Exclusive: Exclusive: वेस्ट एशिया में कूटनीति और जंग में रेस, लेबनान के राजदूत ने बताया- क्यों सबको भारत से है इतनी उम्मीद?
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Exclusive: Exclusive: वेस्ट एशिया में कूटनीति और जंग में रेस, लेबनान के राजदूत ने बताया- क्यों सबको भारत से है इतनी उम्मीद?

इजरायल-हमास जंग के बारे में भारत में लेबनान के राजदूत डॉ रबी नर्श ने खुलकर अपने विचार रखे. एक तरफ उन्होंने कहा कि कूटनीति और जंग के बीच रेस है लेकिन उम्मीद है कि जीत कूटनीति की ही होगी. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रिश्ता इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से है और भारत अपनी भूमिका को शानदार ढंग से निभा भी रहा है.

Exclusive: Exclusive: वेस्ट एशिया में कूटनीति और जंग में रेस, लेबनान के राजदूत ने बताया- क्यों सबको भारत से है इतनी उम्मीद?

Israel Hamas War: आतंकी संगठन हमास के खिलाफ इजरायल लगातार कार्रवाई कर रहा है. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी साफ कर दिया है कि यह लड़ाई हमास के खात्मे तक जारी रहेगी. इजरायल की इस कार्रवाई को जहां अमेरिका और यूरोप के देशों का समर्थन हासिल है वहीं इस्लामिक देश आलोचना कर रहे हैं. इस्लामिक देशों का कहना है कि हमास के नाम पर इजरायल बेगुनाहों का खून बहा रहा है जिसे रोका जाना चाहिए. इस विषय पर भारत में लेबनान के राजदूत डॉ रबी नर्श ने खुल कर अपने विचार हमारे WION के डिप्लोमेटिक करेस्पांडेंट सिद्धांत सिब्बल से खुल कर रखे. उन्होंने कहा कि वेस्ट एशिया में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. वेस्ट एशिया में कूटनीति और जंग के बीच रेस चल रही है. हमें उम्मीद है कि अंत में जीत कूटनीति की ही होगी.

सिद्धांत सिब्बल: मेरा आपसे पहला सवाल यह है कि लेबनान की मौजूदा स्थिति का क्या मतलब है . हमने हमास का हमला और फिर इजराइल की जवाबी कार्रवाई देखी है. आपकी सरकार का क्या कहना है. 

डॉ. रबी नर्श:  हालात वाकई चिंताजनक और काफी तनावपूर्ण है. लेकिन मुझे कुछ कहने दीजिए, मुझे चीज़ों को उनके सही नामों से पुकारने से शुरुआत करनी चाहिए. यह स्थिति सात अक्टूबर को हमास के हमले से शुरू नहीं हुई थी. यह स्थिति उससे बहुत पहले शुरू हुई थी. फिलिस्तीनी भूमि पर इजरायल के कब्जे के बाद से शुरू हुआ और 25 लाख फिलिस्तीनियों को दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल में डालने के बाद से. तो निःसंदेह, जैसा कि आपने मुझसे लेबनान की स्थिति के बारे में पूछा निश्चित तौर पर हम शांति की अपील कर रहे हैं. हमने हमेशा समस्या के शांतिपूर्ण समाधान की ही बात पर बल दिया है. यह दूसरा हिस्सा है, यह इजरायल है जिसने इनकार कर दिया और सभी शांति पहलों से इनकार करता रहा. अतः लेबनान की स्थिति सर्वविदित है. हम तनाव बढ़ाने के खिलाफ हैं, नागरिकों पर हमला करने के खिलाफ हैं, लेकिन हमें मूल कारण देखना होगा जो कि कब्जा है.

सिद्धांत सिब्बल: तो आपने नागरिकों की स्थिति के बारे में भी बताया, लेकिन क्या आप हमास के हमले को, हमास के आतंकी हमले को आतंकी हमला कहेंगे.क्या आप इस हमले की निंदा करेंगे...

डॉ. रबी नर्श:  यह वास्तव में मेजबान से निंदा करने के लिए कहने की मानसिकता है. जैसा कि मैंने कहा, मेरा मतलब है, इस मानसिकता को बदलना होगा..निंदा करने के बारे में नहीं है, यदि आप निंदा करना चाहते हैं, तो निश्चित रूप से कर सकते हैं. हम सभी नागरिकों के मारे या घायल होने की निंदा करते हैं, हम नागरिकों की हत्या की निंदा करते हैं. लेकिन निष्पक्ष रहें और निंदा करें. ऐसा लगता है कि आप नागरिकों पर इजरायल के हमले की निंदा करते हैं. इजराइल का कब्जा इसका कारण है  सभी फिलिस्तीनियों और प्रतिरोध के हर एक काम का प्रतिशोध है. नागरिक हत्या की निंदा करता हूं. गाजा पट्टी पर इजरायल के जातीय सफाये की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. कॉरपेट बमबारी,  अस्पतालों पर बमबारी की निंदा करता हूं. आपने अल-अहली अस्पताल और अन्य अस्पतालों, बमबारी वाले स्कूलों को देखा है. नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने की निंदा करते हैं.

