भारत को मिला अमेरिका सांसदों का साथ, चीन की 'बेल्ट एंड रोड' पहल पर जताई चिंता
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भारत को मिला अमेरिका सांसदों का साथ, चीन की 'बेल्ट एंड रोड' पहल पर जताई चिंता

अमेरिकी सांसदों ने कहा कि चीन ने ओबीओआर का प्रचार इस तरह किया है कि परियोजना उसके और साथी विकासशील देशों के लिए काफी हितकारी है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह मुख्य रूप से उसके निजी फायदे के लिए ही है.

भारत को मिला अमेरिका सांसदों का साथ, चीन की 'बेल्ट एंड रोड' पहल पर जताई चिंता

वॉशिंगटन: अमेरिकी सांसदों ने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘‘वन बेल्ट वन रोड’’ (ओबीओआर) को लेकर चिंता जाहिर की और विकास संबंधी वित्त प्रयासों में सुधार के लिए सुझाव मांगे हैं. एशिया और प्रशांत क्षेत्र पर विदेशी मामलों की उपसमिति के अध्यक्ष सांसद टेड याहो ने कहा कि जब, पूरे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए निवेश की बेहद आवश्यकता है ऐसे में ‘वन बेल्ट वन रोड’ पर बहस करने की जगह, और बहुत कुछ किया जा सकता है. एशिया में वित्त विकास के मुद्दे पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि बहरहाल, चीन ने ओबीओआर का प्रचार इस तरह किया है कि परियोजना उसके और साथी विकासशील देशों के लिए काफी हितकारी है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह मुख्य रूप से उसके निजी फायदे के लिए ही है.

उन्होंने कहा कि ओबीओआर का वित्त पोषण चीनी संस्थाओं ने उच्च दरों पर किया है. आम तौर पर चीनी निगमों द्वारा आयोजित विकास संदर्भ में ऐसा नहीं पाया जाता, जो अक्सर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम होते हैं और चीनी श्रम और संसाधन का उपयोग करते हैं. इनसे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को ज्यादा फायदा नहीं मिलता और उन पर कर्ज का बोझ भी आ सकता है.

टेड याहो ने कहा कि यह कार्यक्रम चीन के सामरिक और सैन्य हितों के साथ करीब से जुड़ा हुआ है, जो केवल एक संयोग मात्र नहीं है. उन्होंने अपने दावों की पुष्टि के लिए कई उदाहरण भी दिये. श्रायर के अध्यक्ष एवं सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडी में समृद्धि और विकास परियोजना के निदेशक डैनियल रूंडे ने कहा कि चीन अपने विकास कार्यक्रमों के दौरान समय-समय पर मानवाधिकारों, पर्यावरण एवं सामाजिक मानकों की अनदेखा करता रहा है.

चीन ने पाकिस्तान के जनरल के आरोपों को नकारा, कहा- रॉ नहीं डाल रहा CPEC में बाधा

इससे पहले चीन ने सोमवार (20 नवंबर) को पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य जनरल के आरोपों को खारिज कर दिया था कि भारत ने 50 करोड़ डॉलर की लागत से एक विशेष खुफिया प्रकोष्ठ का गठन किया है ताकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरीडोर (सीपीईसी) में बाधा डाली जा सके. चीन ने कहा कि उसके पास इस तरह की कोई खबर नहीं है. पाकिस्तान के ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के जनरल जुबैर महमूद हयात ने 14 नवम्बर को आरोप लगाया था कि भारत क्षेत्र में ‘‘अराजकता’’ फैला रहा है. उन्होंने आरोप लगाए कि भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी रॉ ने सीपीईसी में बाधा डालने के लिए 50 करोड़ डॉलर की लागत से एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया है. उन्होंने भारत पर अशांत बलूचिस्तान प्रांत में आतंकवाद को हवा देने के भी आरोप लगाए.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु किंग ने आरोपों के बारे में पूछने पर कहा, ‘‘हमारे पास इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं है.’’ भारत के खिलाफ आरोपों से चीन का इंकार काफी महत्व रखता है क्योंकि बीजिंग और इस्लामाबाद के रिश्ते ‘‘काफी मजबूत’’ माने जाते हैं. सीपीईसी के पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने पर भारत की आपत्तियों की तरफ इशारा करते हुए लु ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सीपीईसी को क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ज्यादा समर्थन और मान्यता मिलेगी.’’ पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारी रॉ पर सीपीईसी को बाधित करने के आरोप लगाते रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को बलूचिस्तान राष्ट्रवादी बलों के साथ ही बलूचिस्तान प्रांत में इस्लामिक स्टेट के कई हमलों का सामना करना पड़ा था. सीपीईसी चीन के अशांत शिनजियांग प्रांत को बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है.

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