South Korea Elections: राष्ट्रपति यूं सुक-योल को करारा झटका, विपक्ष ने दर्ज की धमाकेदार जीत
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South Korea Elections: राष्ट्रपति यूं सुक-योल को करारा झटका, विपक्ष ने दर्ज की धमाकेदार जीत

South Korea Elections 2024: राष्ट्रपति यून के लिए अब आगे की राह मुश्किल रहने वाली है. इन चुनाव परिणामों से अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता पर काफी असर पड़ सकता है.

South Korea Elections:  राष्ट्रपति यूं सुक-योल को करारा झटका, विपक्ष ने दर्ज की धमाकेदार जीत

South Korea Parliamentary Election: दक्षिण कोरिया के उदारवादी विपक्षी दलों ने बुधवार (10 अप्रैल) के संसदीय चुनाव में व्यापक जीत हासिल की. यह राष्ट्रपति यूं सुक योल (Yoon Suk Yeol) और उनकी रूढ़िवादी पार्टी को एक बड़ा झटका है. कुछ विश्लेषकों ने चुनाव को यूं के नेतृत्व पर जनमत संग्रह बताया है. दक्षिण कोरियाई नेता की लोकप्रियता उनके प्रशासन के अर्थव्यवस्था को संभालने के तरीके और विभिन्न राजनीतिक घोटालों के कारण प्रभावित हुई है.

इन मुद्दों पर जोरदार अभियान चलाते हुए, उन्होंने बार-बार यूं के मैनेजमेंट की आलोचना की. इसके अलावा यूं द्वारा अपनी पत्नी के एक लक्जरी गिफ्ट- एक डायर बैग - को स्वीकार करने को गलत कदम नहीं मानने के लिए भी विपक्ष ने जमकर निशाना साधा.

विपक्ष को मिले कितने वोट
रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक (11 अप्रैल) को सुबह 5:55 बजे (2055 GMT बुधवार) तक 99 प्रतिशत से अधिक वोटों की गिनती के साथ, राष्ट्रीय चुनाव आयोग और नेटवर्क ब्रॉडकास्टर्स के अनुमान के अनुसार डेमोक्रेटिक पार्टी (DP) नई विधायिका में 300 में 170 से अधिक सीटें हासिल करेगी.

जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, डीपी नेता ली जे-म्युंग ने मतदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, 'जब मतदाताओं ने मुझे चुना, तो यह यूं सुक योल प्रशासन के खिलाफ फैसला था.'

सियोल के पश्चिम में इंचियोन में सीट जीतने वाले ली ने लोगों की आजीविका की जिम्मेदारी लेने के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'आप डेमोक्रेटिक पार्टी को लोगों की आजीविका की जिम्मेदारी लेने और एक बेहतर समाज बनाने का कर्तव्य दे रहे हैं.' उन्होंने राष्ट्रपति यूं से निकटता से जुड़े एक रूढ़िवादी दिग्गज को हराया.

यूं की पीपुल्स पावर पार्टी (पीपीपी) को केवल 100 से अधिक सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है. इससे यह दो-तिहाई विपक्षी नियंत्रण के बहुमत से बच गई थी, जो रॉयटर्स के अनुसार 'राष्ट्रपति के वीटो को तोड़ सकती थी और संवैधानिक संशोधनों को पारित कर सकती थी.'

यूं के लिए आगे की राह मुश्किल’
यूं, जो दोबारा चुनाव के लिए तैयार नहीं हैं. इन चुनाव परिणामों से अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता पर काफी असर पड़ सकता है.

हनकुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज के प्रोफेसर मेसन रिची का सुझाव है कि जैसे-जैसे उनका घरेलू प्रभाव कम होता जा रहा है, यून अब अपनी विदेश नीति के एजेंडे पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ';उनकी संभावित कमजोर स्थिति को देखते हुए, यून के लिए अब विदेश नीति पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जहां उनके पास अभी भी वैधानिक शक्ति होगी.'

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