Russia Ukraine War: रूस में घुसते ही अरेस्ट कर लेंगे! पुतिन ने क्यों निकाला NATO देश की पीएम के नाम का वारंट
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Russia Ukraine War: रूस में घुसते ही अरेस्ट कर लेंगे! पुतिन ने क्यों निकाला NATO देश की पीएम के नाम का वारंट

Russia Wanted List: रूस ने एस्‍टोनिया की पीएम काया कलास समेत लिथुआनिया और लातविया के कई नेताओं को वॉन्‍टेड लोगों की लिस्ट में डाल दिया है. ये तीनों देश NATO और यूरोपियन यूनियन (EU) के सदस्य हैं.

Russia Ukraine War: रूस में घुसते ही अरेस्ट कर लेंगे! पुतिन ने क्यों निकाला NATO देश की पीएम के नाम का वारंट

Russia Ukraine War News in Hindi: यूक्रेन से युद्ध के बीच, रूसी पुलिस ने NATO देशों के कई नेताओं को 'वॉन्टेड लिस्ट' में डाल दिया है. इनमें एस्‍टोनिया की प्रधानमंत्री काया कलास प्रमुख हैं. लिथुआनिया की कल्चर मिनिस्टर और लताविया की पिछली सरकार में शामिल कई मंत्रियों के नाम भी वॉन्टेड लिस्ट में जोड़े गए हैं. रूस की सरकारी एजेंसी TASS के अनुसार, बाल्टिक नेता 'सोवियत सैनिकों की याद में बने स्मारकों को नष्ट करने' के आरोपी हैं. रूस में ऐसे अपराध के लिए 5 साल जेल की सजा का प्रावधान है. अगर ये नेता सीमा पार कर रूस में दाखिल होते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की सरकार ने संकेत दिए हैं कि इन नेताओं के खिलाफ मुकदमा भी चलाया जा सकता है. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, "यह केवल शुरुआत है." उन्होंने कहा, "नाजीवाद और फासीवाद से दुनिया को मुक्ति दिलाने वालों की याद के खिलाफ अपराधों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए."

पुतिन सरकार के कदम पर कलास ने कहा कि यह कार्रवाई उन्‍हें चुप नहीं करा पाएगी. स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने कलास के समर्थन में X (पहले ट्विटर) पर पोस्‍ट किया और पुतिन को कोसा.

'पूरा यूरोप आपके साथ है'

कलास ने X पर लिखा, 'क्रेमलिन को उम्‍मीद होगी कि इस कदम से वह मुझे और दूसरों को चुप करा देंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा. मैं यूक्रेन को मजबूत समर्थन देना जारी रखूंगी.' उन्होंने कहा कि रूस का यह कदम उन्हें बिल्कुल भी हैरान नहीं करता. सांचेज ने कलास के समर्थन में X पर लिखा, 'पुतिन का कदम लोकतंत्र और स्वतंत्रता की रक्षा में आपके साहस और एस्टोनिया के नेतृत्व का एक और प्रमाण है. वह हमें धमका नहीं पाएंगे. स्‍पेनिश लोग और यूरोप आपके पीछे खड़े हैं.'

यूक्रेन युद्ध के बाद बिगड़े संबंध

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने रूसी मंत्रालय के डेटाबेस का हवाला देते हुए बताया कि एस्टोनिया के स्टेट सेक्रेटरी तैमर पीटरकोप और लिथुआनिया के संस्कृति मंत्री साइमनस कैरीज का नाम भी लिस्ट में है. पिछली लातवियाई संसद के 100 सदस्यों में से लगभग 60, जिनका कार्यकाल नवंबर 2022 में पूरा हो चुका है, को भी लिस्ट में रखा गया है. एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया - यूरोपीय संघ (EU) और नाटो - दोनों के सदस्य हैं. रूस और यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से मास्को के साथ तीनों देशों के रिश्ते तेजी से खराब हुए हैं.

पुतिन ने क्यों उठाया यह कदम

एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया, तीनों ही देशों ने जंग शुरू होने के बाद से सोवियत काल के तमाम स्‍मारक ढहा दिए हैं. इनमें दूसरे विश्व युद्ध में मारे गए सोवियत सैनिकों की याद में बने स्मारक भी शामिल हैं. जवाब में रूसी जांच समिति के प्रमुख अलेक्जेंडर बैस्ट्रीकिन ने जांच बैठा दी.

क्या है बाल्टिक देशों का इतिहास

1940 में बाल्टिक राज्यों पर सोवियत संघ ने कब्जा कर लिया था. फिर नाजी जर्मनी ने उन पर कब्ज़ा जमाया. उसके बाद इन देशों को सोवियत कम्युनिस्ट गुट के हिस्से के रूप में रहना पड़ा. 1991 में सोवियत संघ के पतन के साथ उन्हें स्वतंत्रता मिली.

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