अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा है कि धार्मिक आजादी को केवल अधिनायकवादी शासनों से ही नहीं.
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वॉशिंगटन: अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा है कि धार्मिक आजादी को केवल अधिनायकवादी शासनों से ही नहीं, मुक्त समाज से भी खतरा है. दुनिया भर के नेता इस मुद्दे पर चर्चा करने तथा इसका समाधान खोजने के लिए आम योजना तैयार करने के लिए यहां एक कार्यक्रम में एकत्र हुए. धार्मिक स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के मकसद से विदेश विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पेंस ने कहा कि अधिनायकवादी शासनों में धार्मिक आजादी के लिए हमेशा खतरा रहता है. धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए खतरा निरंकुश या तानाशाही शासन तक ही सीमित नहीं रहता.
वे मुक्त समाज के अलावा सरकारी उत्पीड़न के बिना भी पूर्वाग्रह और घृणा से पैदा हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि यूरोप में धार्मिक स्वतंत्रता एक सिद्धांत के रूप में पैदा हुई थी और कानून में इसे शामिल किया गया . लेकिन कई हिस्सों में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है . नरसंहार के 70 साल बाद भी यहूदियों पर हमले खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले साल ब्रिटेन में यहूदियों के खिलाफ नफरत से भरे अपराध रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए . इसी अवधि में यहूदियों के खिलाफ हर दिन औसतन चार हमले हुए. इस कार्यक्रम में 80 से अधिक विदेशी प्रतिनिधिमंडलों और धार्मिक नेताओं ने भाग लिया. इसमें भारत की ओर से कोई भागीदारी नहीं थी.
आयोजकों ने इन सवालों का जवाब नहीं दिया कि भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था या भारत ने इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेने का फैसला किया था. पेंस ने एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक कोष की भी घोषणा की . इसके जरिये धार्मिक स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे लोगों और धार्मिक अत्याचारों से पीड़ितों को मदद दी जाएगी.
इनपुट भाषा से भी