक वे पूरे पश्चिम रूस में फैल चुके थे. 9वीं सदी के बाद जो कीव राज्य था, कहा जाता है कि वे यहीं के मूल लोगों का था. 10वीं सदी में यहां के लोगों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया. 11वीं सदी तक कीवी रूस का साम्राज्य यूरोप तक ही सीमित था जो 12वीं सदी में मंगोलों के हमलों के बाद पूरी तरह बिखर गया. 11वीं से 12वीं सदी के बीच मंगोलों और अन्य तातार जातियों के हमले के कारण यहां के लोग उत्तर की ओर जाने को मजबूर हो गए. 15वीं सदी तक यहां आपसी संघर्ष जारी रहा और 16वीं सदी में जारों के शासन में आने के बाद रूस का विस्तार शुरू हुआ. 

जारों का शासन 
रूस के इतिहास में जारों का बहुत महत्व है क्योंकि जारों के शासनकालों में ही रूस का विस्तार हुआ. 17वीं सदी में रूस मजबूत होता गया और 18वीं सदी तक एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया और उसका विस्तार पूर्व तक होने लगा. 18वीं सदी में रूस के उपनिवेश बनने लगे. इस बीच रूस का मंगोलिया और जापान तक विस्तार हो गया. 19वीं सदी में यह नेपोलियन, तुर्कों के हमलों से बचने में सफल रहा, लेकिन रूस की उस तरह से वैज्ञानिक उन्नति न हो सकी जैसी की पश्चिमी यूरोप की हुई थी. 

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जार का अंत, रूसी क्रांति और उसके बाद गृह युद्ध
1905 में जापान से रूस की हार के बाद रूसी क्रांति के बाद रूस के लोगों को कुछ अधिकार मिले, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध में रूस की सफलता के बावजूद जनता में फैले असंतोष की परिणति 2017 की मशहूर रूसी क्रांति के रूप में हुई और पहले फरवरी क्रांति से रूस में जार शासन पूरी तरह से खत्म हो गया. जबकि अक्टूबर क्रांति से देश की व्यवस्था पर मजदूरों और किसानों की चुनी हुई परिषदों, जो सोवियत कही जाती थीं, का वर्चस्व हो गया. इस तरह से व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में दुनिया में पहली समाजवादी सरकार बनी. इसके पांच साल तक कम्युनिस्ट और गैर कम्युनिस्टों के बीच गृह युद्ध चलता रहा है जिसके के बाद सोवियत संघ का निर्माण 1922 में हुआ. 

सोवियत संघ का निर्माण
सोवियत संघ बनने के बाद रूस ने तेजी से उन्नति की द्वितीय युद्ध के बाद से सोवियत संघ दुनिया की महाशक्ति बन गया. इसके बाद तकनीकी और कृषि आधारित विकास ने दुनिया के लगभग सभी देशों को पीछे छोड़ दिया. इसके बाद शीत युद्ध की होड़ में भी रूस ने काफी तरक्की की, लेकिन 1991 तक सोवियत संघ का विघटन हो गया. जिसके फलस्वरूप रूस का अस्तित्व सामने आया. 

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रूस की शासन व्यवस्था
1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद रूस एक संघीय गणराज्य बन गया. जिसमें बहु दलीय लोकतंत्र है (कहा जाता है कि यह केवल कागजों पर है). देश का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति करता है जो कि सेना प्रमुख भी होता है. वहीं सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री है. देश में द्विसदनीय संसद है. 450 सदस्यीय निम्न सदन (भारत की लोकसभा की तरह) को ड्यूमा कहा जाता है जबकि फेडरेशन काउंसिल उच्च सदन (भारत की राज्य सभा) है. 

व्लादिमीर पुतिन, सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता
व्लादिमीर पुतिन 2018 में ही लगातार दूसरी बार (और कुल चौथी बार) देश के राष्ट्रपति बने हैं. रूस के साथ समस्या यह है कि मौजूदा हालातों में देश में कोई भी पुतिन का उत्तराधिकारी बनने के योग्य नहीं है. ऐसा नहीं है कि पुतिन लोकप्रिय नेता नहीं हैं, बल्कि इसके उलट उनके कद का कोई भी नेता न होने से रूसियों को डर है कि जो साख और मजबूती पुतिन ने रूस को दी है वह शायद ही कोई दे पाए. 66 वर्षीय पुतिन का दूसरा कार्यकाल 2024 में खत्म होगा. इसके बाद पुतिन मौजूदा संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति नहीं बन पाएंगे क्योंकि रूस में कोई भी लगातार दो बार राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता. पुतिन इसी कारण पहले भी राष्ट्रपति पद को छोड़ चुके हैं और उसके बाद 2012 में वे फिर से राष्ट्रपति बने थे. 

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