दुनिया भर में छाया कोरोना वायरस संकट कई देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर बना रहा है, वहीं एक देश नए तरह चिकित्सा तूफान से जूझ रहा है.
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नई दिल्ली : दुनिया भर में छाया कोरोना वायरस संकट कई देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर बना रहा है, वहीं एक देश नए तरह चिकित्सा तूफान से जूझ रहा है. मध्य अफ्रीकी देश - डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो मुश्किल में आ गया है.
समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि देश के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में इबोला का एक नया प्रकोप हुआ है. जबकि देश पूर्वी भागों में कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने में जुटा है.
स्वास्थ्य मंत्री एतेनी लोंगोंडो ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, फिर से लौटे इबोला ने माण्डाका शहर में चार लोगों की जान ले ली है.
लोंगोंडो ने कहा, "नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (INRB) ने मुझे पुष्टि की है कि Mbandaka के नमूनों का Ebola के लिए परीक्षण पॉजिटिव आया है.... हम उन्हें जल्द ही वैक्सीन और दवा भेज देंगे."
माण्डाका, कांगो के इक्वाटेर प्रांत की राजधानी है. इबोला ने इस प्रांत में 2018 के मई और जुलाई के महीनों में 33 लोगों की जिंदगी लील ली थी.
इसके बाद से, इबोला महामारी ने देश के पूर्वी क्षेत्र में 2,280 लोगों की जान ली थी. सरकार 25 जून को देश को इबोला मुक्त घोषित करने की योजना बना रही थी, लेकिन नए मामलों के सामने आने के बाद देश को इससे अपनी लड़ाई जारी रखनी पड़ेगी. ऐसी स्थिति इसी साल अप्रैल में भी बनी थी तब देश खुद को इबोला मुक्त घोषित करने से केवल तीन दिन दूर था.
लोगोंडो ने आगे कहा, "यह एक ऐसा प्रांत है जिसने पहले से ही बीमारी का अनुभव किया है. उन्हें पता है कि इसे कैसे प्रतिक्रिया देनी है. उन्होंने कल (रविवार) ही स्थानीय स्तर पर काम शुरू कर दिया है."
बता दें कि यदि लगातार 42 दिनों तक कोई मामला दर्ज नहीं किया जाता है, तो देश खुद को ईबोला से मुक्त घोषित कर सकेगा.
यह 1976 के बाद से देश में ग्यारहवां प्रकोप है.
इबोला के साथ, देश कोरोना वायरस महामारी से भी जूझ रहा है, जिसने अब तक यहां 72 से अधिक लोगों को मार दिया है और 3,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है.