हिंसक नस्लभेद, यहूदी विरोधी भावनाओं के लिए समाज कोई जगह नहीं: संरा प्रमुख
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हिंसक नस्लभेद, यहूदी विरोधी भावनाओं के लिए समाज कोई जगह नहीं: संरा प्रमुख

शार्लोट्सविले में हुई हिंसा के बाद से वहां के निवासियों में भय और दहशत का माहौल है. यहां श्वेतों को सर्वश्रेष्ठ मानने वालों की रैली के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कार चढ़ा दी गई थी जिसमें एक 32 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि “हम सभी प्रकार के नस्लभेद, कट्टरता के खिलाफ हैं.'' (फाइल फोटो)

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतारेस ने शार्लोट्सविले में नागरिकों पर हुई हिंसा की कड़ी निंदा की है और कहा कि समाज में नस्लभेद, यहूदी-विरोधी और विदेशी लोगों से नफरत व भय की भावना के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. शार्लोट्सविले में हुई हिंसा के बाद से वहां के निवासियों में भय और दहशत का माहौल है. यहां श्वेतों को सर्वश्रेष्ठ मानने वालों की रैली के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कार चढ़ा दी गई थी जिसमें एक 32 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के सहायक प्रवक्ता फरहान हक ने सोमवार (14 अगस्त) को यहां संवाददाताओं को बताया “हम सभी प्रकार के नस्लभेद और कट्टरता के खिलाफ हैं. हमारा मानना है कि हमारे समाज में हिंसक नस्लभेद, यहूदी-विरोधी, विदेशी लोगों से नफरत की भावना और पक्षपात की कोई जगह नहीं होनी चाहिए जिसे हमने हाल के दिनों में शार्लोट्सविले, वर्जीनिया में देखा है. हक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र नागरिकों को प्रभावित करने वाली किसी भी हिंसा की निंदा करता है और पीड़ितों व घायलों के परिवार और करीबियों के लिए शोक व्यक्त करता है.

रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासित करने की भारत की योजना को लेकर परेशान हैं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के उपप्रवक्ता ने म्यांमा के रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासित करने की भारत की योजनाओं को लेकर चिंता जताते हुए यह रेखांकित किया है कि शरणार्थियों के पंजीकृत होने के बाद उन्हें उन देशों में वापस नहीं भेजा जाना चाहिए जहां उन्हें उत्पीड़ित किए जाने का डर है. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने पिछले सप्ताह संसद में कहा था कि केंद्र सरकार ने राज्य प्राधिकारियों को रोहिंग्या समेत अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने का आदेश दिया है. बौद्ध बहुल म्यांमा में रोहिंग्या समुदाय के मुसलमानों को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है.

गुतारेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने सोमवार (15 अगस्त) को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘निस्संदेह हम शरणार्थियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर चिंतित हैं. शरणार्थियों का एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद, उन्हें उन देशों में वापस भेजे जाने का डर नहीं होना चाहिए जहां उन्हें उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है.’ हक ने म्यांमा के रोहिंग्या समुदाय के लोगों को निर्वासित करने की भारत की योजनाओं के संबंध में पूछे प्रश्न के उत्तर में यह बात कही. भारत ने कहा कि उसकी सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासित करने की योजना है, भले ही वे संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी के रूप में पंजीकृत हों या नहीं हों.

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