परमाणु रिसाव के खतरे से सहमा यूरोप, रूस के निशाने पर यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट?
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परमाणु रिसाव के खतरे से सहमा यूरोप, रूस के निशाने पर यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट?

यूक्रेन का आरोप है कि सुबह रशिया की सेना ने सुनियोजित तरीके से इस Power Plant पर हमला किया और इस दौरान यूक्रेन और रशिया के सैनिकों के बीच काफी देर तक सैन्य संघर्ष चला.

परमाणु रिसाव के खतरे से सहमा यूरोप, रूस के निशाने पर यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट?

नई दिल्ली: Rzeszow (जे-शू) शहर, जो यूक्रेन की सीमा से सिर्फ 165 किलोमीटर दूर है. जबकि यूक्रेन में स्थित यूरोप का सबसे बड़ा Nuclear Power Plant Zaporizhzhia (जेपोरिजिया) यहां से 1 हजार किलोमीटर दूर है. लेकिन अगर इस Power Plant से परमाणु रिसाव होता है तो फिर ये जगह भी सुरक्षित नहीं होगी और ये Power Plant यूरोप के कई देशों में तबाही ला सकता है. इनमें Poland जैसे देशों को सबसे ज्यादा खतरा होगा. क्योंकि Poland इस Nuclear Power Plant के खतरे से ज्यादा दूर नहीं है.

  1. Nuclear Reactor से थोड़ी दूरी पर लगी आग
  2. बड़े खतरे से बाल-बाल बचे हैं तमाम देश
  3. नौंवे दिन खतरनाक होता युद्ध

सुनियोजित ढंग से Power Plant पर हमला

यूक्रेन का आरोप है कि सुबह रशिया की सेना ने सुनियोजित तरीके से इस Power Plant पर हमला किया और इस दौरान यूक्रेन और रशिया के सैनिकों के बीच काफी देर तक सैन्य संघर्ष चला. इस दौरान भारी गोलाबारी हुई और इस Power Plant के बाहरी क्षेत्र में तेज बम धमाकों की भी आवाज सुनी गई. दावा है कि इसी सैन्य संघर्ष की वजह से इस Plant के परिसर में Nuclear Reactor के पास आग लग गई, जिसने पूरे यूरोप को चिंता में डाल दिया.

Nuclear Reactor से थोड़ी दूरी पर लगी आग

हालांकि शुक्रवार सुबह इस Plant में लगी आग को किसी तरह बुझा लिया गया. अगर ऐसा नहीं होता तो यूरोप के कई देशों में परमाणु रिसाव से बड़ी त्रासदी हो सकती थी और इससे तीसरा विश्व युद्ध भी शुरू हो जाता. दरअसल, ये आग Plant के बाहरी परिसर में लगी थी. जबकि Nuclear Reactor उससे कुछ दूरी पर थे. Nuclear Reactor ट्यूब के आकार की उस Unit को कहते हैं, जिससे बिजली का उत्पादन होता है.

काफी घातक है इसका Radiation

अगर ये आग इन Reactor तक पहुंच जाती है और इनमें विस्फोट हो जाता तो Nuclear Radiation वातावरण में घुल जाता और ये खतरनाक Radiation सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहता. बल्कि यूरोप के कई देश इसकी चपेट में होते. हालांकि आग बुझने से ऐसा कुछ नहीं हुआ. लेकिन इस घटना ने यूरोप के देशों की चिंता जरूर बढ़ा दी. वो इसलिए क्योंकि दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में स्थित ये यूरोप का सबसे बड़ा Nuclear Power Plant है और यहां 6 Nuclear Reactor मौजूद हैं. 

एक पॉवर प्लांट में 6 Reactor

ये संख्या कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हमारे पूरे देश में कुल 22 Nuclear Reactor हैं, जबकि यूक्रेन के इस अकेले Power Plant में 6 Nuclear Reactor हैं. Nuclear Power Plant का मतलब ये नहीं है कि यहां, परमाणु बम और हथियार बनाए जाते हैं. दरअसल, ये वो Plant होते हैं, जहां Nuclear Reactor से बिजली का उत्पादन होता है और बड़ी बात ये है कि इस Power Plant से यूक्रेन को उसकी जरूरत की 25 प्रतिशत बिजली मिलती है.

