ब्रिटेन ने Farmers Protest पर स्पष्ट की अपनी स्थिति, बताया भारत का आंतरिक मामला
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ब्रिटेन ने Farmers Protest पर स्पष्ट की अपनी स्थिति, बताया भारत का आंतरिक मामला

यूके के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि किसानों का प्रदर्शन भारत का आंतिरक मामला है. इससे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने भी आंदोलन पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी.

 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए ब्रिटेन (UK) ने इसे भारत का आंतरिक मामला करार दिया है. ब्रिटेन ने कनाडा के विपरीत यह साफ कर दिया है कि किसान आंदोलन भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी तरह की दखलंदाजी की जरूरत नहीं है. इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत के विरोध के बावजूद किसान आंदोलन पर टिप्पणी की थी.

  1. सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने संसद में भी उठाया था मुद्दा
  2. भारत के विरोध के बावजूद कनाडा कर चूका है टिप्पणी
  3. कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं किसान 
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सिख सांसद ने उठाया था मुद्दा

Zee News के सहयोगी चैनल WION के एक सवाल के जवाब में यूके के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) भारत का आंतिरक मामला है. बुधवार को ब्रिटिश संसद में भी यह मामला उठाया गया. लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने हाउस ऑफ कॉमन्स में भारत के किसान आंदोलन पर सवाल किये थे, जिन पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी.

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India-Pakistan दोनों का जिक्र
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सांसद ढेसी के सवाल के जवाब में भारत-पाकिस्तान दोनों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में हमारी गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन यह मुद्दा दोनों देशों का आंतरिक मुद्दा है और वहां की सरकारों को सुलझाना है. मैं जानता हूं कि वह (तनमनजीत सिंह ढेसी) उस बिंदु की सराहना करते हैं’.

India ने जताया था विरोध

पिछले हफ्ते कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने किसान आंदोलन (Kisan Andolan) पर बयानबाजी की थी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने आंदोलन पर चिंता जताते हुए कहा था कि कनाडा दुनियाभर में कहीं भी होने वाले शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के लिए हमेशा खड़ा रहेगा. जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था. उच्चायुक्त को बताया गया था कि भारतीय किसानों से संबंधित मुद्दों पर कनाडाई प्रधानमंत्री और कुछ कैबिनेट मंत्रियों की टिप्पणी भारत के आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है.

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