सुषमा स्वराज ने सिरिसेना से की मुलाकात की, द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा
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सुषमा स्वराज ने सिरिसेना से की मुलाकात की, द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा

श्रीलंका ने सुषमा की यात्रा के मौके पर सदभावना का परिचय देते हुए गुरुवार (31 अगस्त) को 76 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया.

श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना से मुलाकात के दौरान भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. (PHOTO : IANS/1 September, 2017)

कोलंबो: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार (1 सितंबर) को श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और आपसी सहयोग के द्विपक्षीय मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की. दूसरे हिंद महासागर सम्मेलन में शरीक होने के लिए यहां आई सुषमा ने दो दिवसीय बैठक से इतर राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से मुलाकात की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राष्ट्रपति सिरिसेना से मुलाकात की और आपसी सहयोग के द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की.’ इससे पहले शुक्रवार (1 सितंबर) को स्वराज ने अपने श्रीलंकाई समकक्ष तिलक मारपना से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग के अहम पहलुओं पर चर्चा की.

कुमार ने कहा, ‘प्रगति और समृद्धि के लिए साझेदारी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंका के विदेश मंत्री तिलक मारपना के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की.’ यहां भारतीय उच्चायोग ने कहा, ‘सुषमा ने तिलक मारपना के साथ द्विपक्षीय संबंधों के अहम पहलुओं पर चर्चा की.’ उन्होंने गुरुवार (31 अगस्त) को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और सिंगापुर की अपनी समकक्ष विवियन बालकृष्ण से मुलाकात की.

श्रीलंका ने सुषमा की यात्रा के मौके पर सदभावना का परिचय देते हुए गुरुवार को 76 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया. हिन्द महासागर सम्मेलन संयुक्त रूप से इंडिया फाउंडेशन, एस राजरत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, सिंगापुर और कोलंबो स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल स्टडीज ने आयोजित किया है. इस साल के सम्मेलन का थीम शांति, प्रगति और समृद्धि है.

दूसरे देश नहीं करेंगे सैनिक अड्डे के तौर पर हम्बनटोटा बदंरगाह का इस्तेमाल

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह का किसी भी अन्य देश द्वारा सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल की संभावना को शुकवार (1 सितंबर) को खारिज कर दिया. इस तरह उन्होंने श्रीलंका में बढ़ती चीनी नौसना की मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर की हैं. श्रीलंका की सरकार ने हम्बनटोटा बंदरगाह की 70 फीसदी हिस्सेदारी चीन को बेचने के लिए गत 29 जुलाई को 1.1 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बंदरगाह निर्माण के चलते देश पर चढ़े भारी भरकम कर्जे पर चिंताएं जाहिर की जा रही थीं.

चीन की सरकारी चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स 99 वर्ष के लीज समझौते के तहत बंदरगाह में 1.1 अबर डॉलर का निवेश करेगी. इस समझौते में कई महीनों की देरी हुई है जिसकी वजह यह आशंका है कि गहरे समुद्र में बने बंदरगाह का इस्तेमाल चीन की नौसेना कर सकती है. श्रीलंका में गृहयुद्ध वर्ष 2009 में खत्म हुआ था जिसके बाद से चीन ने यहां लाखों डॉलर का निवेश किया है. हम्बनटोटा बंदरगाह को विकसित करने में चीन की भागीदारी पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने ऐसा समय चुना है जब भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वहां दौरे पर हैं.

(इनपुट एजंसी से भी)

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