Plant पर किसका कब्जा?

यूक्रेन का आरोप है कि अब इस Plant पर रशिया का कब्जा हो चुका है. जबकि रशिया का आरोप है कि इस Plant में आग खुद यूक्रेन की सेना ने लगाई थी. यानी रशिया बहुत गम्भीर आरोप लगा रहा है. उसके मुताबिक, यूक्रेन ने यूरोप के देशों का ध्यान खींचने के लिए और उन पर दबाव बनाने के लिए जानबूझकर इस Plant में आग लगाई, ताकि अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में पैनिक की स्थिति बन जाए. इसे आप यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बयान से भी समझ सकते हैं. जब ये खबर आई कि इस Plant में आ लगी हुई है, तब जेलेंस्की ने ट्विटर पर लिखा कि अब यूरोप को नींद से जाग जाना चाहिए. जेलेंस्की ने एक वीडियो संदेश जारी करके, अमेरिका जैसे देशों से इमरजेंसी मदद की भी मांग की.

रूस के कब्जे में 2 बड़े पॉवर प्लांट्स

जेलेंस्की और यूक्रेन की सरकार का आरोप है कि अब भी इस Power Plant पर रशिया की सेना का कब्जा है. अगर ये आरोप सही हैं तो अब तक रशिया यूक्रेन के दो बड़े Power Plants को अपने नियंत्रण में ले चुका है. इससे पहले उसने Chernobyl Nuclear Power Plant पर भी कब्जा कर लिया था और दावा है कि अब रशिया के ही वैज्ञानिक और कर्मचारी Chernobyl (चेर्नोबिल) के Plant को नियंत्रित कर रहे हैं.

ये बहुत बड़ी बात है. क्योंकि अगर यूक्रेन के Nuclear Power Plants रशिया के नियंत्रण में चले गए तो उसकी बिजली व्यवस्था ठप हो सकती है और दुनिया में Nuclear हादसे का भी खतरा बढ़ सकता है. असल में, अमेरिका ने शुक्रवार को ही अपनी Nuclear Incident Response Ream को तैयार रहने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा जेलेंस्की ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन से बात की है और यूरोपीय यूनियन भी यूक्रेन के सम्पर्क में है.

पश्चिम देश बनाएंगे दबाव!

ये सभी पश्चिमी देश जानते हैं कि इन Plants से अगर परमाणु रिसाव हुआ तो वो भी इसके निशाने पर आ जाएंगे, इसलिए ये देश कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते और हो सकता है कि अब इन देशों की तरफ से रशिया पर और ज्यादा दबाव बनाया जाए. एक और बात, अगर इन Nuclear Power Plants पर फिर से रशिया और यूक्रेन की सेना के बीच संघर्ष होता है तो Nuclear Reactor में विस्फोट का खतरा बना रहेगा. आज ही यूक्रेन ने बताया है कि अगर Zaporizhzhia (जेपोरिजिया) के Plant में ऐसा कोई भी विस्फोट हुआ तो ये घटना, 1986 की चेर्नोबिल दुर्घटना से 10 गुना ज्यादा खतरनाक साबित होगी.

परमाणु रिसाव का असर

1986 में भी जब सोवियत संघ का विघटन नहीं हुआ था, उस समय सोवियत रूस की सेना ही चेर्नोबिल Plant का संचालन करती थी. लेकिन उस समय एक Safety Drill के दौरान, Nuclear Reactor में विस्फोट हुआ और इसके बाद Nuclear Radiation ने हजारों लोगों की जान ले ली. पोलैंड के जे-शू शहर में भी तब परमाणु रिसाव का असर हुआ था.