सिद्धांत सिब्बल: लेबनान फिलिस्तीन के लोगों तक कैसे पहुंच रहा है.आपने गाजा की स्थिति के बारे में बताया.क्या आप इजरायली बमबारी से प्रभावित गाजा के लोगों को किसी प्रकार की मानवीय सहायता भी भेज रहे हैं?

डॉ. रबी नर्श:  गंभीर आर्थिक स्थिति के बावजूद और लेबनान वर्तमान में जिस दौर से गुजर रहा है.उस हालात में हम कैसे सहायता भेज सकते हैं. कहने का मतलब है कि हमारे पास कोई सीधा चैनल नहीं है. इजरायल ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों को पूरी तरह से बंद कर दिया है. इसलिए मेरी जानकारी में नहीं है कि हम कुछ मानवीय सहायता भेज रहे हैं, लेकिन निश्चित रूप से हम यूएनआरडब्ल्यूए जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में योगदान दे रहे हैं. जिन्होंने फिलिस्तीनी शरणार्थियों की मदद की, निश्चित रूप से हम करते हैं. हमें कुछ देखना होगा, ताकि आप उस क्षेत्र की बड़ी स्थिति, बड़ी तस्वीर, समाज को समझ सकें. अरब समाज आपस में बहुत अधिक जुड़े हुए हैं. इसलिए वे हर जगह रिश्तेदार हैं. मेरा मतलब है, जब फिलिस्तीनी, शायद अल्जीरिया में अरब पर हमला होता है, तो उन्हें दुख होता है. मेरा मतलब है, जैसे यहां भारत में, आप जानते हैं, हम एक देश हैं, इसलिए अगर दक्षिण भारत में,या उत्तर भारत में कुछ होता है, तो आपको उसके लिए खेद होता है और आपको ऐसा लगता है कि आप चिंतित हैं. इसलिए मेरे कहने का मतलब है कि इजराइल के हमले ने निश्चित रूप से हम चिंतित हैं. 

सिद्धांत सिब्बल: ऐसा लग रहा है कि आपके देश पर असर पड़ेगा, हमने कई एडवाइजरी देखी हैं. क्या आप देखते हैं ये चिंताजनक स्थिति...

डॉ. रबी नर्श: युद्ध के समय में यह सामान्य बात है. सभी विदेशी दूतावास नागरिकों को सावधान रहने या उस देश को छोड़ने या उस देश में नहीं जाने के लिए कहते हैं. जिस पर हमला किया जा रहा है या उसके अधीन है. हमला किये जाने की धमकी. तो हां, मेरा मतलब है यह सामान्य है, साथ ही क्योंकि मुझे लगता है कि लेबनान में विदेशी राजदूत अच्छी तरह से जानते हैं कि इजरायल वास्तविक खतरा है और जब वे कहते हैं कि हम लेबनान पर हमला कर सकते हैं, तो वे कर सकते हैं. क्योंकि हम लंबे समय से इजरायली हमलों का शिकार हो रहे हैं. और कई बार उन्होंने लेबनान पर बमबारी की और वे हमले करते हैं. इसलिए इजरायली आक्रामकता बिल्कुल सच है. मुझे लगता है कि विदेशी दूतावास नागरिकों से सावधान रहने या दुर्भाग्य से चले जाने की अपील कर रहे हैं. हां मेरा मतलब यही है क्योंकि मुझे लगता है कि वे इजरायली इरादे को जानते हैं.

सिद्धांत सिब्बल:  हमने इजरायल से आने वाली टिप्पणियों को देखा है. उन्होंने कहा है कि हिजबुल्लाह इजरायली क्षेत्र में गोलीबारी कर रहा है. इजरायल के उत्तर में एक दूसरा मोर्चा खुल सकता है. उन्होंने यह भी कहा है कि दूसरा इजराइल-लेबनान युद्ध हो सकता है. आप इन टिप्पणियों से क्या निष्कर्ष निकालते हैं ?

डॉ. रबी नर्श: यह सच नहीं है कि हिजबुल्लाह ने इजराइल के खिलाफ कोई हमला शुरू किया है. हिजबुल्लाह रक्षात्मक मुद्रा में है.

इजरायल- हमास जंग में हजारों की मौत

इजरायल-हमास की लड़ाई में अब तक 1400 से अधिक इजरायली सैनिकों और पांच हजार से अधिक फिलिस्तीन नागरिकों की मौत हो चुकी है. इसकी वजह से पूरे इलाके में अजीब सा माहौल बना हुआ है. कूटनीतिक स्तर पर रास्ता तलाशने का काम जारी है. अमेरिका और इजिप्ट की तरफ से तनाव को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन तस्वीर चिंताजनक है. डॉ रबी नर्श से एक अहम सवाल लेबनान-इजरायल की सीमा पर भी किया गया. उस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विवाद का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए. हम जंग का पहले भी अनुभव कर चुके हैं और जंग के मतलब को भी समझते हैं. हमें यह पता है कि जंग के बाद की स्थिति किस तरह की होती है. यह आसान केकवॉक नहीं है यानी आसान रास्ता नहीं है. इजरायल को भी इस बात को समझना चाहिए. विवाद का असर सिर्फ लेबनान तक सीमित नहीं रहने वाला है बल्कि इसका असर पूरे इलाके पर पड़ेगा. चिंता की बात इसलिए भी है कि क्योंकि कुछ देशों ने अपने नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहा है.

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