Rassia war: 48 साल पहले युद्ध को यादकर आज भी कांपता है रूस, व्हाइट डेथ की ये है कहानी
Advertisement
trendingNow11641867

Rassia war: 48 साल पहले युद्ध को यादकर आज भी कांपता है रूस, व्हाइट डेथ की ये है कहानी

Russia War: ये युद्ध 1939 से 1940 के बीच साढे 3 महीने तक चला था. विंटर वार द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत के 3 महीने बाद 30 नवंबर 1939 को शुरू हुआ था. इसका अंत 13 मार्च 1940 को मॉस्को शांति समझौते के बाद हुआ था. राष्ट्र संघ ने इस हमले को अवैध माना और संघ से सोवियत संघ को निष्कासित कर दिया था.

व्हाइट डेथ

White death story: फिनलैंड ने 1993 में रूस के साथ लगातार साढ़े 3 महीने जंग की थी. वहां के स्नाइपर व्हाइट डेथ ने अकेले ही करीब 500 सैनिक रूस के मार गिराए थे. जिसकी कहानी सुनकर रूस आज भी कांप उड़ता है. फिनलैंड के नाटो का 31 वां सदस्य देश बन चुका है. इससे फिनलैंड का पड़ोसी देश रूस काफी आक्रोशित है. रूस ने फिनलैंड को प्रतिरोधी उपाय करने की चेतावनी भी दी है. इसके बाद से यूरोप में तनाव और ज्यादा बढ़ गया है. फिनलैंड और रूस 1300 किलोमीटर सीमा को साझा करते हैं. रूस की धमकियों पर फिनलैंड ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहां के विदेश मंत्रालय ने सिर्फ इतना कहा है कि उनके देश को फैसला लेने का हक है. फिनलैंड शीत युद्ध के बाद सही तटस्थ रहा है, लेकिन नाटो में शामिल होने से फिनलैंड की तटस्थता खत्म हो गई है.

मॉस्को शांति समझौते के बाद हुआ था अंत
ये युद्ध 1939 से 1940 के बीच साढे 3 महीने तक चला था. विंटर वार द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत के 3 महीने बाद 30 नवंबर 1939 को शुरू हुआ था. इसका अंत 13 मार्च 1940 को मॉस्को शांति समझौते के बाद हुआ था. राष्ट्र संघ ने इस हमले को अवैध माना और संघ से सोवियत संघ को निष्कासित कर दिया था. इस युद्ध में बेहतर सैन्य शक्ति होने के बावजूद सोवियत सेना को अधिक नुकसान उठाना पड़ा था. 
सोवियत संघ ने उस समय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए फिनलैंड से उनकी सीमा के 32 किलोमीटर अंदर तक की जमीन की मांग की थी. इतिहासकारों का मानना है कि आक्रमण के समय सोवियत संघ का इरादा पूरे फिनलैंड को जीतना था ना कि सिर्फ 32 किलोमीटर की जमीन का था. उसने फिनलैंड में एक कठपुतली कम्युनिस्ट सरकार की भी स्थापना की थी, लेकिन उसके लिए उसको भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

व्हाइट डेथ से कांपती थी सोवियत सेना
फिनलैंड के सैन्य स्नाइपर व्हाइट डेथ ने इस युद्ध में सबसे ज्यादा कोहराम मचाया था. इस स्नाइपर का नाम सीमो हैहा था. जिसने सोवियत सैनिकों को मारने के लिए फिनिश निर्मित एम 28-30 राइफल और एक सुओमी केपी -31 सब मशीन गन का इस्तेमाल किया था. अकेले दम पर उसने 500 सैनिकों को अपना शिकार बना लिया था. उस सैनिक का नाम सुनते ही सोवियत के सैनिक अपनी सुरक्षा चौकियां तक खाली कर देते थे.

हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.comसबसे पहलेसबसे आगे

Trending news