नौंवे दिन खतरनाक होता युद्ध

Nuclear खतरे के बीच यूक्रेन पर रशिया की सेना का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. युद्ध का नौवां दिन भी रशिया की सेना ने अपनी कार्रवाई को पूरी क्षमता के साथ Escalate कर दिया. अब Black Sea में रशिया की सेना मजबूत स्थिति में है. दक्षिणी यूक्रेन के खरसॉन इलाके पर रशिया ने अपने नियंत्रण का आधिकारिक ऐलान कर दिया है. दक्षिण पूर्वी यूक्रेन के Mariupol (मैरिउपोल) में भी लड़ाई अंतिम चरण में हैं और रशिया का दावा है कि यहां भी ज्यादातर इलाके उसके नियंत्रण में आ गए हैं.

Mariupol (मैरिउपोल) के डिप्टी मेयर ने NATO देशों से अपील की है कि वो यूक्रेन में अपनी सेनाओं को भेजें. वर्ना यूक्रेन के हजारों नागरिक मारे जाएंगे. पूर्वी यूक्रेन में भी रशिया की सेना ने Donstek (दोनियस्क) और Luhansk (लुहांस्क) जैसे क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है. ये वही दोनों क्षेत्र हैं, जिन्हें पुतिन ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है. इसके अलावा डोनबास में भी रशिया की सेना अंतिम दौर की लड़ाई लड़ रही है और यूक्रेन की सरकार ने खुद माना है कि इस क्षेत्र में रशिया ने अपना कब्जा कर लिया है और उत्तरी यूक्रेन के खारकीव के भी कई इलाकों पर रशिया की सेना का कब्जा हो चुका है. जबकि कीव की भी रशिया ने घेराबंदी कर ली है.

कीव के बाहरी इलाकों में घेराबंदी

रशिया की सेना का 65 किलोमीटर लंबा काफिला कीव के Presidential Palace के और करीब पहुंच गया है और दावा है कि ये काफिला तब तक कीव के बाहरी क्षेत्र में रुकेगा, जब तक कीव के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों पर रशिया की पैदल सेना का कब्जा नहीं हो जाता. इसके लिए युद्ध में ज्यादा से ज्यादा इमारतों को निशाना बनाया जा रहा है.

जबरदस्त सैन्य संघर्ष

कीव के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 5 किलोमीटर दूर स्थित एक इलाके में यूक्रेन ने रशिया पर 40 रिहायशी इमारतों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है. इसके अलावा मध्य कीव से लगे एक और इलाके में देर रात यूक्रेन और रशिया की सेना के बीच जबरदस्त सैन्य संघर्ष हुआ, जिसमें पूरा इलाका जल कर राख हो गया. इस इलाके में एक साथ कई इमारतें नष्ट हो गईं और यूक्रेन के कई सैनिक और नागरिक भी मारे गए.

ये युद्ध सबसे अलग है!

आज रशिया की सेना मध्य यूक्रेन के Poltova (पोल्तोवा) शहर में भी घुस गई और इस दौरान युद्ध में रशिया के 5 सैनिकों के मारे जाने का दावा है. यूक्रेन की Border Guards ने एक वीडियो जारी करके बताया है कि उसने ग्रेनेड अटैक में रशिया के टैंक्स भी नष्ट कर दिए हैं. रशिया और यूक्रेन के बीच War केवल युद्धक्षेत्र में नहीं लड़ा जा रहा है. बल्कि दोनों देश Video War और Information War भी लड़ रहे हैं. जिस तरह यूक्रेन नए-नए वीडियो जारी करके, रशिया के Tanks नष्ट करने का दावा कर रहा है. ठीक उसी तरह अब रशिया ने एक नया वीडियो जारी करके बताया है कि उसके Drones यूक्रेन के सैन्य अड्डो को निशाना बना रहे हैं. शुक्रवार को रशिया ने एक ऐसे ही हमले में यूक्रेन की सबसे बड़ी Command and Observation Post को नुकसान पहुंचाने की जानकारी दी.

आसान शब्दों में समझें तो पुतिन ने युद्ध को Escalate कर दिया है. यानी उन्होंने कार्रवाई तेज कर दी है और हो सकता है कि जल्द रशिया की सेना मध्य कीव में सरकारी मंत्रालयों और Presidential Palace पर अपने नियंत्रण के लिए भी हमले शुरू कर दे.

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